उलझन डॉ. अमिता दुबे एक नीचे के फ्लैट में जब से अंशी यानि अंशिका रहने आयी है तब से सोमू यानि सौमित्र का जीवन ही बदल गया है। इससे पहले सोमू तो केवल ‘बोर’ होता था। घनी आबादी के बड़े से मकान में बाबा-दादी, चाचा-चाची और मम्मी-पापा के साथ रहते हुए जब सोमू इस बहुमंजिली इमारत में तीन बैड रूम वाले फ्लैट में रहने आया तो शुरू-शुरू में उसे बहुत अच्छा लगा। इसे सहारागंज के ‘होम टाउन’ से खरीदकर स्टाइलिश बैड, वाॅडरोब, स्टडी टेबिल और बड़े से टेडी बियर से सजाया था। गृह प्रवेश की पूजा के बाद जब उसने

Full Novel

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उलझन - 1

उलझन डॉ. अमिता दुबे एक नीचे के फ्लैट में जब से अंशी यानि अंशिका रहने आयी है तब से यानि सौमित्र का जीवन ही बदल गया है। इससे पहले सोमू तो केवल ‘बोर’ होता था। घनी आबादी के बड़े से मकान में बाबा-दादी, चाचा-चाची और मम्मी-पापा के साथ रहते हुए जब सोमू इस बहुमंजिली इमारत में तीन बैड रूम वाले फ्लैट में रहने आया तो शुरू-शुरू में उसे बहुत अच्छा लगा। इसे सहारागंज के ‘होम टाउन’ से खरीदकर स्टाइलिश बैड, वाॅडरोब, स्टडी टेबिल और बड़े से टेडी बियर से सजाया था। गृह प्रवेश की पूजा के बाद जब उसने ...और पढ़े

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उलझन - 2

उलझन डॉ. अमिता दुबे दो शाम को मम्मी-पापा अनुज अंकल से मिलने उनके घर गये। सौमित्र किताब खोलकर बालकनी बैठ गया लेकिन उसका पढ़ने में मन नहीं लग रहा था। अचानक बिजली चली गयी और इनवर्टर की लाइट का फीकापन उसे अच्छा नहीं लगा। वह भी ताला बन्द कर नीचे उतर गया। उमंग को खिलाने के लिए वह अनुज अंकल के घर चला गया। जहाँ ड्राइंगरूम में मम्मी-पापा, अंकल-आण्टी, दादी माँ और अंशिका की मम्मी यानी बुआ जी बैठी थीं। बुआ जी के सामने चाय का कप रखा था जिसमें मलाई पड़ गयी थी। अंशिका की मम्मी रो रहीं ...और पढ़े

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उलझन - 3

उलझन डॉ. अमिता दुबे तीन मम्मी-पापा के साथ शनिवार की शाम सौमित्र अपनी दादी के घर गया। अंशिका की से बात करने के बाद उसे अपनी दादी की बहुत याद आयी। वह सोचने लगा अंशिका अपनी दादी से मिल नहीं पा रही है तो वह कितना दुःखी है और दादी भी किस तरह परेशान हो रही हैं एक वह है कि जिसे दादी का प्यार मिल सकता है परन्तु वह उनके पास जा भी नहीं पाता या जाना ही नहीं चाहता। सौमित्र को अपनी दादी पहले से बहुत दुबली और बूढ़ी लगीं कुछ देर बैठकर वे लोग लौट आये। ...और पढ़े

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उलझन - 4

उलझन डॉ. अमिता दुबे चार अंशिका बहुत दुविधा में है। यह बात वह सौमित्र को बताये या न बताये। वह सौमित्र को बताती है तो कहीं वह मैम को बता देगा तो बहुत बुरा होगा। लेकिन अगर वह सोमू को नहीं बताती है तो वह इतनी बड़ी बात पचाये कैसे ? बहुत सोचने के बाद उसने तय किया कि वह सोमू को सब कुछ बतायेगी लेकिन पहले यह वायदा ले लेगी कि सोमू इसे किसी को नहीं बतायेगा। ‘सोमू ! तुम्हें एक बात बताऊँ।’ होमवर्क करते हुए अंशिका ने कहा। ‘हाँ बताओ।’ सोमू ने लापरवाही से उत्तर दिया। ‘पहले ...और पढ़े

