समंदर और सफेद गुलाब

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समंदर और सफेद गुलाब पहला दिन 1 शताब्दी टे्रन को मैंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया और मैट्रो टे्रन लेने के लिए मैट्रो स्टेशन की तरफ बढऩे लगा। ट्रॉली बैग को पहियों पर घसीटता हुआ मैट्रो की ओर बढ़ गया। बीच-बीच में बैग को उठाने की भी जरूरत पड़ती और मैं उसे झट से उठा लेता, कभी फिर से उसे पहियों के बल घसीटता हुआ आगे को निकल जाता। मुझेे पता ही नहीं चला कि कब मैं मैट्रो स्टेशन में दाखिल हो गया। वहां हर तरफ रास्ता दर्शाने के लिए तीरों के निशान (ऐरो साइन) लगे हुए थे।

Full Novel

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समंदर और सफेद गुलाब - 1 - 1

समंदर और सफेद गुलाब पहला दिन 1 शताब्दी टे्रन को मैंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया और टे्रन लेने के लिए मैट्रो स्टेशन की तरफ बढऩे लगा। ट्रॉली बैग को पहियों पर घसीटता हुआ मैट्रो की ओर बढ़ गया। बीच-बीच में बैग को उठाने की भी जरूरत पड़ती और मैं उसे झट से उठा लेता, कभी फिर से उसे पहियों के बल घसीटता हुआ आगे को निकल जाता। मुझेे पता ही नहीं चला कि कब मैं मैट्रो स्टेशन में दाखिल हो गया। वहां हर तरफ रास्ता दर्शाने के लिए तीरों के निशान (ऐरो साइन) लगे हुए थे। ...और पढ़े

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समंदर और सफेद गुलाब - 1 - 2

समंदर और सफेद गुलाब 2 देखते ही देखते हवाई जहाज में चढऩे के लिए लाइन लग गई। मैं भी में खड़ा हो गया। कुछ ही देर में मैं जहाज के अंदर अपनी सीट पर बैठा था। लेकिन जहाज के अंदर का नजारा तो ऐसा था कि, पूछो ही मत। सीट पर बैठकर मुझेे ऐसा महसूस हुआ कि मैं उस शहर में जाने के लिए तैयार हूं, जहां जाने के लिए वीजा लेने की जरूरत तो नहीं होती लेकिन इस इंतजार में सारी जिंदगी निकल गई। इस शहर में आना मेरे लिए कनाडा अमेरिका में जाने से भी कठिन हो ...और पढ़े

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समंदर और सफेद गुलाब - 1 - 3

समंदर और सफेद गुलाब 3 मैं सोया तो था ही नहीं...मेरे मन में आया कि आंखें खोलूं और देखूं मुंबई आने में कितना समय बाकी रह गया है। मैंने धीरे से आंखे खोलीं और अपनी घड़ी की ओर देखा। मैंने पाया कि अभी लगभग आधा घंटा और पड़ा है। मैंने फिर से आंखें बंद कर लीं। मैं फिर से यादों के समंदर में तैरने लगा। ***** मुझे याद आई वो घटना जब हिंदुस्तान और पाकिस्तान की लड़ाई शुरू हुई थी। शायद 1971 की बात है। तब मैं था तो छोटा ही लेकिन इतना भी नहीं था। इसके बावजूद भी ...और पढ़े

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समंदर और सफेद गुलाब - 2 - 1

समंदर और सफेद गुलाब दूसरा दिन 1 सूर्य की हल्की-हल्की किरणें खिडक़ी से होती हुई कमरे में प्रवेश कर थीं। मैं जमीन पर बिस्तर लगाकर लेटा हुआ था। अब तक प्रोफैसर पांडेय और मानव जी सो रहे थे। मैं भी इसी कशमकश में पड़ा था कि उठ जाऊं या लेटा रहूं। कहीं ऐसा न हो कि मेरे उठने से इन लोगों की भी नींद खराब हो जाए। मैंने बिना सोचेे-समझे चादर मुंह पर तान ली और लेटा रहा लेकिन ज्यादा समय तक लेट नहीं पाया। लेटने से उक्ता गया तो मैंने चादर इकट्ठी की और उठ गया। लगभग ढाई ...और पढ़े

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समंदर और सफेद गुलाब - 2 - 2

समंदर और सफेद गुलाब 2 पता नहीं क्यों मुम्बई मेरे दिलो-दिमाग से निकलती ही नहीं थी। मुम्बई नगरी का मेरे दिमाग में घुसा हुआ था। हालांकि मैं रेडियो स्टेशन और टी.वी. पर कार्यक्रम करता ही रहता था। ऑल इंडिया रेडियो पर कई नाटक भी किए थे। वैसे तो मैं थिएटर भी करता था लेकिन समय के अभाव के चलते स्टेज पर नाटक करने बंद कर दिए थे। दिमाग में घुसे मुम्बई के इस कीड़े के चलते शादी के कुछ समय बाद ही मुम्बई जाने की तीव्र इच्छा ने मुझे फिर से जकड़ लिया था। मुझे लगता था, मुंबई मेरी ...और पढ़े

