स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं

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स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविता काव्‍य संग्रह सरल नहीं था यह काम स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना सवित्री सेवा आश्रम तहसील रोड़ डबरा (जिला-ग्‍वालियर) मध्‍यप्रदेश 9617392373 सम्‍पादकीय स्वतंत्र कुमार की कविताओं को पढ़ते हुये वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’ कविता स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कवि के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कवि अपनी स्मृतियों को अद्यतन करता रहता है, प्रासंगिक बनाता रहता

Full Novel

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स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं - 1

स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविता काव्‍य संग्रह सरल नहीं था यह काम स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना सवित्री सेवा आश्रम तहसील रोड़ डबरा (जिला-ग्‍वालियर) मध्‍यप्रदेश 9617392373 सम्‍पादकीय स्वतंत्र कुमार की कविताओं को पढ़ते हुये वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’ कविता स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कवि के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कवि अपनी स्मृतियों को अद्यतन करता रहता है, प्रासंगिक बनाता रहता ...और पढ़े

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स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं - 2

स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं काव्‍य संग्रह सरल नहीं था यह काम स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना सवित्री सेवा आश्रम तहसील रोड़ डबरा (जिला-ग्‍वालियर) मध्‍यप्रदेश 9617392373 सम्‍पादकीय स्वतंत्र कुमार की कविताओं को पढ़ते हुये वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’ कविता स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कवि के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कवि अपनी स्मृतियों को अद्यतन करता रहता है, प्रासंगिक बनाता ...और पढ़े

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स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं - 3

स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं काव्‍य संग्रह सरल नहीं था यह काम स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना सवित्री सेवा आश्रम तहसील रोड़ डबरा (जिला-ग्‍वालियर) मध्‍यप्रदेश 9617392373 सम्‍पादकीय स्वतंत्र कुमार की कविताओं को पढ़ते हुये वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’ कविता स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कवि के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कवि अपनी स्मृतियों को अद्यतन करता रहता है, प्रासंगिक बनाता ...और पढ़े

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स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं - 4

स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं काव्‍य संग्रह सरल नहीं था यह काम स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना सवित्री सेवा आश्रम तहसील रोड़ डबरा (जिला-ग्‍वालियर) मध्‍यप्रदेश 9617392373 सम्‍पादकीय स्वतंत्र कुमार की कविताओं को पढ़ते हुये वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’ कविता स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कवि के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कवि अपनी स्मृतियों को अद्यतन करता रहता है, प्रासंगिक बनाता रहता ...और पढ़े

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स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं - 5

स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं काव्‍य संग्रह सरल नहीं था यह काम स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना सवित्री सेवा आश्रम तहसील रोड़ डबरा (जिला-ग्‍वालियर) मध्‍यप्रदेश 9617392373 सम्‍पादकीय स्वतंत्र कुमार की कविताओं को पढ़ते हुये वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’ कविता स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कवि के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कवि अपनी स्मृतियों को अद्यतन करता रहता है, प्रासंगिक बनाता रहता ...और पढ़े

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स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं - 6

स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं काव्‍य संग्रह सरल नहीं था यह काम स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना सवित्री सेवा आश्रम तहसील रोड़ डबरा (जिला-ग्‍वालियर) मध्‍यप्रदेश 9617392373 सम्‍पादकीय स्वतंत्र कुमार की कविताओं को पढ़ते हुये वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’ कविता स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कवि के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कवि अपनी स्मृतियों को अद्यतन करता रहता है, प्रासंगिक ...और पढ़े

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स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं - 7

स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं काव्‍य संग्रह सरल नहीं था यह काम स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना सवित्री सेवा आश्रम तहसील रोड़ डबरा (जिला-ग्‍वालियर) मध्‍यप्रदेश 9617392373 सम्‍पादकीय स्वतंत्र कुमार की कविताओं को पढ़ते हुये वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’ कविता स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कवि के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कवि अपनी स्मृतियों को अद्यतन करता रहता है, प्रासंगिक बनाता रहता ...और पढ़े

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स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं - 8

स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं 8 काव्‍य संग्रह सरल नहीं था यह काम स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना सवित्री सेवा आश्रम तहसील रोड़ डबरा (जिला-ग्‍वालियर) मध्‍यप्रदेश 9617392373 सम्‍पादकीय स्वतंत्र कुमार की कविताओं को पढ़ते हुये वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’ कविता स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कवि के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कवि अपनी स्मृतियों को अद्यतन करता रहता है, प्रासंगिक बनाता ...और पढ़े

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स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं - 9

स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं काव्‍य संग्रह सरल नहीं था यह काम स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना सवित्री सेवा आश्रम तहसील रोड़ डबरा (जिला-ग्‍वालियर) मध्‍यप्रदेश 9617392373 सम्‍पादकीय स्वतंत्र कुमार की कविताओं को पढ़ते हुये वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’ कविता स्मृति की पोटली होती है जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कवि के मन में निरंतर चलता रहता है सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कवि अपनी स्मृतियों को अद्यतन करता रहता है, प्रासंगिक बनाता रहता ...और पढ़े

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