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उलझन - 5

उलझन डॉ. अमिता दुबे पाँच एक दिन पापा घर पर ही थे। आज सुबह से ही उनकी तबियत कुछ थी। इसी कारण बादल भी रहमान के साथ नहीं गया था। कई दिनों से तो वह स्कूल भी नहीं जा रहा था। पापा के पूछने पर उसने छुट्टी होने की बात कही। पापा सामने तख्त पर लेटे थे और वह दरवाजे के पास कुर्सी डालकर किताब लेकर बैठ गया। किताब सामने खुली थी और उसका ध्यान कहीं और था। रह-रहकर उसे रहमान की याद आ रही थी। वास्तव में उसे पान-मसाले की तलब लग रही थी जिसका वह पिछले छः ...और पढ़े

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उलझन - 6

उलझन डॉ. अमिता दुबे छः अंशी ने जैसे कुछ सुना ही नहीं आगे बताने लगी - ‘एक दिन एक जी को मुहावरा मिला - ‘थाली का बैगन’ वे बेचारे समझाते-समझाते हार गये लेकिन आण्टी जी थाली और बैगन तक नहीं पहुँची। जब वे थाली का इशारा करते तो आण्टी जी चाँद बतातीं और जब वे बैगन का इशारा करते तो आण्टी जी लड्डू कहतीं। चाँद और लड्डू के बीच का कोई मुहावरा वे नहीं जोड़ सकीं बाद में थाली का बैगन जानकर खूब पछतायीं अरे, कितना आसान था।’ अंशिका मुदितमनः थी। ‘और अंशी, उस दिन जो एक श्रीमती जी ...और पढ़े

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उलझन - 7

उलझन डॉ. अमिता दुबे सात अभिनव को बहुत दुःख हुआ। वह सौमित्र का हाथ पकड़कर कहने लगा- ‘सोमू ् बादल ने मेरे सिर पर बैट मार कर गलती की थी तो मैंने भी उसके साथ कौन सा अच्छा व्यवहार किया ? मैंने भी तो अपने डैडी की हैसियत का घमण्ड दिखाकर उसके पिताजी को सीधे-सीधे अपशब्द कहे थे। उसे उसकी औकात बतायी थी। उसकी प्रतिक्रिया स्वाभाविक थी। उसकी जगह मैं होता तो मैं भी यही करता जो उसने किया बल्कि शायद इससे भी कुछ अधिक कर जाता। जब गलती दोनों की थी तो अकेले सजा उसी को क्यों ? ...और पढ़े

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उलझन - 8

उलझन डॉ. अमिता दुबे आठ दादी का मानना कि इस प्रकार से लड़कियों को छूट देना उनकी जिद्द पूरी किसी प्रकार ठीक नहीं। उन्होंने यह बात जब सौमित्र के पापा को बतायी तो उन्होंने कहा - ‘अगर कलिका जाना चाहती है और उसकी टीचर्स एलाऊ करती हैं तो दीदी को उसे जाने देना चाहिए। जीजाजी के पास पैसों की कमी तो है नहीं वैसे भी स्कूल वाले एक अकेली बच्ची को तो भेजेंगे नहीं पूरा ग्रुप जा रहा होगा। मैं बात करुँगा जीजा जी से। केवल लड़की है इसलिए ऐसा मत करो मैं नहीं मानता। उसकी क्षमता, रुचि और ...और पढ़े

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उलझन - 9

उलझन डॉ. अमिता दुबे नौ अंशिका की उदासी उसकी सहेली सौम्या ने अनुभव की तभी स्कूल गेट पर उतरते पूछने लगी - ‘क्यों अंशिका, क्या आज तबियत ठीक नहीं है। बहुत सुस्त लग रही हो।’ ‘नहीं तो तबियत ठीक है। कोई खास बात भी नहीं है।’ अंशिका ने टाला। ‘पता नहीं कुछ मौसम का असर होगा।’ कहकर सौम्या आगे बढ़ गयी। उसके पीछे सुस्त कदमों से जाती हुई अंशिका को देखकर सौमित्र सोच में पड़ गया। जरूर वकील साहब के यहाँ कुछ ऐसी बात हुई है कि अंशी इतनी परेशान है। स्कूल से लौटकर सौमित्र ने अंशी से पूछा ...और पढ़े

