लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (1) धरम की गिनती असामाजिक तत्वों में होने लगी थी। परिवार वाले उसकी मारपीट और गुंडागर्दी से तंग आ आ गये। पुरे मोहल्ले में बेड ब्वॉय की छबी धारण करने वाला धरम कुख्यात था। सज्जन व्यक्ति अपने बच्चों को धरम जैसा नहीं बनने का संदेश देना अपना कर्तव्य समझते थे। किन्तु यह वहीं धरम था जो म्युनिसिपल कार्पोरेशन वालों को फोन पर डरा-धमका कर मोहल्लें की साफ-सफाई करवा लिया करता था। एरिया में बिजली गुल होने पर सभी धरम को ही ढूंढते थे। उसके एक फोन पर विद्युत विभाग के कर्मचारी वहां

Full Novel

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 1

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (1) धरम की गिनती असामाजिक तत्वों में होने लगी थी। परिवार उसकी मारपीट और गुंडागर्दी से तंग आ आ गये। पुरे मोहल्ले में बेड ब्वॉय की छबी धारण करने वाला धरम कुख्यात था। सज्जन व्यक्ति अपने बच्चों को धरम जैसा नहीं बनने का संदेश देना अपना कर्तव्य समझते थे। किन्तु यह वहीं धरम था जो म्युनिसिपल कार्पोरेशन वालों को फोन पर डरा-धमका कर मोहल्लें की साफ-सफाई करवा लिया करता था। एरिया में बिजली गुल होने पर सभी धरम को ही ढूंढते थे। उसके एक फोन पर विद्युत विभाग के कर्मचारी वहां ...और पढ़े

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 2

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (2) धरम अपने घरवालों से फोन पर बात कर रहा था। देखकर टीना ने भी पिता विश्वनाथ को अपनी खैरियत की जानकारी दे दी। धरम अखबार पढने में व्यस्त हो गया। अखबार पढने के बाद उसकी खाना बनाने की योजना थी। टीना नहाने चली गयी। धरम टीना के बाथरूम से बाहर आने की प्रतिक्षा कर रहा था। टीना! जल्दी बाहर आओ। मुझे फ्रेश होने जाना है धरम ने टीना से कहा। अरे अभी तो मैंने नहाना शुरू ही किया है। अभी नहीं आ सकती टीना बोली। बाद में नहा लेना। इमरजेन्सी ...और पढ़े

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 3

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (3) दरवाजे की डोर बैल बज रही थी। टीना ने मैजिक से झांक कर देखा। बाहर किराना सामान लेकर एक युवक खड़ा था। टीना ने दरवाजा खोल दिया। मैडम जी! ये आपका किराना सामान! द्वार पर खड़े युवक ने टीना से कहा। हां लाईये। इधर एक तरफ रख दीजिये। टीना ने उस युवक से कहा। धरम! बाहर तो आना जरा। किराना सामान आया है इसका पेयमेन्ट करना है। टीना ने धरम को आवाज़ लगाई। धरम बेडरूम से बाहर आया। भाई ऑनलाइन पेयमेन्ट लेते हो न! धरम ने किराने का सामान लेकर ...और पढ़े

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 4

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (4) टीना! यह नहीं हो सकता। वो मर चूकी है। विश्वास करो। धरम ने टीना को समझाने का प्रयास किया। मगर टीना थी की मानने को तैयार ही नहीं हो रही थी। टीना ने धरम को बताया की आज रात वह फिर से उसके सपने में आयेगी। क्योंकी निवेदिता ने उससे कहा है कि इस बार वह टीना की जान लेकर रहेगी। धरम टीना को अपने हृदय से लगाये हुये था। वह उसे पीठ पर हाथों से सहला रहा था। टीना अब कुछ शांत हो थी। धीरे-धीरे वह पुनः नींद के ...और पढ़े

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 5

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (5) सुबह की पहली किरण के साथ ही टीना की नींद गयी। धरम भी जाग चूका था। रात को हुये घटनाक्रम की परछाई दोनों के चेहरे पर साफ देखी जा सकती थी। धरम! मुझे लगता है हमें घरवालों को सबकुछ बता देना चाहिए। टीना ने धरम से कहा। नहीं टीना! इससे वे लोग घबरा जायेंगे। धरम बोला। फिर हम ये घर छोड़ देते है। टीना ने अगला रास्ता सुझाया। इससे क्या निवेदिता से हम बच जायेंगे। नहीं। वह हमें ढुंढ ही लेगी। धरम बोला। फिर तुम ही बताओ। हम इस चुड़ेल ...और पढ़े

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 6

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (6) सुबह हो चूकी थी। धरम बुरी तरह घायल था। टीना पीठ पर मरहम लगा रही थी। "धरम! क्या जरूरत थी मुझे बचाने की। मुझे तो आदत हो गयी थी उसके हाथों मार खाने की।" टीना बोली। वह धरम के जख़्मों को देखकर निराश थी। "अपने आंखों के सामने तुम्हें मार खाते कैसे देख सकता था।" धरम बोला। "हां हां मोहल्ले के हीरो जो ठहरे।" टीना ने व्यंग कसा। "मुझे तो बस तुम्हारा हिरो बनना है टीना। ओर किसी का नहीं।" धरम ने कहा। "अब ज्यादा रोमांटिक होने की जरूरत नहीं ...और पढ़े

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 7

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (7) धरम अपने बारे में बता रहा था। नींद कब लगी स्वयं पता नहीं चला। टीना भी गहरी नींद में चली गयी। सुबह हो चूकी थी। धरम ने आंखें खोलकर घड़ी की ओर देखा। उसे आश्चर्य हुआ की सुबह के नौ बज चुके थे। टीना भी अब तक सोयी हुई थी। उसने टीना को हाथों के स्पर्श से हिलाया। "टीना! टीना! उठो! टीना उठो।" धरम दोहरा रहा था। टीना घबरा कर उठी। "क्या हु धरम?" टीना ने पुछा। "टीना हम सोते रहे गये। सुबह हो चुकी है। देखो।" धरम ने बताया। ...और पढ़े

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 8 - अंतिम भाग

लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (8) "धरम! ये तुम्हें क्या हो गया है। जागो! ये पापीन दोनों को मारकर संसार में हा-हा-कार मचा देगी।" बाबा टपाल की आत्मा से ये आवाज़ें धरम को जगाने के लिए उठ रही थी। बाबा टपाल को निश्चित ही निवेदिता ने अपने वश में कर लिया था, मगर उसकी आत्मा अब भी स्वतंत्र थी। वह केवल धरम को दिखाई दे रही थी। धरम का मोह भंग हुआ। वह जागा। अपने पास में बैठी निवेदिता को देखकर वह उठ खड़ा हुआ। लेकिन निवेदिता के आगे उसकी एक न चली। उसने धरम को ...और पढ़े

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