अंतर्द्वन्द (भाग -1)वह माँ को देखती आई थी, पापा के आगे पीछे नाचते हुए, उन्हें हर वस्तु हाथ में पकड़ाते हुए, बात बेबात पापा की झिड़की खाते हुए, तो सोचती मम्मी कम पढ़ी लिखी हैं, इसलिये पापा ज्यादा धौंस जमाते हैं।वह कहती"ये क्या पापा, ये कोई बात करने का तरीका है, आप कमाते हो तो मम्मी भी तो घर संभालती हैं, इसलिये आप दोनों बराबर हो, न कोई छोटा न बड़ा ,आप मम्मी से ऐसे कैसे बात कर सकते हो ? "वह अक्सर पापा से लड़ जाया करती थी।पापा भी अपनी बेटी की हर बात चुपचाप सुन लिया करते थे।फिर

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अन्तर्द्वंद - 1

अंतर्द्वन्द (भाग -1)वह माँ को देखती आई थी, पापा के आगे पीछे नाचते हुए, उन्हें हर वस्तु हाथ में हुए, बात बेबात पापा की झिड़की खाते हुए, तो सोचती मम्मी कम पढ़ी लिखी हैं, इसलिये पापा ज्यादा धौंस जमाते हैं।वह कहती"ये क्या पापा, ये कोई बात करने का तरीका है, आप कमाते हो तो मम्मी भी तो घर संभालती हैं, इसलिये आप दोनों बराबर हो, न कोई छोटा न बड़ा ,आप मम्मी से ऐसे कैसे बात कर सकते हो ? "वह अक्सर पापा से लड़ जाया करती थी।पापा भी अपनी बेटी की हर बात चुपचाप सुन लिया करते थे।फिर ...और पढ़े

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अंतर्द्वन्द - 2

अंतर्द्वन्द - 2अभी तक आपने पढ़ा कि नेहा अपनी ससुराल में अपने पति निखिल के साथ बहुत खुश थी तभी एक दिन सासूमाँ की तानाकशी से तंग आकर उसने निखिल से शिकायत की तो फिर क्या हुआ आगे पढ़िए-नेहा भी गुस्से से बोले जा रही थी "सासूमाँ मुझसे क्यों नफरत करती हैं, में इतने महीने से देख रही हूँ, कि वह मुझसे ठीक से बात भी नहीं करती हर वक्त मुझे सुनाती रहती हैं।इतना सुनना था कि निखिल बुरी तरह नेहा पर बरस पड़ा -"अब देखूँगा में तुझे ,बहुत ज्यादा जवान चल रही है तेरी" रात का वक्त था,वह ...और पढ़े

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अंतर्द्वन्द - 3

अंतर्द्वन्द - 3आखिर रूठे हुए निखिल को,नेहा मना ही लेती है।लेकिन वो पहले की तरह सामान्य नहीं हो पाती।कुछ दिन बाद करवाचौथ का त्यौहार आता है,वह बहुत खुश थी क्योंकि यह उसका पहला करवाचौथ था।करवाचौथ से एक दिन पहले उसका भाई त्योहार का सारा सामान दे जाता है ।करवा चौथ वाले दिन उसने निर्जल व्रत रखा था ,वह बहुत उत्साहित थी ।पूजा के समय, मायके से आया सारा सामान खोला गया, तो सासुजी को पता नहीं क्या कमी नजर आई ? कि उनका मूड खराब हो गया और अगले दिन उसी बात को लेकर नेहा को खूब सुनाया ।अब ...और पढ़े

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अंतर्द्वन्द - 4

अभी तक आपने पढ़ा कि नेहा गर्भवती हो जाती है।नेहा बहुत खुश थी और सोच रही थी कि शायद उसकी स्थिति पहले से बेहतर हो जाए, आखिर उनके परिवार के अंश को जन्म देने वाली थी ।लेकिन ऐसा न हो सका; अब भी सब अपने एक - एक काम के लिये उस पर निर्भर थे।वह ऐसी हालत में भी घर के सारे काम करती।खाना,कपड़ा,बर्तन,साफ सफाई ,कपड़ों पर इस्त्री करना आदि।इस पर भी जरा भी लेट हो जाती या कोई कमी रह जाती तो उसको दस बातें सुननी पड़तीं।इस तरह मानसिक तनाव और काम के बोझ के कारण उसका गर्भपात ...और पढ़े

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अंतर्द्वन्द - 5

अंतर्द्वन्द -5अभी तक आपने पढ़ा कि नेहा एक बेटी की माँ बन जाती है।अब आगे पढिये :- वह बहुत है कि चलो पराये से लगने वाले इस घर में कोई तो ऐसा आया, जिसे वह अपना कह सकती है।उसके मासूम चेहरे को देखकर, वह सारी मानसिक पीड़ा भूल जाती है। लेकिन उसकी यह खुशी ज्यादा दिन तक कायम नहीं रहती ।बेटी होने के चौदहवे दिन, एक दिन वह अपनी बेटी को लेकर अपने कमरे में बैठी हुई थी, कि तभी निखिल दनदनाता हुआ कमरे में आता है और उससे कहता है "सारा दिन बिस्तर पर पड़ी रहती है ।कुछ काम ...और पढ़े

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अंतर्द्वन्द - 6

अंतर्द्वन्द - 6अभी तक आपने पढ़ा कि नेहा की समय से पूर्व डिलीवरी हो जाती है और बच्चे की नहीं बच पाती है।अब आगे पढ़िए :- वह अपने दुख से उबर भी नहीं पाती कि तभी एक महीने बाद, बाथरूम से सासुजी के जोर जोर से बड़बड़ाने की आवाजें आ रही थीं।सासुजी नहाती जा रही थीं और नेहा के बारे में भला बुरा कहे जा रही थीं।क्योंकि उनका ब्लाउज उधड़ा हुआ था, जिसे नेहा सिल नहीं पाई थी।'निखिल' माँ की बातें सुनकर कमरे में आया और नेहा को डाँटते हुए बोला "सारा दिन क्या करती रहती ...और पढ़े

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अंतर्द्वन्द - 7

नेहा सामान लौटाकर मायके से ससुराल आती है ।वह रात के नौ बजे घर आकर लगती है।आते ही निखिल उसकी माँ का वही नाटक शुरू हो जाता है।वह नेहा से कहते हैं"अब उनसे(नेहा के मायके वाले) हमारा रिश्ता खत्म, अब तू वहाँ कभी नहीं जाएगी, चाहे कुछ भी हो जाये"।वह ख़ामोश रही और रात भर रोती रही। सुबह होते ही वह फिर से शुरू हो गए तो अचानक उसे अपने भाई की कसम याद आ गई और वह आत्मविश्वास से भर गई,उस समय उसके दिमाग में एक ही विचार आया "चाहे मुझे आज ही बच्चों को लेकर इस घर ...और पढ़े

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