पापा की जोब मुम्बंई ट्रान्सफर हुई थी।कल रात ही पापा-मम्मी और मे विस्वकर्मा एपार्टमेन्ट के आठवे माले पे फ्लेट नंबर 103 मे सीफ्ट हुए थे।लगभग सारा सामान आ चुका था।लेकिन कुछ सामान लाना अभी भी बाकी था। मेरा एडमिसन अब यहा की स्कुल मे करना था लेकीन पापा को काम था तो कुछ दिन के बाद कराने को कहा था।तब तक मेने सोचा की एपार्टमेन्ट मे कुछ दोस्त बना लु। सुबे उठकर पापा जोब के लिए निकल गये।मे लेट उठी थी।थोडी आलस आ रही थी तो मे बाल्कनी मे चली

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भूतिया कमरा - 1

पापा की जोब मुम्बंई ट्रान्सफर हुई थी।कल रात ही पापा-मम्मी और मे विस्वकर्मा एपार्टमेन्ट के आठवे माले पे फ्लेट 103 मे सीफ्ट हुए थे।लगभग सारा सामान आ चुका था।लेकिन कुछ सामान लाना अभी भी बाकी था। मेरा एडमिसन अब यहा की स्कुल मे करना था लेकीन पापा को काम था तो कुछ दिन के बाद कराने को कहा था।तब तक मेने सोचा की एपार्टमेन्ट मे कुछ दोस्त बना लु। सुबे उठकर पापा जोब के लिए निकल गये।मे लेट उठी थी।थोडी आलस आ रही थी तो मे बाल्कनी मे चली ...और पढ़े

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भूतिया कमरा - 2

उसने लडके ने कहा की..."हे....!!!तुम्हे ये आवाजे भी सुनाई दे रही है!!!....म..मेरे....मम्मी-पापा...."मेने उसे कहा....की "क...क्यो ईतना झगड रहे है???तुम कराओ उन्हे...."वो कुछ नही बोले और जोर जोर से हसने लगा....मेरा डर अब बढ गया था......डरते डरते मेने अपने कदम पीछे लेना शुरू कर दिया.....पर उसने अचानक से मुझे आवाज दि और मुझे वही रोक लिया और कहा की.... "रुको....अब मे...तुम्हारे साथ ही रहुगा....हंम्मेशा..........""त....तुम मेरे साथ क्यो रहोगे भला" मे घबराते हुए बोली....."क्यो की तुमने मुझे देखा....मुझ से बाते की...अब मे तुम्हारा...दोस्त हु....."इतना केह के वो और हसने लगा......मुझे बोहोत अजीब लग रहा था वो....उसने कहा की "घबराओ मत....मे दोस्त ...और पढ़े

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भूतिया कमरा - 3

मै सिडीयो पे भाग ही रही थी की अचानक वो लडका मेरे सामने आ गया...मे जोर से टकरा गई और गीर गई....मे जेसे ही खडी हुई एकदम से मे फ्लेट नंबर 104 के सामने आ चुकी थी....मे भाग के घर की ओर बढी...घर के बहार पोहोचते ही मे जोर जोर से घर का दरवाजा खटखटाने लगी....माँ ने जेसे ही दरवाजा खोला मे लिपट गई उनसे..."क्या हुआ तुम्हे....बताओ मुझे क्या हुआ तुम्हे???"...माँ बोले..."म...माँ वो....म...मे..."...मे माँ को बताने ही जा रही थी की वो लडका मेरे सामने आ गया और मे एकदम से सुन्न पड गई...मे आते ही चुप-चाप एक कोने ...और पढ़े

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भूतिया कमरा - 4

मे उस लडके से बोहोत डर गई थी....पर कुछ भी हो जाए मुझे जानना था...की उसने मुझे ये लोकीट दिया...?? आखिर कोन था वो...???क्या वो जानता था मुझे....???आखिर उसे क्या चाहीये था मुझसे...????और उस कमरे मे कुछ....अरे....क्या था....???ऐसे सारे सवालो के साथ पेहले मे नहा कर फ्रेस हो गई... फिर नास्ता करने बेठी...पर मेरा ध्यान अब भी उस लडके और उसके दिये लोकीट पर था...मे नास्ता कर के अपने बेड रूम मे चली गई....मेने लोकीट को अपने हाथो मे लिया और मेने सोच लिया की कुछ भी हो जाये मे उस फ्लेट....नंबर 104 मे जरूर जाउंगी....और मे बस निकल ...और पढ़े

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