ओफ्फो! चीकू बेटा हर जगह तुमने ये अपना सामान बिखेरकर रखा हुआ है। अरे बेटा कम से कम अपनी किताब निकालते समय तो थोड़ा ध्यान दिया करो। पता है, सुबह से तीसरी बार मैं ये तुम्हारी बुक शैल्फ ठीक कर रही हूँ। प्लीज़ बेटा थोड़ा सा ध्यान रख लिया करो न और वैसे भी कल से मैं ये सब...कहते-कहते न जाने किस सोच में डूब गई रचना!! ये लो भाई जो-जो तुमनें मंगवाया था, मैं वो सबकुछ ले आया हूँ बाजार से! अब बस तुम्हारा केक बनाने का सामान बचा है जो मैं शाम को जब अनुराग की किताबें लेने जाऊँगा, तब लेता आऊँगा क्योंकि वो केक शॉप उसी रास्ते में पड़ती है न!!
Full Novel
सास-बहू...एक रिश्ता उलझा सा। - 1
ओफ्फो! चीकू बेटा हर जगह तुमने ये अपना सामान बिखेरकर रखा हुआ है। अरे बेटा कम से कम अपनी निकालते समय तो थोड़ा ध्यान दिया करो। पता है, सुबह से तीसरी बार मैं ये तुम्हारी बुक शैल्फ ठीक कर रही हूँ। प्लीज़ बेटा थोड़ा सा ध्यान रख लिया करो न और वैसे भी कल से मैं ये सब...कहते-कहते न जाने किस सोच में डूब गई रचना!! ये लो भाई जो-जो तुमनें मंगवाया था, मैं वो सबकुछ ले आया हूँ बाजार से! अब बस तुम्हारा केक बनाने का सामान बचा है जो मैं शाम को जब अनुराग की किताबें लेने ...और पढ़े
सास-बहू...एक रिश्ता उलझा सा। - 2
"अरे भाई आज कोई उठेगा भी या नहीं ? अरे ! सूरज देखो कहाँ चढ़ गया है और आज मेरा बेटा बेचारा बिना कुछ खाए पिए ही ऑफिस चला गया और तो और मेरा पोता भी बेचारा खुद ही ब्रेड और जैम लेकर स्कूल चला गया" , केतकी जी ने अपनी कड़कती हुई आवाज में कहा और उन्होंने एक साथ कई बर्तन भी पटके जिसकी आवाज से रचना हड़बड़ा कर नींद से जाग गई और फुर्ती से दौड़ कर अपने कमरे से बाहर निकल कर , सॉरी सासू माँ बोलते हुए वॉशरूम के अंदर चली गई ! दरअसल रचना को ...और पढ़े
सास-बहू...एक रिश्ता उलझा सा। - 3 - अंतिम भाग
तुम्हें सासू माँ से ऐसा नहीं कहना चाहिए था ! आखिर क्या जरूरत थी तुम्हें बोलने की ? वो मुझे सुना रही थीं और मैं सुन रही थी फिर तुम क्यों बोले ? "यार रचना तुम भी कमाल करती हो। आज तक जब मैं कभी नहीं बोलता था तो तुम कहती थी कि तुम कभी कुछ बोलते नहीं हो और आज जब मैं कुछ बोला हूँ तो तुम कह रही हो कि बोला क्यों ? हद्द है यार !", दीपक नें चिढ़े हुए स्वर में अपनी पत्नी रचना को जवाब दिया ! "दीपक तुम जाने दो ! तुम नहीं समझोगे ...और पढ़े