"हैलो! बेटा कैसा है? कितने दिन हुए तूने तो एक फोन भी नहीं किया और कई महीनों से तू घर भी नहीं आया! कोई परेशानी की बात तो नहीं है न बेटा और तेरी तबियत तो ठीक है न!!" जहाँ दूसरी तरफ़ से फोन पर अनुराधा जी यानि कि सुमित की माता जी एक ही साँस में शिकायत-भरे लहजे के साथ ही अपने बेटे के प्रति अपनी फिक्र भी जताने में कोई कोताही नहीं बरत रही थीं वहीं दूसरी तरफ से स्पीकर मोड में अपना फोन डालकर मिस्टर सुमित बाबू यानि कि अनुराधा जी के सुपुत्र उनकी कुछ बातों को

Full Novel

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दूसरी औरत.. सीजन - 2 - भाग - 1

"हैलो! बेटा कैसा है? कितने दिन हुए तूने तो एक फोन भी नहीं किया और कई महीनों से तू भी नहीं आया! कोई परेशानी की बात तो नहीं है न बेटा और तेरी तबियत तो ठीक है न!!" जहाँ दूसरी तरफ़ से फोन पर अनुराधा जी यानि कि सुमित की माता जी एक ही साँस में शिकायत-भरे लहजे के साथ ही अपने बेटे के प्रति अपनी फिक्र भी जताने में कोई कोताही नहीं बरत रही थीं वहीं दूसरी तरफ से स्पीकर मोड में अपना फोन डालकर मिस्टर सुमित बाबू यानि कि अनुराधा जी के सुपुत्र उनकी कुछ बातों को ...और पढ़े

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दूसरी औरत... सीजन - 2 - भाग - 2

होली की छुट्टियाँ बीते दो दिन हो चुके थे मगर आज भी सुमित न जाने क्यों कॉलेज नहीं आया इस बात से परेशान सपना डीबीएस कॉलेज के कैम्पस में बड़ी ही बेचैनी के साथ इधर-उधर घूम रही थी और फिर अब वो सुमित को फोन भी तो नहीं कर सकती थी क्योंकि होली के दिन सुमित का फोन रंग की भरी हुई बाल्टी में गिरने के कारण खराब हो चुका था जिसकी सूचना स्वयं सुमित नें सपना को अपनी माता जी के फोन से फोन करके दी थी ! चहलकदमी करती हुई अचानक ही सपना न जाने क्या सोचकर ...और पढ़े

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दूसरी औरत... सीजन - 2 - भाग - 3

तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे प्यार में डूबे हुए खत मैं जलाता कैसे तेरे खत आज गंगा में बहा आया हूँ आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ जगजीत सिंह साहब की ये गज़ल मानों आज सुमित का कलेजा चीर देने को आतुर थी । वो अपने कमरे में बैठा सपना के दिये खतों को आज बार-बार, हजार बार पढ़ रहा था । पढ़ते-पढ़ते वो कभी मुस्कुराने तो कभी हंसने तो कभी रोने लगता । वो कई-कई बार उन सारे खतों को उलट-पलटकर देखता । "यार सुमित कम से कम आज तो मत पी यार ...और पढ़े

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दूसरी औरत... सीजन - 2 - भाग - 4

आज मेरे यार की शादी है, यार की शादी है मेरे दिलदार की शादी है ! आज के खुशनुमा में सुरेश भी कुछ इस तरह से शामिल हुआ कि जैसे कुछ हुआ ही न हो ! बड़ी ही धूमधाम से आज अनुराधा जी के एकलौते बेटे का विवाह सम्पन्न हो गया ! हालांकि विवाह की सभी रस्मों को सुमित नें बड़े ही औपचारिक ढंग से और अपने चेहरे पर एक बनावटी व बेहद फ़ीकी मुस्कान के साथ निभाया था जिसे उसकी माता जी समेत उसके कई अन्य बेहद करीबी रिश्तेदार,समझकर भी नहीं समझना चाह रहे थे । इन सब ...और पढ़े

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दूसरी औरत... सीजन - 2 - भाग - 5

