दोस्ती से परिवार तक

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Brief intro-राहुलविकास-राहुल के पिता।सुुशीला-राहुल की माँ।रियाअविनााश-रिया के पिता।राधा-रिया की माँ ।रीमा-रिया की बहन।मनीषदीपक-मनीष के पिता।सिया-मनीष की माँ।_______________________कार का हॉर्न ज़ोर से बजते हुए कार मनीष के घर रुकती है और साथ ही आवाज़ आती है,राहुल! राहुल! जल्दी आ ना यार...कितनी देर लगाएगा (रिया ज़ोर से आवाज़ देते हुए)...अबे आ जा साले! पैसे में दे दूंगा (हस्ते हुुए) मनीष भी आवाज़ लगाता है। मनीष-रिया कॉल कर यार इसको ,पता नहीं कहाँ मर गया...ये हर बार देर करता है। रिया-हाँ रुक! (रिया राहुल को फ़ोन करती है)अबे उठा ले सो गया क्या?(रिया बड़बड़ाते हुए)और फ़ोन उठता है,कहाँ है आज ही जाना है(रिया),आ गया बस,बस

नए एपिसोड्स : : Every Tuesday

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दोस्ती से परिवार तक - 1

Brief intro-राहुलविकास-राहुल के पिता।सुुशीला-राहुल की माँ।रियाअविनााश-रिया के पिता।राधा-रिया की माँ ।रीमा-रिया की बहन।मनीषदीपक-मनीष के पिता।सिया-मनीष की माँ।_______________________कार का हॉर्न से बजते हुए कार मनीष के घर रुकती है और साथ ही आवाज़ आती है,राहुल! राहुल! जल्दी आ ना यार...कितनी देर लगाएगा (रिया ज़ोर से आवाज़ देते हुए)...अबे आ जा साले! पैसे में दे दूंगा (हस्ते हुुए) मनीष भी आवाज़ लगाता है। मनीष-रिया कॉल कर यार इसको ,पता नहीं कहाँ मर गया...ये हर बार देर करता है। रिया-हाँ रुक! (रिया राहुल को फ़ोन करती है)अबे उठा ले सो गया क्या?(रिया बड़बड़ाते हुए)और फ़ोन उठता है,कहाँ है आज ही जाना है(रिया),आ गया बस,बस ...और पढ़े

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दोस्ती से परिवार तक - 2

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मज़ाक मज़ाक में कही रिया और मनीष की कुछ बातें राहुल को लग जाती हैं और राहुल गुस्से में आकर मनीष को गाड़ी रोकने के लिए कहता है,लेकिन मनीष गाड़ी नहीं रोकता तो राहुल कूदने की बात कह कर गेट खोल देता है और रिया राहुल से सॉरी बोलते बोलते उसे समझाती है,पर हालात बिगड़ते देख मनीष ज़ोर से ब्रेक लगा कर बीच सड़क पर ही गाड़ी रोक देता है।अब आगेगाड़ी रुकते रुकते ही राहुल बाहर निकल कर वापस लौटने लगते है...रिया और मनीष के कुछ समझ नहीं आता कि आखिर ये ...और पढ़े

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दोस्ती से परिवार तक - 3

तो पिछले भाग में आपने पढ़ा कि एक अच्छी खासी लड़ाई के बाद या यूँ कहूँ की एक अच्छे मज़ाक के बाद राहुल का मज़ाक उस पर ही उल्टा पड़ जाता है और वो रोने लगता है।और उसे चुप कराने की बजाय मनीष और रिया उसे वहीं रोता छोड़ चल देते हैं कि तभी राहुल का फ़ोन बजता है जो कि गाड़ी में ही पीछे पड़ा होता है।अब आगेये मेरा तो नहीं है शायद तेरा बज रहा है (मनीष अपना फोन देख कर रिया से बोलता है)...-नहीं यार मेरा भी नहीं है ये देख। रिया का फ़ोन देखते ही ...और पढ़े

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दोस्ती से परिवार तक - 4

मनीष अपनी शर्ट से अपने आंसू पोंछता है और अपने हाथ मे पकड़ी उस चीज को देखता है... "ये है" खून से सनी होने की वजह से उसे साफ नहीं दिखता... इधर कहीं से एम्बुलेंस की बहुत हल्की सी आवाज आने लगती है,जो शायद रात के सन्नाटे को चीरती हुयी मनीष की तरफ ही आ रही होती है....मनीष तुरंत अपने खून से सने हाथ को अपनी पेंट की जेब मे डालता है और रुमाल निकाल कर उसे साफ करने लगता है.... जैसे जैसे उस चीज़ पर से खून साफ होता जाता है वैसे वैसे मनीष की आँखों से आंसू आने ...और पढ़े

