सुबह सवेरे गर्मियों में मन करता था कि थोड़ी देर और सो लिया जाए क्योंकि सुबह की ठंडी हवा मन को इतनी अच्छी लगती कि मन प्रफुल्लित हो जाता था । बड़े से ऑंगन में सभी की चारपाई पंक्ति से बिछी रहती।हमारे पिताजी की चारपाई पहले नंबर पर, अंतिम चारपाई मॉं की और बीच में हम भाई-बहन सोया करते थे। मेरा छोटा भाई हमेशा पिताजी की चारपाई के बराबर ही सोना चाहता क्योंकि वहाँ इकलौते पंखे की हवा कुछ ज़्यादा लगती थी ।

Full Novel

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अतीत के चल चित्र—(1)

अतीत के चलचित्र। (1) सुबह सवेरे गर्मियों में मन करता था कि थोड़ी देर और सो लिया जाए क्योंकि सुबह की ठंडी हवा मन को इतनी अच्छी लगती कि मन प्रफुल्लित हो जाता था । बड़े से ऑंगन में सभी की चारपाई पंक्ति से बिछी रहती।हमारे पिताजी की चारपाई पहले नंबर पर, अंतिम चारपाई मॉं की और बीच में हम भाई-बहन सोया करते थे।मेरा छोटा भाई हमेशा पिताजी की चारपाई के बराबर ही सोना चाहता क्योंकि वहाँ ...और पढ़े

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अतीत के चलचित्र-(2)

अतीत के चलचित्र-(2) पिताजी ने हमें कि हम माताजी पिताजी के साथ राजस्थान जायेंगे सुनकर हम भाई-बहन बहुत ही खुश थे ।हम अपने उत्तर प्रदेश के ब्रजक्षेत्र में रहते थे कभी दूसरे प्रदेशों में जाने का अवसर नहीं मिला था। हमारी बूआ जी राजस्थान के झुंझुनू जिले के एक गॉंव में रहा करतीं थीं ।बूआ जी के घर पर उनके बेटे की सगाई का कार्यक्रम था ।सगाई वह गॉंव में ही करना चाहती थी और विवाह का कार्यक्रम उन्होंने शहर में करने ...और पढ़े

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अतीत के चलचित्र—(3)

अतीत के चलचित्र (3) एक दिन मेरी सहेली घर आई और उसने बताया कि मेरी भाभीजी ने एक पुत्र रत्न को जन्म दिया है,उसका नामकरण संस्कार है ।उसने बताया कि कुछ रिश्तेदार भी आये हैं और मुझे भी निमंत्रण दिया । मेरा परिवार एक मध्यवर्गीय है और शुरू से ही पिताजी के अनेक जगह स्थानांतरित होने के कारण हम अपने अनेक जगह मित्र बना चुके थे । आज मैं नीना के घर आई तो वहाँ उसकी दादी जी से मुलाक़ात हुई ।दादी जी ...और पढ़े

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अतीत के चलचित्र -(4)

अतीत के चलचित्र (4) दोपहर के भोजन से निवृत्त मैं कमरे में बैठकर स्वेटर बुन रही थी तभी दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी ।दरवाज़े पर जाकर मैंने देखा कि ममता सामने खड़ी थी। मैंने कहा-आओ ममता कैसे आना हुआ..ममता ने कोई जबाब नहीं दिया,आँखों में आँसू लिए वह मुझसे लिपट गई और रोने लगी । मैंने शान्त कराया और बिठा कर पानी पीने को दिया,पानी को उसने मेज़ पर रख दिया और ऑंखों पर रुमाल रखकर बहुत देर तक सुबकती रही । ...और पढ़े

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अतीत के चल चित्र - (5)

अतीत के चलचित्र (5) मैं बाज़ार में गई तो मेरी मुलाक़ात, मेरी कक्षा में वाले बालक की मॉं से हो गई ।औपचारिक बातचीत होने के बाद मैंने उनके घर आकर बालक के संबंध में कुछ बातें करने की बात कही । उनसे मैंने कहा—आप समय बता दीजिए । उन्होंने कहा—आप किसी भी समय आ सकती हैं ।आपको घर खुला हुआ मिलेगा ।मुझे जानकारी थी कि वह स्कूल में अध्यापिका है ।जब उन्होंने कहा आप दिन में किसी भी समय अपने अनुसार आ सकती हैं तो मुझे कुछ ...और पढ़े

