एनिमल फार्म (Animal Farm) अंग्रेज उपन्‍यासकार जॉर्ज ऑरवेल की कालजयी रचना है। बीसवीं सदी के महान अंग्रेज उपन्‍यासकार जॉर्ज ऑरवेल ने अपनी इस कालजयी कृति में सुअरों को केन्‍द्रीय चरित्र बनाकर बोलशेविक क्रांति की विफलता पर करारा व्‍यंग्‍य किया था। अपने आकार के लिहाज से लघु उपन्‍यास की श्रेणी में आनेवाली यह रचना पाठकों के लिए आज भी उतनी ही असरदार है।

Full Novel

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एनीमल फॉर्म - 1

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (1) ताल्लुका बाड़े यानी मैनर फॉर्म के मिस्टर जोन्स ने रात के मुर्गियों के दड़बों को ताला तो लगा दिया था, लेकिन वह इतना ज्यादा पिए हुए था कि उनके किवाड़ बंद करना ही भूल गया। वह लड़खड़ाता हुआ अहाते की तरफ चल दिया। उसकी लालटेन से बनती रोशनी का घेरा उसके चलने से दाएं-बाएं हो रहा था। उसने अपने जूते पिछवाड़े के दरवाजे की तरफ उछाल दिए। फिर रसोई के कोठे में रखे पीपे में से अपने लिए बीयर का आखिरी गिलास भरा, और चलता हुआ उसे लिए- लिए बिस्तर के ...और पढ़े

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एनीमल फॉर्म - 2

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (2) तीन रात बाद जनाब मेजर नींद में ही चल बसे। उनका फलोद्यान के आगे दफना दिया गया। मार्च का महीना शुरू हो चुका था। अगले तीन महीनों के दौरान वहां काफी गुपचुप सरगर्मियां चलती रहीं। मेजर के भाषण ने बाड़े के अधिक बुद्धिमान पशुओं को जीवन के एक बिल्कुल नये नजरिये से परिचित करा दिया था। उन्हें पता नहीं था कि मेजर ने जिस बगावत की भविष्यवाणी की थी, वह कब होगी। यह सोचने के लिए उनके पास कोई कारण भी नहीं थे कि यह बगावत उनके जीते जी होगी भी ...और पढ़े

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एनीमल फॉर्म - 3

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (3) उन्होंने सूखी घास काटने के लिए खूब जमकर मेहनत की। खून-पसीना कर दिया। लेकिन उनकी मेहनत रंग लायी। सूखी घास घास की फसल उनकी उम्मीदों से कहीं अधिक हुई थी। कई बार काम बहुत मुश्किल होता। औजार आदमियों के इस्तेमाल के लिए बनाए गए थे न कि पशुओं के लिए, और उससे भी ज्यादा तकलीफ की बात यह थी कि कोई भी पशु ऐसा औजार इस्तेमाल नहीं कर पाता था, जिनमें पिछली दो टांगों पर खड़े होने की जरूरत पड़ती। लेकिन सूअर इतने चतुर थे कि हर मुश्किल का कोई न ...और पढ़े

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एनीमल फॉर्म - 4

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (4) गर्मियों के बीतते न बीतते बाड़े में हुई घटना का समाचार के आधे भाग तक फैल चुका था। हर दिन स्नोबॉल और नेपोलियन कबूतरों के झुण्डों को उड़ान पर भेजते। उन्हें यह हिदायत थी कि वे पास-पड़ौस के बाड़ों में पशुओं से मिलें-जुलें और उन्हें बगावत की कहानी सुनाएं। उन्हें ’इंग्लैण्ड के पशु‘ की धुन सिखाएं। मिस्टर जोन्स अपना अधिकतर समय विलिंगडन में ’रेड लायन की मधुशाला‘ में बैठे हुए गुजारता। उसे जो भी श्रोता मिलता उसी के सामने वह दुखड़ा रोने लगता कि किस तरह कुछ निकम्मे पशुओं के झुण्ड ...और पढ़े