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उलझन - 10

उलझन डॉ. अमिता दुबे दस सौमित्र की पढ़ाई तेज गति से चल रही है। उसमें बाध्ज्ञा आने पर उसे गुस्सा आता है लेकिन वह कर भी क्या सकता है ? जब उलझनें दोस्तों के रूप में आकर खड़ी हो जाती हैं। अभी बादल का मामला कितनी मुश्किल से निपटा है अब हेमन्त की समस्या आकर खड़ी हो गयी। इस समस्या को कैसे निपटाया जाय ? इसी उलझन में है सौमित्र। हेमन्त उसका सहपाठी है और पढ़ाई में भी अच्छा है। नवीं की परीक्षा में हिन्दी व अंग्रेजी विषयों में उसे धक्का देकर पास किया गया था, लेकिन बोर्ड में ...और पढ़े

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उलझन - 11

उलझन डॉ. अमिता दुबे ग्यारह अंशिका की दोस्त भूमि आजकल खूब खुश है। उसकी खुशी फूटी पड़ रही है उसके पापा का ट्रांसफर हो गया था वे चले गये थे, लेकिन बोर्ड परीक्षा होने के कारण उसे शिफ्ट करना वे ठीक नहीं समझते इसलिए मम्मी और वह इक्जाम्स तक यहीं रहने वाली हैं। भूमि खुश इसलिए है कि पापा के सामने वह बन्धन महसूस करती है। पापा टोका-टाकी भी करते हैं और जरूरत पड़ने पर डाँटते भी हैं। भूमि भरसक जवाब देती है लेकिन एक लिमिट तक क्योंकि उसे डर है कि कहीं बात-बात की बहस बढ़ गयी तो ...और पढ़े

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उलझन - 12

उलझन डॉ. अमिता दुबे बारह सोमू की दादी की पहल पर सौमित्र और अंशिका के साथ हेमन्त रोज एक हिन्दी पढ़ने लगा। सौमित्र के मैथ्स और साइंस के टीचर अभी पढ़ा ही रहे होते कि हेमन्त चुपके से आकर बरामदे में बैठ जाता। सर के जाने के बाद क्लासरूम बदल जाता। अब सर की कुर्सी पर दादी होतीं और सामने तीन विद्यार्थी। शुरू-शुरू में तो हेमन्त को एक घण्टा बैठना बोझिल लगा लेकिन जैसे-जैसे पढ़ाई आगे बढ़ने लगी उसे मजा आने लगा। रोज आध्ज्ञा घण्टा वे काव्य पढ़ते और उसके बाद गद्य या संस्कृत। काव्य की पुस्तक में सूर, ...और पढ़े

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उलझन - 13

उलझन डॉ. अमिता दुबे तेरह बहुत दिनों बाद दादी को घर, घर जैसा लग रहा था। ऐसा उनके हाव-भाव पता चल रहा था। सबने मिलकर खाना खाया। अभी आता हूँ दीदी जाइयेगा मत’ कहकर चाचा बाहर चले गये। दस मिनट बाद लौटे तो उनके हाथ में पान की पुड़ियाँ थीं जिसमें सादा पान दादी के लिए, मम्मी व बुआ के लिए मीठा पान और चाची के लिए गरी इलाइची वाला पान। पापा और चाचा हमेशा से सबके पानों में से थोड़ा-थोड़ा टुकड़ा खाकर संतुष्ट हो गये। साढ़े दस बज रहे थे घर में ऐसी रौनक थी मानो अभी शाम ...और पढ़े

