न जाने कितनी बार मुझे ये आभास होता है कि यह घटना पहले भी घटित हो चुकी है। जबकि ये संभव ही नहीं है कि कोई भी घटना या उसके पात्र उसी रूप-रेखा के समान फिर से वही सब करें जो पहले घटित हो चुका है। शायद यह एहसास आपको भी कभी न कभी होता होगा। अब मेरे लिए यह सामान्य सा हो गया है चूंकि यह मेरे साथ कुछ दिनों के अंतराल पर हो ही जाता है। अब मैं इसकी आदी हो गई हूँ पर जब यह मेरे साथ पहली बार हुआ था वो एहसास वो लम्हें बहुत कुछ

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आभास - 1

न जाने कितनी बार मुझे ये आभास होता है कि यह घटना पहले भी घटित हो चुकी है। जबकि संभव ही नहीं है कि कोई भी घटना या उसके पात्र उसी रूप-रेखा के समान फिर से वही सब करें जो पहले घटित हो चुका है। शायद यह एहसास आपको भी कभी न कभी होता होगा। अब मेरे लिए यह सामान्य सा हो गया है चूंकि यह मेरे साथ कुछ दिनों के अंतराल पर हो ही जाता है। अब मैं इसकी आदी हो गई हूँ पर जब यह मेरे साथ पहली बार हुआ था वो एहसास वो लम्हें बहुत कुछ ...और पढ़े

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आभास - 2

वक़्त बीतने लगा तो हमनें सोचा कि जब तक स्वेता नहीं आती हम अपने डायलॉग की रिहर्सल करते हैं। हँसी मजाक करते हुए अपने डायलॉग की रिहर्सल करने लगे। तभी स्वेता का फोन आया, उसने बताया वह अपने घर में किसी काम में उलझी हुई है तो वह रिहर्सल के लिए नहीं आ सकती। ये सुनकर रानी और मैं निराश हो गए पर हम कर भी क्या सकते थे। फिर हम अकेले जितनी रिहर्सल कर सकते थे वह हमनें की। रिहर्सल भी पूरी हो गई थी परन्तु अभी मेरे भाई लेने नहीं आये थे ...और पढ़े

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