कल्पना से वास्तविकता तक।

(16)
  • 107.9k
  • 3
  • 38.5k

कल्पना से वास्तविकता तक!! हमने किसी सुना है कि " इस संसार में जो भी हो रहा है, और जो होने वाला है वो सब पहले से तय है। किसी के कब जन्म होगा ..से लेकर कब मृत्यु की गोद में सोना है ..,सब तयशुदा है।" आपने भी सुना ही होगा ये तो ,क्यूं सही कह रहे हैं ना हम?? लेकिन कभी सोचा है, कि अगर हम किसी दूसरे संसार किसी दूसरी दुनिया में चले गए तब ,तब क्या होगा??नहीं सोचा ना.. हमारी ये कहानी बस इसी कल्पना को छोटी सी उड़ान देती

Full Novel

1

कल्पना से वास्तविकता तक। - 1

कल्पना से वास्तविकता तक!! हमने किसी सुना है कि " इस संसार में जो भी हो रहा है, और होने वाला है वो सब पहले से तय है। किसी के कब जन्म होगा ..से लेकर कब मृत्यु की गोद में सोना है ..,सब तयशुदा है।" आपने भी सुना ही होगा ये तो ,क्यूं सही कह रहे हैं ना हम?? लेकिन कभी सोचा है, कि अगर हम किसी दूसरे संसार किसी दूसरी दुनिया में चले गए तब ,तब क्या होगा??नहीं सोचा ना.. हमारी ये कहानी बस इसी कल्पना को छोटी सी उड़ान देती ...और पढ़े

2

कल्पना से वास्तविकता तक। - 3

कल्पना से वास्तविकता तक:--3 नोट:-- 1.आप सब इस भाग को समझने के लिए पिछले वाले भाग अवश्य पढ़ लें। भाग में प्रयोग लाई गई एक भाषा पूर्णतः काल्पनिक और हमारे द्वारा स्वरचित है किसी भी देश ,राज्य ,या कस्बे की भाषा से मिलना सिर्फ एक संयोग मात्र होगा। 3.यह कहानी किसी भी वैज्ञानिक तथ्य की पुष्टि नहीं करती हैं। दिए गए तथ्य बस कल्पना मात्र हैं।? धन्यवाद!! अब आगे...... कल्कि जब बेहोशी से जागती है ,तब वो पहले तो चारों तरफ़ देख कर हैरान हो जाती है,लेकिन तभी उसे नेत्रा और यूवी का ख्याल आता है ,वो अपने ...और पढ़े

3

कल्पना से वास्तविकता तक। - 2

नोट:-- इस भाग को समझने के लिए ,आप पहला भाग अवश्य पढ़ ले। आगे ....... नेत्रा अपनी पढ़ने में मशगूल थी,शुरुआत से ही नेत्रा को किताबों से एक अलग ही लगाव था,उसको पढ़ना इतना ज्यादा पसंद था कि, अगर कोई किताब उसको दिख जाती थी तो भले ही वो दूर दूर तक उस किताब को समझ ना पाए ,फिर भी उसके पन्ने पलट कर देखने से वो खुद को रोक नहीं पाती थी । उसको जब भी खाली समय मिलता वो उसको अपनी किताबों के साथ बिताती। किताब पढ़ते समय कुछ शब्दों को पेंसिल से रेखांकित करने की ...और पढ़े

4

कल्पना से वास्तविकता तक। - 4

कल्पना से वास्तविकता तक:--4 नोट:-- 1.आप सब इस भाग को समझने के लिए पिछले वाले भाग अवश्य पढ़ लें। 2. यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है तथा किसी भी वेज्ञानीक तथ्य की पुष्टि नहीं करती है।दिए गए तथ्य हमारी कल्पना मात्र हैं। (प्यारे पाठकों ग्रमिल की दुनियां में बोली जाने वाली भाषा हिंदी से अलग है लेकिन इस भाग में, हम उसको हिंदी में ही अनुवादित कर लिख रहे हैं ताकि कहानी की सरलता बनी रहे।) धन्यवाद ?। अब आगे ...... नेत्रा ख्यालों में गोते लगाते हुए ग्रमिल के साथ साथ चल रही थी। धीरे धीरे रास्ते ...और पढ़े