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उलझन - 14

उलझन डॉ. अमिता दुबे चैदह ड्राइवर ने पूरा घटनाक्रम बता डाला। जो बात माॅल के अन्दर रहते हुए भूमि, सौम्या आदि को नहीं पता थी वह बात पार्किंग में बाहर खड़े ड्राइवर को चटपटे मसाले के साथ पता थी। चाँदनी कुछ कहने जा रही थी कि भूमि ने उसे इशारे से रोक दिया। वैसे तो सबसे पहले लतिका का घर पड़ता था लेकिन शार्टकट से सबसे पहले सौम्या के घर चलने का निर्देश भूमि ने ड्राइवर को दिया। सौम्या की गली के सामने पहुँचकर सब लड़कियाँ कार से उतर गयीं और सौम्या को घर तक पहुँचाने चल पड़ीं। सबने ...और पढ़े

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उलझन - 15

उलझन डॉ. अमिता दुबे पन्द्रह रविवार को सुबह दस बजे अंशिका सोमू के मम्मी-पापा के साथ कलिका के यहाँ गयी। वह सोमू के साथ खड़े होकर लाॅन में की जाने वाली सजावट देख रही थी कि गेट की घण्टी बजी। गेट खुलने पर सामने अपने पापा को देखकर वह हतप्रभ रह गयी। मारे खुशी के उसके मुँह से एक शब्द नहीं निकला। हाॅ जैसे-जैसे लम्बा लाॅन पारकर पापा पास आते गये उसकी आँखों से झर-झर आँसू गिरने लगे। पापा जब बिल्कुल पास आ गये तब उसे होश आया और वह पापा से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगी। वह इतना बिलखी ...और पढ़े

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उलझन - 16

उलझन डॉ. अमिता दुबे सोलह अभिनव ने मना किया और कहा - ‘नहीं मानव, यह ठीक नहीं घर में हैं नहीं ऐसे में अकेले गाड़ी निकालकर ले जाना किसी तरह सेफ नहीं मम्मी-पापा सुनेंगे तो बहुत नाराज होंगें।’ ‘छोड़ो भी उन्हें कैसे पता चलेगा। अभी लौटकर आ जाते हैं। आने के बाद बता देंगे।’ मानव खड़ा हो गया। अभिनव ने फिर समझाया लेकिन मानव ने एक नहीं सुनी। ‘अभी आता हूँ’ कहकर वह नीचे उतर गया। गैरिज खोलकर गाड़ी निकाली और हाथ हिलाता हुआ गाड़ी तेजी से आगे बढ़ा ले गया। जाते-जाते चिल्ला कर कहा ‘अभि !गैरिज खुला रखना ...और पढ़े

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उलझन - 17

उलझन डॉ. अमिता दुबे सत्रह जज महोदया ने निर्णय अंशिका पर छोड़ा। उन्होंने दोनों के सामने ही उससे पूछा ‘बेटा ! क्या तुम अपने पापा के साथ एक सप्ताह के लिए जाना चाहती हो।’ ‘जी, केवल एक सप्ताह के लिए ही नहीं पूरी जिन्दगी के लिए।’ अंशिका का स्वर स्थिर था। मम्मी अवाक् रह गयीं। एक क्षण के लिए उनके मुँह से कोई भी शब्द नहीं निकला। उन्हें ऐसा लगा जैसे वे मुकदमा हार गयीं। जज की कुर्सी पर बिना बैठे अंशिका ने ही फैसला सुना दिया। उनकी सारी लड़ाई बेकार हुई। उनका और उनके वकील का विचार था ...और पढ़े

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उलझन - 18 - अंतिम भाग

उलझन डॉ. अमिता दुबे अठारह तब तक घर आ गया था। अंशिका अपने घर चली गयी। पापा ने गाड़ी आॅफिस के लिए निकलने से पहले सौमित्र से कहा - ‘जानते हो सोमू आजकल एन0सी0इ0आर0टी0, मानव संसाधन विकास मंत्रालय जैसी संस्थाओं द्वारा इस दृष्टि से बहुत गहराई से विचार किया जा रहा है कि किताबी शिक्षा से व्यवहारिक शिक्षा को किस प्रकार अधिक से अधिक जोड़ा जाय। कुछ ओपेन यूनीवर्सिटीज ने तो प्रयोग के रूप में एम0बी0ए0 की पढ़ाई भी प्रारम्भ की है। उनका मानना है कि ग्रामीण क्षेत्र में प्रबन्धन की व्यवस्था देखने वालों को हिन्दी भाषा में कार्य ...और पढ़े

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