अक्सर ससुराल में नई बहू के आते ही उसे जिम्मेदारी के नाम पर अकेले ही हजारों कामो के लिए सौप दिया जाता हैं। बिना यह सोचें कि वह अभी इस घर मे नयी है। हर लड़की को मायके की आजादी से निकल ससुराल के शिकंजे में एक ना एक दिन तो बंधना ही होता हैं। लेकिन इन सब के लिए उसे ही खुद को एडजस्ट भी होना पड़ता हैं।......और इन सब के बीच तो समय लगता ही हैं। सबके साथ घुलने- मिलने में थोड़ा समय,बात -व्यवहार में थोड़ी परेशानी, अच्छाई-बुराई, पसंद-नापसंद सबको समझने में एक माह तो लग ही जाता

नए एपिसोड्स : : Every Friday

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घर की मुर्गी - प्रस्तावना

अक्सर ससुराल में नई बहू के आते ही उसे जिम्मेदारी के नाम पर अकेले ही हजारों कामो के लिए दिया जाता हैं। बिना यह सोचें कि वह अभी इस घर मे नयी है। हर लड़की को मायके की आजादी से निकल ससुराल के शिकंजे में एक ना एक दिन तो बंधना ही होता हैं। लेकिन इन सब के लिए उसे ही खुद को एडजस्ट भी होना पड़ता हैं।......और इन सब के बीच तो समय लगता ही हैं। सबके साथ घुलने- मिलने में थोड़ा समय,बात -व्यवहार में थोड़ी परेशानी, अच्छाई-बुराई, पसंद-नापसंद सबको समझने में एक माह तो लग ही जाता ...और पढ़े

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घर की मुर्गी - पार्ट -1

शकुंतला जी के बड़े बेटे की शादी आखिकार बड़े ही धूमधाम से सीता देवी की बड़ी लड़की राशि से हुई। कुछ ही दिनों में शादी हो बहू राशि ने शकुंतला जी के घर कदम रखा। राशि एक ओर जहां मायके में घर की सबसे बड़ी लड़की थी,वही खुदा ना खास्ता ससुराल में भी बड़ी बहू बन गयी। इसे ही कहते है रब ने बना दी जोड़ी। शकुंतला जी का बेटा व्योम बैंक में कार्यरत था,तो उनकी बहू भी कहा बेटे से कम थी,पढ़ी लिखी बीएड है बीएड। घर के सभी नाते रिश्तेदार,मुहल्ले की महिलाएं आपस मे बाते कर रही ...और पढ़े

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घर की मुर्गी - पार्ट -2

अगले दिन राशि सुबह सुबह ही नहा धोकर नीचे आ गयी,मंदिर में हाथ जोड़ वो दो मिनट तक मम्मी को शांत हो कर देखती रही। शकुंतला जी गुनगुनाते अंदाज में फूलों की क्यारियों को ऐसे सींच रही थी मानो पूरे घर की देखभाल भी ऐसे ही कि हो। पापा जी बाहर गार्डन में बैठकर पेपर की वॉट लगा रहे थे,सालो के पास खबर कम अब विज्ञापन ज्यादा रहता है,मौसा जी भी हा में हा मिलाए पड़े थे और एक साथ बैठकर चाय की चुस्की के साथ भड़ास निकाल रहे थे। तभी मम्मी जी की नज़र मुझपर पड़ गयी ...और पढ़े

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घर की मुर्गी - पार्ट - 3

राशि पूरी रात इसी में बात में उलझी रही कि इतने लोगो के लिए क्या बनाए वो। अगली सुबह जब नहा धोकर आई तो राशि मंदिर में हाथ जोड़कर ज्यो पलटी शकुंतला जी बोली-कितनी संस्कारी बहू है हमारी। राशि ज्यो पैर छुई तो आशीर्वाद देते हुए शकुंतला जी बोली, अरे बहू कल बताई थी ना आज घर पर कुछ मेहमान आ रहे है। तुमने क्य- क्या सोचा बनाने को। राशि बिल्कुल समझ नहीं पा रही थी कि अब क्या बोले वो सासु माँ से। उसने दो पल रुक कर बोला मम्मी आप बता दीजिए वही बना दूंगी। शकुंतला जी ...और पढ़े

