मोबाइल में गाँव

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सुनयना को जैसे ही उसके ममा-पापा ने बताया कि इस बार क्रिसमस की छुट्टियों में उसके दादाजी के पास ट्रेन से गाँव जायेंगे, उसकी खुशी का ठिकाना न रहा । जबसे स्कूल के एजुकेशन ट्रिप पर गाँव घूमकर आई उसके अपार्टमेंट में रहने वाली उसकी बेस्ट फ्रेंड श्रेया ने उसे गाँवों के बारे में बताया था तबसे उसकी गाँव घूमने जाने की इच्छा थी । आखिर पापा ने उसकी गाँव जाने तथा ट्रेन में बैठने की इच्छा पूरी कर ही दी ।

Full Novel

1

मोबाइल में गाँव - 1

ट्रेन का सफर-1सुनयना को जैसे ही उसके ममा-पापा ने बताया कि इस बार क्रिसमस की छुट्टियों में उसके दादाजी पास ट्रेन से गाँव जायेंगे, उसकी खुशी का ठिकाना न रहा । जबसे स्कूल के एजुकेशन ट्रिप पर गाँव घूमकर आई उसके अपार्टमेंट में रहने वाली उसकी बेस्ट फ्रेंड श्रेया ने उसे गाँवों के बारे में बताया था तबसे उसकी गाँव घूमने जाने की इच्छा थी । आखिर पापा ने उसकी गाँव जाने तथा ट्रेन में बैठने की इच्छा पूरी कर ही दी । उसके ममा-पापा जब भी कहीं जाते, समय बचाने के लिये हवाई जहाज से ही जाते ...और पढ़े

2

मोबाइल में गाँव - 2 - गाँव की ओर

गाँव की ओर -2पापा चाचा ने मिलकर सामान अपनी गाड़ी में रखा । दिल्ली से अलीगढ़ तथा अलीगढ़ से का रास्ता तय करने में लगभग चार घंटे का समय लगना था । गाड़ी चलाते ही चाचा ने पूछा,‘ हमारी नन्हीं गुड़िया को ट्रेन का सफर कैसा लगा ? बोर तो नहीं हुई । ‘ नहीं चाचाजी, मुझे तो बहुत अच्छा लगा । प्लेन में पता ही नहीं लगता है कि हमने यात्रा की है । सबसे अच्छी बात तो यह रही चाचाजी कि ट्रेन में मुझे ...और पढ़े

3

मोबाइल में गाँव - 3 - चिड़िया चहचहाई

चिड़िया चहचहाई-3 दूसरे दिन सुबह कुछ आवाजें सुनकर सुनयना उठकर गई । उसने माँ को जगाकर उन आवाजों की ओर उनका ध्यान दिलाया । माँ ने बताया ये आवाज बाहर से आ रही चिड़ियों की चहचहाहट है । गाँव की खुली हवा में इनको भी चहकने का अवसर मिल जाता है । शहर में इनको खुली हवा नहीं मिलती । माँ की बात सुनकर सुनयना खिड़की के पास गई और बाहर देखने लगी । उसने देखा खिड़की के बाहर एक बड़े से पेड़ पर अनेकों चिड़ियायें फुदक रही हैं । ...और पढ़े

4

मोबाइल में गाँव - 4 - गाँव की सैर

गाँव की सैर-4 दूसरे दिन चिड़ियों की चहचहाहट सुनकर ही उसकी आँख खुली उसने बाइनोकुलर से चिड़िया के घोंसले की ओर देखा । चिड़िया उन्हें खाना खिला रही थी तथा बच्चे उसकी ओर अपनी चोंच उठाये अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे । दादी की पूजा की घंटी सुनकर वह नीचे आई । वह वहीं चटाई पर बैठ गई । दादी को पूजा करते देखना उसे बहुत अच्छा लग रहा था । कल की ही तरह दादी ने उसे तथा अन्य सबको प्रसाद दिया । आज नाश्ते में मूली के परांठे बनाये थे । नाश्ता कर ...और पढ़े

5

मोबाइल में गाँव - 5 - रामू गन्ना लाया

रामू गन्ना लाया-5 ‘ बच्चों कहाँ हो तुम ? रामू गन्ना लाया है, है क्या ? ’ दादी ने आवाज लगाई । ‘ हाँ दादी । वह अमरूद भी लाया होगा, दादाजी ने उससे कहा था ।’ ‘ हाँ बेटा, अमरूद कल खा लेना । अभी गन्ना चूस लो ।’ दोनों को आते देखकर, दादी ने घर के पिछवाड़े बने एक बड़े से आँगन में एक चारपाई बिछवा दी । सुनयना घर के इस हिस्से में पहली बार आई थी । ममा-पापा अक्सर गाँव की बात करते हुये गाँव के इस ...और पढ़े

