इस लघु उपन्यास के प्रसिद्ध लेखक इंदिरा सौंदर्राजन हैं। यह तमिल के बहुत बड़े लेखक हैं। इन्होंने करीब 500 उपन्यास और 800 कहानियां लिखी है। आपने चार हजार के करीब लेख लिखे हैं। आप किसी भी एक समस्या को लेकर ही लिखते हैं। शरणागति में परिवार के टूटने की समस्या को लिया गया है और वृद्धाश्रम की समस्या के साथ लोगों की सहनशक्ति कम होती जा रही है इस पर विशेष ध्यान दिया है। आदमी शराबी जुआरी हो उसे सुधारने की कोशिश करना चाहिए। उससे तलाक लेना समस्या का समाधान नहीं है।
Full Novel
शरणागति - 1
सारांश इस लघु उपन्यास के प्रसिद्ध लेखक इंदिरा सौंदर्राजन हैं। यह तमिल के बहुत बड़े लेखक हैं। इन्होंने करीब उपन्यास और 800 कहानियां लिखी है। आपने चार हजार के करीब लेख लिखे हैं। आप किसी भी एक समस्या को लेकर ही लिखते हैं। शरणागति में परिवार के टूटने की समस्या को लिया गया है और वृद्धाश्रम की समस्या के साथ लोगों की सहनशक्ति कम होती जा रही है इस पर विशेष ध्यान दिया है। आदमी शराबी जुआरी हो उसे सुधारने की कोशिश करना चाहिए। उससे तलाक लेना समस्या का समाधान नहीं है। शरणागति अध्याय 1 घर के कॉलिंग ...और पढ़े
शरणागति - 2
अध्याय 2 शरणागति वृद्धाश्रम ! करीब-करीब 3 एकड़ जमीन पर एक ऊंची इमारत पेड़ों के झुंड के बीच में था । ठंडी-ठडी हवाएं ! फूलों की भीनी-भीनी खुशबू, सुंदर-सुंदर फूलों से लदे पेड़ों को देखकर मन को बहुत सुकून मिला । यहां-वहां सीमेंट के बेंच- छोटे-छोटे मंडप बने हुए थे और उनके बीच में कृष्ण, राम, शिवलिंग ऐसे ही कई पेंट किए हुए मूर्तियां रखी हुई थी। सीमेंट के बेंचों पर यहां-वहां बुजुर्ग कुछ लोग बैठे हुए थे। एक टैक्सी में आकर रंजनी उतरी इस वातावरण को ध्यान से देखते हुए कार से उतर कर पैदल चलने लगी। सामने ...और पढ़े
शरणागति - 3
अध्याय 3 रामास्वामी व रंजनी इस वृद्धाश्रम के बरामदे में खड़े थे। अंदर एक रिसेप्शन का कमरा था। उसमें लोग बैठ सकते थे ऐसी कुर्सियां और एक मुढा भी था। उसके ऊपर पेपर और मासिक और साप्ताहिक पत्रिकाएं रखी हुई थी। उस पोर्शन के आगे एक छोटा हॉल था। उसमें दो अलग-अलग पलंग थे। उस पर गद्दे बिछे हुए थे। दोनों पलंग के बीच में एक छोटा टेबल था, उस पर इंटरकॉम और एक वाटर जग रखा था। उसी के साथ में दीवार पर एक टी.वी. और पास में एक बड़ा सेल्फ भी था और पास में ही एक ...और पढ़े
शरणागति - 4
अध्याय 4 'वह मोड़ क्या है?' उसके अंदर एक तीव्र उत्सुकता जगी। उसी समय एक लड़की की आवाज आई रामस्वामी सर.... उन्होंने मुड़कर देखा। आपका फोन है.... ऑफिस में बुला रहे हैं ऐसा फर्श को साफ करने वाली अन्नम्मा ने उन्हें बुलाया तो वे ठीक हैं... आपको जिस से मिलना है मिलिए। बातचीत करिए। मैं बात करके आ रहा हूं। फिर वे चलने लगे। रंजनी को थोड़ी निराशा हुई। करीब-करीब उसके ही जीवन के बारे में वे बात कर रहे थे उसे ऐसा लगा। अब उसमें भी एक प्रश्न वाचक चिन्ह! वह एक दीर्घ-श्वास लेकर वहां के एक कमरे के ...और पढ़े
शरणागति - 5
अध्याय 5 क्यों बेटी.... तुम ही वह पत्रिका वाली लड़की हो... हां जी.... मैंने रामस्वामी सब लोगों को सूचना देकर जो कुछ कहना है वह सब कह दो ऐसा कह कर गए। पर क्या बोले ! बोझ बने हुए शरीर के साथ कहां, कब मौत आएगी वह जल्दी आए तो ठीक है सोचते फिर दूसरे समय कही अरे आज ही तो कहीं नहीं आ जाए तो ऐसा भी ड़र लगता है इस तरह से हम अपनी परेशानियों को शब्दों में वर्णन नहीं कर सकते। उनके शब्दों में जो शोक व्याप्त था रंजनी उसी से आहत हुई। मैं एक ...और पढ़े
शरणागति - 6 - अंतिम भाग
अध्याय 6 "क्यों बेटी सब लोगों ने अपनी-अपनी परेशानियों का खूब ब्खान कर रहे थे क्या ?" रामास्वामी ने "हां सर। उन लोगों की बातों को सुनकर मुझे अभी से मेरे बुढ़ापे के बारे में सोच कर डर लग रहा है..." "क्यों डरना चाहिए बेटा, यह तो कालक्रम है। वे किस कारण से ऐसे हुए यह सुन लो तो बहुत है। उसमें से आप जैसे युवा पीढ़ी को बहुत कुछ जवाब मिल जाएगा। यहां पर बेटों के द्वारा छोड़े हुए से ज्यादा, उन लोगों के साथ रहकर जी न सकने वाले अधिक है। दूसरा उनमें सहनशक्ति नहीं हैं । ...और पढ़े