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एनीमल फॉर्म - 5

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (5) सर्दियों के नजदीक आने के साथ-साथ मौली और अधिक उत्पाती होती गयी। वह रोज सुबह काम के लिए देर से पहुंचती। वह बहाना यह लगाती कि वह देर तक सोती रह गयी। वह जानी-अनजानी पीड़ाओं की शिकायत करती, हालांकि उसकी खुराक अच्छी-खासी थी। वह किसी न किसी बहाने से काम से जी चुराती, वहां से भागती और पीने के पानी वाले ताल पर चली जाती। वहां वह खड़ी होकर फूहड़ों की तरह अपनी परछाई निहारती रहती। लेकिन इससे अधिक गंभीर किस्म की अफवाहें भी उसके बारे में फैली हुई थीं। एक ...और पढ़े

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एनीमल फॉर्म - 6

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (6) पूरे बरस पशुओं ने गुलामों की तरह काम किया। लेकिन वे काम में खुश थे। वे किसी मेहनत या त्याग से भुनभुनाए नहीं। उन्हें अच्छी तरह से पता था कि वे जो कुछ भी कर रहे हैं, खुद के लिए और अपनी ही तरह की आने वाली पीढ़ियों के लिए कर रहे हैं। उनकी मेहनत निठल्ले उचक्के आदमी लोगों के लिए तो नहीं ही है। पूरे वसंत और गर्मियों के दौरान वे रोजाना दस-दस घंटे तक काम करते रहे। अगस्त में नेपोलियन ने घोषणा की कि अब से रविवार की दोपहरों ...और पढ़े

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एनीमल फॉर्म - 7

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (7) कड़ाके की सर्दियां पड़ीं। तूफानी मौसम अपने साथ ओले और हिमपात आया। उसके बाद जो कड़ा पाला पड़ा, वह फरवरी तक बना रहा। पशु पवनचक्की को फिर से बनाने में अपनी तरफ से जी जान से जुटे रहे। उन्हें अच्छी तरह पता ...और पढ़े

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एनीमल फॉर्म - 8

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (8) कुछ दिन बीतने के बाद, प्राणदण्डों से उपजा आतंक धुंधला पड़ था। कुछेक पशुओं को याद था, या उन्होंने सोचा कि उन्हें याद था कि छठे धर्मादेश में यह आदेश था कि कोई भी किसी दूसरे पशु को नहीं मारेगा। और हालांकि किसी की भी हिम्मत नहीं थी कि कहीं सूअरों या कुत्तों की मौजूदगी में इसका जिक्र कर सके। यह महसूस किया जाता था कि जो हत्याएं की गयीं थीं, वे इससे मेल नहीं खाती थीं। क्लोवर ने बैंजामिन से कहा कि वह उसे छठा धर्मादेश पढ़कर सुनाए और जब ...और पढ़े

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एनीमल फॉर्म - 9

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (9) बॉक्सर का चिरा हुआ सुम ठीक होने में बहुत समय लग विजय पर्व के समारोह समाप्त होने के अगले दिन से ही उन्होंने पवनचक्की फिर से बनाना शुरू कर दिया था। बॉक्सर ने एक दिन की भी छुट्टी लेने से इंकार कर दिया और इसे इज्जत का सवाल बना लिया कि कभी भी कोई भी उसे तकलीफ में न देखे। शाम के वक्त उसने क्लोवर को अकेले में बताया कि सुम उसे बहुत तकलीफ दे रहा है। क्लोवर जड़ी-बूटियां चबा-चबाकर उनकी पुलटिस बनाती और उनसे बॉक्सर के सुम का इलाज करती। ...और पढ़े

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एनीमल फॉर्म - 10 - अंतिम भाग

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (10) वर्ष़ों बीत गए। मौसम आए और गए। अल्पजीवी पशु अपनी जीवन-लीला कर गए। एक ऐसा भी वक्त आया जब क्लोवर, बैंजामिन, काले कव्वे मोसेस और कुछ सूअरों के सिवाय किसी को पता भी नहीं था कि बगावत से पहले के दिन कैसे थे। मुरियल गुजर चुकी थी, ब्लूबैल, जेस्सी, पिंचर तीनों नहीं रहे थे। जॉन्स भी मर चुका था- वह देश के किसी दूसरे भाग में किसी पियक्कड़ के घर में मरा था। स्नोबॉल को भुलाया जा चुका था। बॉक्सर को भुलाया जा चुका था। वह सिर्फ उन्हीं की स्मृति में ...और पढ़े

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