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दोस्ती से परिवार तक - 5

खून से लगभग पूरे लाल हो चुके और सफ़ेद चादर से ढके स्ट्रेचर पर, भीड़ को चीरती हुयी... लोगों परछाईयों को समेटती हुयी कुछ गाड़ियों की रोशनी पड़ रही होती है... भीड़ मे फिर हलचल होने लगती है....'अरे!कौन होगा बेचारा'"पता नहीं इसके घर वालों को पता भी होगा की नहीं"'कितनी दर्दनाक मौत मरा है भगवान इसकी आत्मा को शांति दें 'भीड़ में खड़े लोग ऐसी ही बातें करने लगते हैँ और फिर थोड़ी देर बाद उस आदमी का चेहरे पर से कपड़ा हटाया जाता है......जो की कुछ हद तक साफ किया जा चुका था... ताकि उसकी पहचान हो सके....चेहरे ...और पढ़े

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दोस्ती से परिवार तक - 6

रिया ने फ़ोन एक तरफ पटका और फटाफट चल पड़ी मनीष के पास…इधर मनीष इतनी लम्बी दौड़ के बाद भी हाँफ़ रहा था वो वहीँ फुटपाथ पर जाकर बैठ गया और सोचने लगा की हम कितनी खुशी से जा रहे थे और ये क्या हो गया…..वो अपनी गहरी सोच मे डूब गया और गाड़ियों को गुज़रते हुए देखने लगा….वो चुप चाप बैठा ज़ब अपनी सोच मे खोया हुआ था तभी अचानक किसी ने उसके पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला…"मनीष!"उसे एक पल के लिए लगा की, ये आवाज़ शायद उसका कोई वहम है….इसलिए उसने पीछे मुड़कर ...और पढ़े

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दोस्ती से परिवार तक - 7

राहुल-आह बहुत ज़ोर से लगा यार! पागल हो गयी है क्या तू।…मनीष राहुल की बात काटते हुए बोला-हाँ हो है और मै भी…. और फिर आगे आकर मनीष ने राहुल का कॉलर पकड़ते हुए बोला…"अबे साले। कितनी देर से ढूंढ़ रहे हैँ तुझे, तुझे पता भी है….और हमें भी पता है यहाँ एक काण्ड हुआ था...और तुझे पता है क्या? हमें तो लगा की काण्ड किसी और का नहीं बल्कि तेरा ही हुआ है"रिया-नहीं इसे कहाँ से पता होगा ये महाशय तो घूमने मे ही इतने बिजी थे…..या शायद इसे ही सबसे ज़्यादा खुशी हो रही है इसके एडमिशन की। राहुल ...और पढ़े

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दोस्ती से परिवार तक - 8

राहुल के मुँह से वो नाम सुनकर मनीष और रिया दोनों ही ऐसे शॉक हो गए जैसे उसने किसी का नाम ले लिया हो...... अब दोनों की हंसी उड़ चुकी थी और रिया का मुँह खुला खुला का खुला ही रहे गया.... राहुल ने बात को पलटते हुए फिर रिया से अपने फ़ोन के बारे मे पूछा...लेकिन रिया ने उसे बात पलटने का मौका ही नहीं दिया….इतने मे ही मनीष ने उस से पूछ लिया…."तू अभी भी उस चुड़ैल से बात करता है….सच मे यार…. "रिया-"देख ले मनीष मैंने तुझे बोला था ना ये साला है ही घटिया इंसान….पहले ये ...और पढ़े

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दोस्ती से परिवार तक - 9

राहुल के कदम वहीं जम गए और पीछे मुड़कर वो अटकते हुए रिया से बोला-ओ.... हाँ.... वो.... है ना एक्सप्लेनेशन क्या प्रूफ भी है.... रिया बिना कुछ बोले बस उसे घूरे जाने रही थी और राहुल घबराहट के मारे पसीना-पसीना हुए जाने रहा था….और कुछ ही दूरी पर चुप-चाप खड़े होकर मनीष सब के मज़े लूट रहा था। राहुल-अच्छा तो सुनो तुम दोनों…. रिया-सुना...कब से उसी का इंतजार कर रहे हैँ….मनीष, रिया की हाँ मे हाँ मिलाते हुए-हाँ, हाँ सुना ना अब की स्वाति को कॉल करूँ मै…."मै उस से कल मिलने गया था बस और कुछ नहीं" राहुल एक सांस मे ...और पढ़े

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दोस्ती से परिवार तक - 10

"ला मनीष कहाँ है वो लेटर दियो ज़रा, मै भी तो देखूँ इसकी स्वाति दीदी ने क्या लिखा है। मस्त था रिया हैशटैग स्वाति दीदी""अबे सालों भाभी है तुम्हारी।"रिया मनीष से लेटर लेते हुए…"हम्म्म...क्या बोला बे? ""कुछ नहीं...भाभी थी...भाभी थी तुम्हारी….तू लेटर पढ़ ना रे"रिया लेटर खोलती है…."छी यार...इसमे से स्मेल आ रही है।""अच्छा तो फिर मत पढ़ फ़ेंक दे।""नहीं नहीं ऐसे कैसे फ़ेंक दूँ…..तेरी दीदी का लेटर है। ""हाँ अब तो पढ़ना बनता है...ज़रा ज़ोर से पढ़ियो रिया….दीदी का लेटर हाहाहाहा...हाहा""ओये तू ड्राइविंग पर ध्यान दे सुबह होने वाली है मम्मी गेट पर ही खड़ी होंगी बन्दूक लिए…..और ...और पढ़े

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