बीते तीन दिनों में शायद ही ऐसा कोई नुस्खा या प्रयास बचा हो जो कि पल्लवी नें अपने नीरस पर आजमाया न हो ! और इस सिलसिले में आज उसके पास जो नुस्खे की पुड़िया थी वो उसे उसकी सहेली दीपा से मिली थी जो अपने मोहल्ले,गली और गाँव हर जगह अपने इसी हुनर के लिए कभी खासी मशहूर हुआ करती थी, खैर ! अब तो उसकी गिनती सीधी-साधी,सुशील और शरीफ़ बहुओं में हुआ करती है तो छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी ! हाँ ये और बात है कि आज भी गाँव की पढ़ी से पढ़ी ...और पढ़े

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दूसरी औरत... सीजन - 2 - भाग - 6

साउथ दिल्ली में आठ मंजिला इमारत के तीसरे माले पर अपने केबिन में बैठा हुआ हुआ सुमित जो कि को उलटता-पलटता बैठा हुआ है और उसके चेहरे पर जो भाव हैं वो किसी न किसी जूनियर की आज आने वाली शामत की ओर सीधा इशारा कर रहे हैं तभी सुमित गुस्से से फाइल को अपनी टेबल पर पटकता हुआ इंटरकॉम करके आई टी डिपार्टमेंट से सुरजीत कोहली को अपने केबिन में तुरंत आने को कहता है ! मे आय कम इन, सर ! सुमित उसे सिर हिलाकर अंदर आने का इशारा करता है यस सर ! यस सर क्या ...और पढ़े

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दूसरी औरत... सीजन - 2 - भाग - 7

आज इतनी जल्दी ... और आप भी तो... एक-दूसरे की आँखों में देखकर मुस्कुरा दिये दोनों ! सुमित न हुए भी अपने केबिन की ओर बढ़ गया और फिर कुछ ही मिनटों के अंतराल पर स्वेतलाना भी कॉफी के दो मग्स लेकर उसके पीछे-पीछे पहुँच गई ! कॉफी की चुस्कियाँ लेते हुए दोनों एक-दूसरे की आँखों के रास्ते दिल में उतरने की कोशिश कर रहे थे । "आज ठंड वाकई बहुत ज्यादा है । कोहरा तो इतना कि एक हाथ को अपना दूसरा हाथ ही नज़र नहीं आता", चुप्पी तोड़ने का एक प्रयास जो सुमित की तरफ़ से हुआ ...और पढ़े

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दूसरी औरत... सीजन - 2 - भाग - 8

खुदा भी जब तुम्हें, मेरे पास देखता होगा इतनी अनमोल चीज़, दे दी कैसे सोचता होगा सुमित की कार बजता हुआ ये गीत जैसे स्वेतलाना के कानों में मिश्री घोलने का काम कर रहा था और तभी उनकी कार दिल्ली के एक आलीशान रेस्टोरेंट के बाहर जाकर रुकी ! सुमित नें बड़े ही आदर और प्यार का भाव लिए स्वेतलाना मैडम के लिए अपनी कार का डोर खोला फिर बड़ी ही नज़ाकत के साथ स्वेतलाना मैडम बाहर आयीं और अब वो दोनों एक-दूसरे से बिल्कुल नज़दीकी बनाकर रेस्टोरेंट के अंदर जाने के लिए आगे बढ़ गए ! एक-दूसरे के ...और पढ़े

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दूसरी औरत... सीजन - 2 - अंतिम भाग

चलो ले चलें तुम्हें तारों के शहर में , धरती पर ये दुनिया हमें प्यार न करने देगी ! में चेकइन करने के बाद सुमित नें होटल के रूम में दाखिल होते ही अपने मोबाइल पर गानें लगा दिये और इधर स्वेतलाना उस आलीशान कमरे के आलीशान बिस्तर पर अपने बालों को क्लचर की कैद से आजाद कर लेट चुकी थी । सुमित नें अपने जूते उतारे और फिर वो भी वहीं बिस्तर पर स्वेतलाना के करीब आकर बैठ गया और लेटी हुई स्वेतलाना के खुले हुए बालों में अपनी अंगुलियों को फंसाकर खेलने लगा । स्वेतलाना और सुमित ...और पढ़े

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