5

कल्पना से वास्तविकता तक। - 5

कल्पना से वास्तविकता तक:--5 नोट:-- 1.इस भाग को पूर्णतः समझने के लिए आप पीछे के सभी भाग अवश्य पढ़ 2.यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है,तथा किसी भी वेज्ञानिक़ तथ्य की पुष्टि नहीं करती है। प्रयोग में लाए गए तथ्य हमारी कल्पना मात्र है। धन्यवाद?। अब आगे..... नेत्रा मैक्सी को अपनी सहमति व्यक्त करती है, जिसमें कल्कि और यूवी भी उसका साथ देती हैं। नेत्रा:" लेकिन इसके लिए मुझे क्या करना होगा सर??" मैक्सी:" पहले तो सर नहीं अंकल कहो,इतने सालों से तरस गया हूं ,अपनों से अपनी सी बातें सुनने के लिए।" मुरझाए से चेहरे से नेत्रा ...और पढ़े

6

कल्पना से वास्तविकता तक। - 6

नोट:-1. भाग पूरी तरह समझने के लिए आप सब पिछले भाग अवश्य पढ़ ले। 2. हमारे द्वारा इस कहानी दिए गए सभी वैज्ञानिक तथ्य कल्पना मात्र हैं। पिछले भाग में आपने पढ़ा कि उन सब को वो उल्टा झरना दिख जाता है और वो वहां से बस कुछ ही दूरी पर खड़े थे। अब आगे..... उन सब के चेहरे पर झरने को देखकर एक अलग ही चमक आ जाती है, सब एक दूसरे की तरफ जीत से भरी मुस्कान से देखते हैं और फिर उस तरफ बढ़ जाते है, जहां उनकी मंजिल का रास्ता उनको ले जाने की कब ...और पढ़े

7

कल्पना से वास्तविकता तक। - 7

पूरी कहानी समझने के लिए आप पहले के भाग हमारी प्रोफ़ाइल विंडो पर देख सकते हैं। अब आगे .... क़िस्मत हमारी जिंदगी में कुछ नया करना चाहती है तब चाहे हम कुछ चाहें या ना चाहें सब अपने आप होता ही जाता है… मानो जिंदगी हमारी ना होकर किसी और की हो जहां हमारा काम बस उतना ही होता है जितना किसी कठपुतली के खेल में एक कठपुतली का होता है। कुछ ऐसा ही खेल किस्मत अब नेत्रा और उसके दोस्तों के साथ भी खेल रही थी। उनमें से कोई नहीं जानता था कि वो जहां है वहां क्यूं ...और पढ़े

8

कल्पना से वास्तविकता तक। - 8

नोट:--कहानी को शुरुआत से पढ़ने के लिए आप हमारी प्रोफ़ाइल विंडो पर फेरा लगाकर अा सकते हैं ...वहां से कहानी आपको आसानी से मिल जाएगी....!अब आगे ....अगर मरते हुए से कहा जाए कि उसे चंद सांसे ज्यादा मिल रही है तो यकीनन उसके चेहरे की खुशी देखने लायक होगी....भले ही बाद में उसका मरना तय ही क्यूं ना हो....!!कुछ यही खुशी उन सबके चेहरों पर भी थी ....उनमें से कोई नहीं जानता था कि वो चमकती रोशनी से नहाया हुआ वो रास्ता उन सबका कहां तक साथ देगा ....ये भी हो सकता था कि...वहां से आगे जाना उनके लिए ...और पढ़े

9

कल्पना से वास्तविकता तक। - 9

इस कहानी को शुरुआत से पढ़ने के लिए आप हमारे प्रोफाइल विंडो पर फेरा लगा सकते हैं धन्यवाद...! "यूवी..! एक बार दरवाजा तो खोल यार ... क्या बचपना है??.. हर बार तुम दोनों की लड़ाई होती है और मुझे बली की बकरी बना देती हो तुमदोनों... नेत्रा ने दरवाजे पर जोर से अपना हाथ पटकते हुए कहा जो लगभग पिछले आधे घंटे से वहां खड़े हुए यही कर रही थी और उसके पास ही कल्कि भी चुपचाप खड़ी हुई थी... जिसको बीच बीच में नेत्रा घुर कर देख रही थी..मानो आंखों से ही कत्लेआम कर देगी ... उसका घुरना ...और पढ़े

10

कल्पना से वास्तविकता तक। - 10

1.पूरी कहानी समझने के लिए आप पिछले भाग, हमारी प्रोफ़ाइल विंडो से पढ़ सकते हैं। हर बार सत्य का होना जरूरी नहीं होता है...क्योंकि जिसे हम सत्य मान कर चल रहे होते हैं...हो सकता है वो संपूर्ण सत्य ना होकर सत्य का सिर्फ एक पहलू मात्र ही उजागर करता हो...और पहलू दर पहलू सत्य का रूप बदल जाता हो... हां लेकिन ये कहना भी गलत नहीं होगा कि संपूर्ण सत्य हमेशा अटल होता है। रेयॉन अंकल का विथरपी और गोलक्ष दोनों जगह होना ..कल्कि और नेत्रा को एक सत्य को नकारने पर विवश कर रहा था। जीली और ग्रमिल ...और पढ़े