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अतीत के चल चित्र - (6)

अतीत के चलचित्र (6) नीमा बहुत सारे सपने मन में रखे हुए मन को में लगाने का भरपूर प्रयास करती रही ।घर की परिस्थितियों को देखते हुए , घर के काम काज और पढ़ाई जारी रखी ।तभी एक संपन्न और पढ़ें-लिखे परिवार में शादी होने पर सपनों को साकार होने का आभास होने लगा । ससुराल में जाने के बाद कुछ दिनों तक लगा कि पढ़ाई आगे जारी रहेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ ।घर के कामों में ही इतनी उलझ गई कि समझ नहीं आ रहा था कि कैसे ...और पढ़े

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अतीत के चल चित्र - (7)

अतीत के चलचित्र (7) छोटी सी गलती ने जीवन बरबाद कर दिया । ललित और लीना एक-दूसरे से अक्सर मिला करते थे ।ललित एक बहुत अच्छी कम्पनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत था ।घर में ललित और उसकी मॉं रहते थे,पिता का देहान्त बहुत पहले हो गया था ।ललित जब इंटर में पढ़ता था ।कुछ बीमा कम्पनी से पैसा मिला और गॉंव में कुछ ज़मीन थी उसे बेचकर मॉं ने ललित की पढ़ाई पूरी कराई थी ।कलकत्ता में अपना निज मकान था जिसमें वह मॉं के साथ रहता था।दिल्ली ...और पढ़े

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अतीत के चल चित्र - (8)

अतीत के चलचित्र (8) पड़ौस में रहने वाली मौसीजी के उनके बेटे के टीके का कार्यक्रम था ।हमारे परिवार को भी निमंत्रित किया मौसीजी ने बताया कि ग्यारह लोग बनारस से बड़े बेटे का टीका करने आ रहे हैं ।तुम समय से पहले आकर मेरी सहायता कर देना । कार्यक्रम शाम पाँच बजे होना तय हुआ ।मैं मौसीजी की मदद करने के लिए दिन में ही उनके घर पहुँच गई।सब मेहमान आ चुके थे और लड़की वाले भी कार्यक्रमानुसार पहुँच गए ।मेहमानों का नाश्ता हो गया तो लड़की के पिता और भाई ने ...और पढ़े

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अतीत के चलचित्र (9)

अतीत के चलचित्र (9) रीमा की दीदी रीमा से बहुत बड़ी थी रीमा अपने भाई-बहिनों में सबसे छोटी और दीदी सबसे बड़ी ।जब भी छुट्टियाँ होती वह अपनी दीदी के घर ज़ाया करती ।उनके बच्चे रीमा के साथ खेलते क्योंकि हमउम्र थे । जब दीदी और जीजा जी आया करते रीमा के लिए नई ड्रेस और खिलौने लाते।जब परीक्षा फल आता तो जीजाजी प्रोत्साहित करने के लिए कुछ उपहार लाते और उसकी पसंद की मिठाई खिलाकर ख़ुश होते । जीजा जी सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाते थे ।उस समय कोई भी अतिरिक्त ट्यूशन ...और पढ़े

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अतीत के चलचित्र (10) अन्तिम भाग

अतीत के चलचित्र (10) अंतिम भाग पूरी रात कुलदीप दर्द से रहा और मैं भी उसके पास बैठ कर सुबह होने का इंतज़ार कर रही थी। सुबह की दिनचर्या के बाद वह तैयार होकर स्कूल चला गया।स्कूल से आने के बाद अल्पाहार के बाद कुछ देर में खेलने चला गया ,फिर आकर स्कूल से मिला हुआ गृहकार्य पूरा कर लिया था।जब गृहकार्य पूरा हो गया तो कहने लगा— मॉं मैं डिस्कवरी चैनल पर प्रोग्राम देख लूँ ? मैंने हॉं में जबाब दिया तो वह ख़ुश होकर प्रोग्राम ...और पढ़े

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