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मोबाइल में गाँव - 6 - बरसा पानी झम झमाझम

बरसा पानी झम झमाझम -6 दूसरे दिन सुनयना का मनपसंद नाश्ता और ब्रेड आमलेट बना था । आज सुबह से ही बारिश हो रही थी । बाहर कहीं जा नहीं सकते थे अतः नाश्ता करके सुनयना और रोहन घर के ऊपरी मंजिल पर बनी बालकनी से बारिश देखने लगे । बारिश उसके लिये नई नहीं थी । मुंबई में तो हमेशा ही बारिश होती रहती है । उसके लिए नई बात थी चारों ओर दूर-दूर तक फैले हरे-भरे खेतों को देखना जबकि उसके शहर में हरियाली का नामोनिशान नहीं है । चारों ओर घर ही घर...इंसान ही ...और पढ़े

7

मोबाइल में गाँव - 8 - सेहत के लिए योग आवश्यक

सेहत के लिए योग आवश्यक-8 सुबह चिड़ियों की चहचहाहट से उसकी आँखें गईं । यह तो नित्य का उसका कृत्य बन गया था । खिड़की से अपने बाइनोकुलर से चिड़िया के बच्चों को देखना, फोटो खींचना । सात आठ दिन में ही वे बड़े लगने लगे थे । वे घोंसले में ही फुदक रहे थे पर पर अभी उड़ नहीं पा रहे हैं । तभी उसे याद आया कि आज चाचा ने उसे ट्रैक्टर की सैर कराने के लिये कहा था पर वह उनसे समय पूछना तो भूल ही गई । वह जल्दी से नीचे आई ...और पढ़े

8

मोबाइल में गाँव - 7 - सुनयना चली शुगर फैक्टरी

सुनयना चली शुगर फैक्ट्ररी -7‘ दादी, मुझे ये वाला बटर अच्छा नहीं लगता । आप जो बनाती हैं वह लगता है ।’ परांठे के साथ रखे बटर को देखकर रोहन ने कहा । ‘ दूसरा बटर...।’ रोहन की बात सुनकर सुनयना ने आश्चर्य से पूछा । दरअसल रोहन और चाचा को परांठे के साथ बटर पसंद है । वह भी उनकी देखादेखी बटर खाने लगी तो उसे भी पराँठे के साथ बटर अच्छा लगने लगा है । ‘ हाँ दादी अच्छा बटर बनातीं हैं । ...और पढ़े

9

मोबाइल में गाँव - 9 - ट्रैक्टर की सैर

ट्रैक्टर की सैर-9 नाश्ता के बाद चाचा ने उससे तैयार होने के लिये कहा । वह तैयार होकर आई तो रोहन भी साथ चलने की जिद करने लगा । वह नाश्ता कर चुका था अतः चाची ने उसे भी तैयार कर दिया । ट्रैक्टर में ड्राईवर के बैठने के अलावा किसी अन्य के बैठने की जगह नहीं होती अतः चाचाजी ने सुनयना और रोहन को पहिये के ऊपर बनी जगह पर बैठाकर कहा, ‘ ठीक से बैठ गये हो न, डर तो नहीं लग रहा है । अगर डर लगे बता देना ...और पढ़े

10

मोबाइल में गाँव - 10 - हर साँप जहरीला नहीं होता

हर साँप जहरीला नहीं होता-10 सुनयना ने बाहर आकर साँप के बारे में तो ममा तो घबड़ा ही गईं वहीं चाची ननकू को डाँटने लगीं । तब उसने यह कहते हुये ननकू का बचाव किया कि ननकू अंकल उसे लेकर नहीं गये वरन् वही उसके साथ गई थी । अभी बात हो ही रही थी कि दादाजी आ गये । सारी बातें पता लगने पर उन्होंने कहा, ‘ बेटा, जैसे हम इंसान साँप से डरते हैं वैसे ही साँप भी हम इंसानों से डरता है । अगर वह काटता भी है तो तभी जब उसे ...और पढ़े

11

मोबाइल में गाँव - 11 - पिकनिक में आया मजा

पिकनिक में आया मजा-11 दूसरे दिन सब पिकनिक के लिये तैयार हो । चलते हुये दादाजी ने कहा, ‘ बच्चों अपने एक-एक जोड़ी कपड़े बैग में रख लो जहाँ हम पिकनिक पर जा रहे हैं वहाँ वोटिंग और स्विमिंग भी कर सकते हैं ।’ स्विमिंग की बात सुनकर सुनयना बहुत खुश हुई । वह अच्छी स्विमिंग कर लेती थी । तभी उसे याद आया कि वह तो अपनी स्विमिंग ड्रेस लेकर ही नहीं आई है । उसने निराश स्वर में कहा,‘ दादाजी मैं अपनी स्विमिंग ड्रेस लेकर नहीं आई हूँ ।’ ‘ कोई ...और पढ़े