11

कल्पना से वास्तविकता तक। - 11

पूरी कहानी को शुरुआत से पढ़ने के लिए आप हमारी प्रोफाइल पर फेरा लगा सकते हैं। दुनिया में अगर कही बात हर किसीकी समझ आ जाती तो यक़ीनन आपसी उलझनों का तो धंधा ही चौपट हो जाता, लेकिन ना तो हर कोई समझ पायेगा और ना ही कभी उलझनों का कभी कोई घाटा होगा। सभी को उनकी बातें तो आसानी से समझ आ रही थी लेकिन बातों का अर्थ समझना मुश्किल लग रहा था। "अंकल आप हमें पहेलियाँ क्यों बुझ रहे हो ? इतने नाजुक समय पर भी आप सीधी बात नहीं बता रहे हो,ऐसे तो हमें कुछ भी ...और पढ़े

12

कल्पना से वास्तविकता तक। - 12

अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं तो , आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत मिल जाएगी। उम्मीद भी बहुत बुरी चीज़ है ,जब तक मिलती नहीं तब तक मिलने की तड़प रहती है ,और जब मिलकर टूट जाए तो नाउम्मीदी से भी ज्यादा दुःख देती है…. तभी तो कहते है कि “”उम्मीद भले हमें कुछ देरी से दो या न ही दो,पर यूँ देके उम्मीद हमें भी उसके साथ,तोड़ जाने की गुस्ताख़ी तुम मत करना। “”रेयॉन की बातें सुनकर सब के मन में एक बार फिर से उम्मीद की किरण जाग जाती है। “आपके ...और पढ़े

13

कल्पना से वास्तविकता तक। - 13

अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से जाएगी। हर घटना के होने का एक सही समय निर्धारित होता है, न ही उस से पहले तो, ना ही उसके बाद उस घटना के होने का कोई औचित्य ही रह जाता है। अब रात ढलने के बाद अगर सूरज दोपहर को उगे तो ?? या आधी रात को ही उग आये तो …तो शायद उसका आना सभी के लिए परेशानी देने वाला वाला ही होगा। इसलिए हर होनी की अच्छाई उसके होने के समय पर भी निर्भर करती है। ...और पढ़े

14

कल्पना से वास्तविकता तक। - 14

हर किसी को नापसंद करने की अक्सर कुछ न कुछ वज़ह होती है ,लेकिन पसंद कभी कभी कुछ सख़्श, बातें, कुछ लम्हे, कुछ जगह , यूँ ही बेवजह आ जाया करते है। गोलक्षी मिशेल को बिलकुल भी पसंद नहीं करते थे उसकी वजह भी थी उन सबके पास क्यूंकि उसने उनसे उनकी आजादी छीन ली थी। लेकिन अब धीरे धीरे उन गोलक्षियों को पृथ्वीवासी और विथरपी वासी पसंदआने लगे थे, कोई ठोस वजह नहीं थी बस पसंद करने लगे थे। तभी तो वो गोलक्षी (मिशेल ) की बजाय उनका साथ देने को तैयार हो गए थे। वहीँ दूसरी और ...और पढ़े

15

कल्पना से वास्तविकता तक। - 15

अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से जाएगी। जीवन या मृत्यु का निर्धारण करना किसी के भी हाथ में नहीं होता है लेकिन अगर हमारे कर्म मृत्यु को प्राप्त करने योग्य है ,तो जीवन का मूल उद्देश्य अक्सर धुंधला पड़ जाता है ,और हमारे कर्म ही हमें मृत्यु की राह पर हर बार एक कदम आगे धकेल देते हैं । “तो आप सभी को कुछ तो अंदाजा होगा ही कि मिशेल ने अपने हिस्सों को किस तरह और कहाँ कहाँ रखा हुआ है ? ” नेत्रा ने ...और पढ़े

