"मुझे बच्चा चाहिए।अपना बच्चा" दीना नामर्द था।फिर भी चाहता था।उसकी पत्नी रेवती अपनी कोख से उसे बच्चा पैदा करके दे।पति की बात सुुुनकर रेेवती बोली,"तुम जानते हो नामर्द हो।फिर मेरी कोख से.बचच्चा कैसे होगा।" " मैं नामर्द हूँ तो क्या
Full Novel
एक फूल दो माली (भाग 1)
"मुझे बच्चा चाहिए।अपना बच्चा"दीना नामर्द था।फिर भी चाहता था।उसकी पत्नी रेवती अपनी कोख से उसे बच्चा करके दे।पति की बात सुुुनकर रेेवती बोली,"तुम जानते हो नामर्द हो।फिर मेरी कोख से.बचच्चा कैसे होगा।"" मैं नामर्द हूँ तो क्यावह नामर्द था।जानता था वह बच्चा पैदा करने में सक्षम नही है।इसलिए उसने अपनी पतिव्रता पत्नी को अपने दोस्त मोहन लसल से शारीरिक संबंध जोड़ने के लिए प्रेरित किया।उसकी पत्नी रेवती ऐसा करना नही चाहती थी।लेकिन पति के बार बार जोर देने पर उसने पराये मर्द से संबंध बना लिए।फिर क्या हुआ?रेवती का जन्म बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था।हर लड़की की ...और पढ़े
एक फूल दो माली (भाग 2)
लेकिन वह औरत कोई अजनबी नही उसके दोस्त की पत्नी यानी उसकी भाभी थी।लेकिन थी तो औरत।और एक कश्मकश दिलोदिमाग में होने लगी।एक तरफ रेवती की देह को पा लेने की लालसा दूसरी तरफ रिश्ते की झिझक।अगर कही रेवती ने उसे झिड़क दिया तो वह उसकी नज़रो में हमेशा के लिए गिर जाएगा।वासना का ज्वार बड़ा बुरा होता है।कामवासना के आगे नैतिकता,आदर्श सब आदमी भूल जाता है।मोहन भी अपने आप पर काबू नही रख सका और रेवती के बिस्तर पर जा पहुंचा।मोहन को अपने बिस्तर पर देखकर रेवती अजीब धर्म संकट में फस गई।एक तरफ पतिव्रता धर्म था।दूसरी तरफ ...और पढ़े
एक फूल दो माली (अंतिम भाग)
"मर्द औरत सिर्फ बच्चा पैदा करने के लिए हमबिस्तर नही होते।शारीरिक भूख मिटाना भी जरूरी है।पति पत्नी एक दूसरे शारीरिक भूख मिटाते है।लेकिन तुम नामर्द हो।मेरे शरीर की भूख जगा तो सकते हो पर शांत नही कर सकते।फिर मुझे किस मुह से रोक रहे हो।"दीना अपनी शारीरिक कमजोरी से वाकिफ था।वह यह भी जानता था कि रेवती पराये मर्द से सम्बन्ध जोड़ना नही चाहती थी।लेकिन बच्चे की खातिर दीना ने ही मोहन से सम्बन्ध जोड़ने के लिए पति पर दबाव बनाया था।पति के कहने पर भी उसने मोहन से सम्बंध नही तोड़े और वह एक और बच्चे की माँ ...और पढ़े