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समंदर और सफेद गुलाब - 2 - 3

समंदर और सफेद गुलाब 3 वह कल शाम से लगातार यही डायलॉग बोल रहा था। न जाने मैं कितनी सुन चुका था। मुझे लग रहा था कि सुनते-सुनते मेरे कान पक गए हैं। अभी मैं सोच ही रहा था कि निर्माता के कई चमचे मेरे इर्द-गिर्द इकट्ठे हो गए थे। जैसे मैं कोई अपराधी हूं और व ...और पढ़े

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समंदर और सफेद गुलाब - 2 - 4

समंदर और सफेद गुलाब 4 मानव जी ने कहा, ‘बात तो आपकी बिल्कुल सही है। यहां सौ तरह के हैं। यहां काम करना है तो सब कुछ छोड़-छाडक़र यहीं ठिकाना बनाना पड़ता है। चलो.. आपने तो अपना शौक ही पूरा करना है। आप तो इतने बड़े स्थापित लेखक हैं। पिछले दिनों मैंने यू-ट्यूब पर आप पर जालंधर दूरदर्शन द्वारा बनाई गई आधे घंटे की डाक्यूमैंट्री फिल्म देखी थी। उससे आपके बारे में जानने को बहुत कुछ मिला। आपके उपन्यास तो कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाए जाते हैं और आपके उपन्यासों पर तो कई शोध कार्य भी हो चुके हैं। मैं ...और पढ़े

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समंदर और सफेद गुलाब - 2 - 5

समंदर और सफेद गुलाब 5 मेरी बात सुनकर अनिल बीच में ही बोल पड़ा, ‘अरे डॉक्टर साहब... ऐसा है आप कोई और रोल कर लें, उसमें दिक्कत ही क्या है?’ ‘बिल्कुल नहीं, मैं जो घर से सोचकर आया था और जिस रोल के लिए मैं आया था, वही करूंगा वर्ना नहीं। वो तो मैं वहां से निकलना चाहता था इसलिए उस राज बाबू को बोल दिया। क्योंकि मैं कोई झगड़ा नहीं चाहता था। मैं एक लेखक हूं और गुस्से पर काबू पाना मुझेे खूब आता है। वैसे भी लेखक को जिंदगी में नये-नये तुजुर्बों से गुजरना ही चाहिए और ...और पढ़े

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समंदर और सफेद गुलाब - 2 - 6

समंदर और सफेद गुलाब 6 बंदर ने कहा, ‘क्यों क्या हो गया..मेरी बीवी है, साथ लाया हूं साथ लेकर मगरमच्छ ने बड़े प्यार से कहा, ‘यह तो मेरी बीवी है।’ बस फिर क्या था, बात बढ़ गई और समंदर के छोटे-बड़े सब जानवर इकट्ठा हो गए... लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई जो कह सके, कि यह बंदर की बीवी है। सबने कहा, ‘मगरमच्छ ठीक कह रहा है।’ कहकर सब लोग अपने-अपने स्थान को लौट गए। जब सब लोग चले गए तो मगरमच्छ ने बंदर से कहा, ‘ले जाओ अपनी बीवी को। असल में है तो यह तुम्हारी ही ...और पढ़े

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समंदर और सफेद गुलाब - 3 - 1

समंदर और सफेद गुलाब तीसरा दिन 1 आज भी मैं सुबह सबसे पहले जग गया था लेकिन आज की कल की सुबह की तरह नहीं थी। कल जब मैं उठा था, तो मैंने मुम्बई की सुबह को अपने आगोश में भर लिया था जबकि आज मैं उस सुबह को जल्दी से जल्दी अलविदा कहना चाहता था। खैर, मैंने चाय बनाई और पीने लगा। चाय पीते-पीते मैंने देखा कि अनिल भी जग गया था। वह अपना बिस्तर लपेटने लगा था। अनिल ने मेरी तरफ देखते ही कहा, ‘डाक्टर आकाश आपको आपको याद है न, हमने आज मेरे उस दोस्त के ...और पढ़े

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समंदर और सफेद गुलाब - 3 - 2

समंदर और सफेद गुलाब 2 इस बीच राहुल ने मेरा पासपोर्ट बनवाकर मुझे अमेरिका भेज दिया। कुछ दिन लगे आपरेशन होने को। आपरेशन कामयाब हुआ था। जिस दिन मुझे डाक्टर ने आईना देखने के लिए तो मैं डरा-डरा आईने के सामने जा रहा था। डाक्टर की आवाज आई, ‘हमने आपको अच्छा बनाया है, बुरा नहीं।’ उसने हिन्दी में अपनी बात कही क्योंकि वह डॉक्टर हिंदुस्तानी था। ‘इसी बात से तो डर रहा हूं, मुझसे कहीं अपनी ही खुशी बर्दाश्त न हुई तो?’ खैर, जब मैं आईने के सामने पहुंचा तो अपना चेहरा भी नहीं पहचान पाया। अपना चेहरा देखकर ...और पढ़े

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समंदर और सफेद गुलाब - 3 - 3 - अंतिम भाग

समंदर और सफेद गुलाब 3 धीरे-धीरे आश्रम में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही थी और मेरी उलझन उससे ज्यादा बढ़ गई। मैं आश्रम में शांति का दूत माना जाता था लेकिन मेरा मन अशांत समंदर की तरह खौलता रहता। मैं चाहता तो था कि किसी दिन मुझे मंजिल मिले, लेकिन संघर् ...और पढ़े

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