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घर की मुर्गी - पार्ट - 4

अब राशि की हर सुबह इन्ही सब मे कब बीत जाता उसे महसूस भी ना होता। ऊपर से शकुंतला हर बात पर ये कहती ये घर अब सिर्फ तुम्हारा है। इसे तुम्हे ही अब सवारना है। राशि बिना जवाब दिए काम करती रहती। रोज जब हर कोई सोता रहता तभी राशि की सुबह हो जाती।देवर का कॉलेज, पतिदेव का आफिस,ननद का स्कूल, और सुबह का सबका नाश्ता।हर रोज राशि अपने परिवार के लिए जल्दी उठती और अपने कार्य मे जुट जाती। अब आप कहेंगे इसमें नया क्या है? यह तो हर गृहिणी की कहानी है। जिसकी दिनचर्या ही परिश्रम ...और पढ़े

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घर की मुर्गी - पार्ट- 5

वक़्त के साथ गौरी भी बड़ी होने लगी। और मैं बिल्कुल निःसहाय। जहाँ एक ओर बाकी घरवाले चैन की सोते होते वही राशि ना तो नीद पूरी ले पाती ना ही आराम। उसके पूरे दिन की भूमिका महज कमरे से किचन,किचन से कमरा हो गया था। कभी कभी राशि जब किचन में खाना बनाती रहती तो तभी गौरी सो कर उठ जाती और उसे ना पाकर रोने लगती। ज्यो राशि किचन को जैसा तैसा छोड़ गैस को कम कर कमरे में गौरी के पास भागती त्यों ही उसे ध्यान आ जाता कि गैस बंद करना था और वो गैस ...और पढ़े

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घर की मुर्गी - पार्ट - 6

एक रोज फिर उसने व्योम से कहा व्योम में थक जाती हूं, मुझे भी आराम चाहिए। व्योम ने शकुंतला की तरह ताने मारते हुए कहा काम ही क्या है तुम्हे। करती ही क्या हो जो रोज एक ही बात लेकर बैठ जाती हो राशि। शादी के दस साल गुजर गए व्योम मगर आप अभी तक ये नही जान पाए कि मैं करती क्या हु राशि ने व्योम से कहा। हा वैसे भी आप कहा से जानेंगे ये सब। जब करना पड़े तब समझ आता है कि मैं करती क्या हूँ, राशि ने तय कर लिया आज जो भी हो ...और पढ़े

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घर की मुर्गी - पार्ट - 7

एक रोज फिर उसने व्योम से कहा व्योम में थक जाती हूं, मुझे भी आराम चाहिए। व्योम ने शकुंतला की तरह ताने मारते हुए कहा काम ही क्या है तुम्हे। करती ही क्या हो जो रोज एक ही बात लेकर बैठ जाती हो राशि। शादी के दस साल गुजर गए व्योम मगर आप अभी तक ये नही जान पाए कि मैं करती क्या हु राशि ने व्योम से कहा। हा वैसे भी आप कहा से जानेंगे ये सब। जब करना पड़े तब समझ आता है कि मैं करती क्या हूँ, राशि ने तय कर लिया आज जो भी हो ...और पढ़े

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घर की मुर्गी - पार्ट - 8

एक दिन राशि को लेने उसके घर से व्योम और देवर जी आ गए अब तो राशि चाह कर रुक ना सकी दबे मन से वापस अपने ससुराल आ गयी। इधर जब वह ससुराल आई तो उसने देखा पूरा घर अस्त-व्यस्त बिखरा पड़ा है। किचन में उसकी छोटी ननद अंकिता खाना बना रही थी और शकुंतला जी लगातार उसकी मदद कर रही थी। राशि ने चुपचाप अपने कमरे से ये सारा दृश्य देखती रही । अगली सुबह राशि जल्द ना उठी और उसे किचन से भावना के बड़बड़ाने की आवाज आई। अरे जब भाभी गयी तो ठीक ठाक थी ...और पढ़े

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