16

कल्पना से वास्तविकता तक। - 16

अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से जाएगी।.... अगर हमारे मन में किसी भी चीज़ को पाने या किसी भी कार्य को करने की इच्छा प्रबल है तो उस तक पहुंचने के रास्ते भी बन ही जाते हैं। मंजिल मिलने के बाद फर्क नहीं पड़ता कि रास्ता कितना बड़ा था क्यूंकि तब हमें उम्मीद होती है कि आखिर में ये रास्ता हमें मंजिल तक पहुंचा ही देगा। जग्गू ने भी सच ही कहा है कि “कुछ मन्नतों से भी मिल जाए तो अच्छा ही होगा ,बिन मिले ...और पढ़े

17

कल्पना से वास्तविकता तक। - 17

अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से जाएगी।कहते है उम्मीद पर दुनिया टिकी है लेकिन मुझे लगता है कि उम्मीद से भी ज्यादा कुछ मायने रखता है और वो है हौसला, क्यूंकि अगर हम कभी मंजिल से पहले रास्तों पर चलते चलते गिर भी गए तब भी गिरने से भले हमारी उम्मीद टूट सकती है लेकिन अगर हम में गिरकर उठने का हौसला है तो हमें हमारे लक्ष्य को पाने से कोई नहीं रोक सकता है। जग्गू ने भी क्या खूब कहा है कि...... शिद्दत से कोशिश ...और पढ़े

18

कल्पना से वास्तविकता तक। - 18

अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से जाएगी।जिंदगी में अक्सर ऐसा होता है कि हम सब पाने के लालच में अपना बहुत कुछ पीछे ही छोड़ जाते हैं...और जब सब पाने की स्थिति बनती है तब मालूम पड़ता है कि जो सबसे पीछे छूट गया है वही तो सब था , वही तो सबसे कीमती था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।बामी युवी को एक बार पैनी नजरों से देखता हुआ वहां से चला जाता है, वो एक घर से बाहर निकलता है जो ...और पढ़े

19

कल्पना से वास्तविकता तक। - 19

अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से जाएगी। जब भी आपको लगे कि आप हार रहे हैं, तब हार मान कर हथियार फेंक देना ही हमारी सबसे बड़ी हार होती है, लेकिन अगर हम हथियार ना डालकर खुद को और बेहतर बनाने का निरंतर प्रयास करें तो यकीनन उस हार से बड़ी जित पर हमारे कदम एक न दिन अवश्य पड़ते हैं। युवी और नित्य दोनों इस हद तक घबरा गए थे मानो काटो तो खून नहीं,....... उन में से किसी को भी ये उम्मीद नहीं थी ...और पढ़े

20

कल्पना से वास्तविकता तक। - 20

अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से जाएगी।जैसे ही युवी नेत्रा को पूरी बात बताती है तो कुछ पल के लिए नेत्रा एक गहरी सोच में डूब जाती है, उसके चेहरे के भाव उन क्षणों में पूरी तरह गायब हो जाते है। रेयॉन और कल्कि भी एकटक उसकी तरफ़ ही देख रहे थे। “ क्या हुआ नेत्रा वहां सब ठीक तो है ना ??” युवी ने किसी अनहोनी की आशंका से नेत्रा से पूछा। “ हं..... हाँ..... मेरा मतलब हाँ वहां सब ठीक है। “ नेत्रा ने ...और पढ़े

21

कल्पना से वास्तविकता तक। - 21

अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से जाएगी।पता है अक्सर हमें लगता हैं कि हम चाहें तो हर चीज को बदल सकते हैं.. लेकिन कुछ बातों को बदलना संभव नही होता है.... संभव होता है तो सिर्फ़ उनके होने को स्वीकार करना..! मिशेल धीरे धीरे हवा में ऐसे ग़ायब हो गया था मानो वो कभी अस्तित्व में ही ना हो...... उसी के साथ गायब हो रहे थे, वो चमकीले पत्थर जो वजूद में ही सिर्फ और सिर्फ मिशेल की वज़ह से थे। गोलक्ष वासियों ने पहली बार ...और पढ़े

22

कल्पना से वास्तविकता तक। - (अंतिम भाग)

अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से जाएगी।जो चीज़ जिस जगह के लिए बनी होती है अगर वो वही रहे तो वही उसके लिए सही होता है क्योंकि उसकी अहमियत सिर्फ़ उसको खोने वाले ही समझ सकते हैं... क्योंकि दीपक की कीमत सिर्फ़ अंधेरा जानता है.. रोशनी को उसके वजूद से कभी कोई फ़र्क़ नही पड़ता है ।बामी धीरे धीरे अपनी चेतना खो चुका था और जैसा की उसने कहा था वो सब उसके द्वारा बताई गयी चाभी की सहायता से मिशेल के घर के उस कोने ...और पढ़े

अन्य रसप्रद विकल्प