12

मोबाइल में गाँव - 12 - डैम की सैर

डैम की सैर -12 ‘ बहू अब खाना लगा । सब थक गये होंगे ।’ ‘ हाँ भाभी, खाना लगा दो । जब यहाँ आये हैं तो बच्चों को नरोरा डैम भी दिखा दें ।’ चाचा जी ने कहा । ‘ नरोरा डैम...।’ सुनयना और रोहन ने एक साथ पूछा । ‘ हाँ बेटा, अब हम नरोरा डैम देखने चलेंगे ।’ ममा और चाची खाना लगाने लगीं । जल्दी-जल्दी खाना खाकर हमने सामान पैक करके गाड़ी में रखा तथा चल दिये । नरोरा डेम के पुल ...और पढ़े

13

मोबाइल में गाँव - 13 - चिड़ियों से दोस्ती

चिड़ियाओं से दोस्ती -13 दूसरे दिन सुनयना सोकर उठी । चिड़ियों का रोज जैसा शोर न पाकर उसने खिड़की से बाहर देखा । पेड़ पर घोंसला न पाकर वह चौंक गई । उसने नीचे देखा तो पाया कि नीचे टूटा हुआ घोंसला पड़ा है तथा चिडिया के बच्चे भी वहीं नीचे पड़े हुये हैं । उनमें से तीन में कोई हलचल नहीं है जबकि एक थोड़ा हिल रहा है । दो चिडियायें उसके पास बैठी हैं । शायद उसके ममा-पापा होंगे, उसने मन में सोचा । तभी उसने देखा कि एक चिड़िया, शायद ...और पढ़े

14

मोबाइल में गाँव - 15 - लॉन में पिकनिक

लॉन में पिकनिक-15 उस दिन दादाजी ने शाम को सबको घर के बाहर में एकत्रित होने को कहा । ‘ क्या बात है पिताजी, आपने हमें यहाँ क्यों बुलाया है ?’ अजय ने पूछा । ‘ क्या कोई कारण हो तभी बुलाया जाता है । आज मन किया कि सब लोग एक साथ बैठें ,बातें करें कुछ खायें, पीयें । बच्चों के साथ कुछ गेम खेलें । ‘ ‘ गेम, कौन सा गेम दादाजी ?’ सुनयना ने पूछा । ‘ कहानी सुनाने का । तुम कहती हो कि तुम्हें कहानी ...और पढ़े

15

मोबाइल में गाँव - 14 - नामकरण की दावत

नामकरण की दावत-14 दोपहर को वे सब मास्टरजी के घर गए । उनकी के रुकते ही मास्टरजी बाहर गेट तक आ गए तथा उन्हें अंदर लेकर गए । वहाँ कई लोग थे । घर भी छोटा था । दादाजी, पापा और चाचाजी बाहर बरामदे में बैठ गए जबकि दादीजी, चाचीजी, मम्मी, वह और रोहन अंदर चले गए । कमरे के अंदर से गाने की आवाज आ रही थी । उनको कमरे में आते देखकर वहाँ उपस्थित सभी आंटियों ने दादी का अभिवादन किया । दादी ने उनके अभिवादन का उत्तर दिया । इसी बीच एक ...और पढ़े

16

मोबाइल में गाँव - 17 - चलते-चलते दिल्ली भी घूम लें

चलते-चलते दिल्ली भी घूम लें -17 ममा पैकिंग कर रही थीं पर उसका पैकिंग करने का बिल्कुल भी मन नहीं था । रोहन भी उनके जाने की बात सुनकर बेहद उदास हो गया था । उसे लग रहा था कि काश ! वह यहीं रूक जाती पर यह संभव नहीं था । पापा-ममा की छुट्टियों के साथ उसकी भी छुट्टियाँ समाप्त होने वाली थीं । चाचा के साथ चाची और रोहन को भी उन्हें दिल्ली छोड़ने जाते देखकर सुनयना यह सोचकर खुशी से भर गई कि ...और पढ़े

17

मोबाइल में गाँव - 16 - विदा के पल

विदा के पल-16 एक का समय कैसे बीत गया सुनयना को पता ही नहीं चला । आखिर उनकी वापसी का समय भी आ गया । दो दिन बाद उन्हें लौटना था । एक दिन वह रोहन, पापा, चाचा के साथ क्रिकेट खेल रही थी कि किचन से आती सुगंध को सूँघकर वह किचन में गई । दादी कड़ाही में कुछ भून रहीं थीं तथा चाची और ममा खाने की तैयारी कर रही थीं । ‘ दादी आप क्या बना रही हो ?’ ...और पढ़े

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