ईश्वरत्व का अहंकार

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मानव में ईश्वरीय आस्था बहुत कुछ ज्ञान-सापेक्ष होती है- जहां मानवीय ज्ञान की सीमा रेखा आ जाती है और अज्ञान के अंधकार का साम्राज्य प्रारम्भ होता है, वहीं मानव ईश्वर का अवलम्ब प्राप्त करने को आतुर हो जाता है और ईश्वरीय आस्था का साम्राज्य प्रारम्भ हो जाता है। आदिम कालीन मानव का ज्ञान सीमित होने के कारण उसने जल, अग्नि, वायु, नदी, समुद्र, चंद्र, सूर्य आदि सभी उन शक्तियों, जिन पर वह नियंत्रण कर पाने मे अपने को असमर्थ पाता था, को देवत्व प्रदान कर दिया था, परंतु मानवीय ज्ञान एवं तद्जनित प्रकृति पर नियंत्रण की शक्ति के विस्तार के साथ मानवीय विश्वासों में देवत्व का दायरा संकुचित होता गया।

Full Novel

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ईश्वरत्व का अहंकार - 1

ईश्वरत्व का अहंकार भाग-1 मानव में ईश्वरीय आस्था बहुत कुछ ज्ञान-सापेक्ष होती है- जहां मानवीय ज्ञान की सीमा रेखा जाती है और अज्ञान के अंधकार का साम्राज्य प्रारम्भ होता है, वहीं मानव ईश्वर का अवलम्ब प्राप्त करने को आतुर हो जाता है और ईश्वरीय आस्था का साम्राज्य प्रारम्भ हो जाता है। आदिम कालीन मानव का ज्ञान सीमित होने के कारण उसने जल, अग्नि, वायु, नदी, समुद्र, चंद्र, सूर्य आदि सभी उन शक्तियों, जिन पर वह नियंत्रण कर पाने मे अपने को असमर्थ पाता था, को देवत्व प्रदान कर दिया था, परंतु मानवीय ज्ञान एवं तद्जनित प्रकृति पर नियंत्रण की ...और पढ़े

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ईश्वरत्व का अहंकार - 2

ईश्वरत्व का अहंकार भाग-2 अलेक को एक अपारदर्शी शीशों वाली कार में एक भव्य भवन मे लाया गया था पहुंचते ही हिदायत कर दी गई थी कि बिना आदेश वह कहीं जा नहीं सकता है। उस आदेश का अनुपालन कराने हेतु स्थान स्थान पर अनेकों सशस्त्र संतरी खड़े हुये थे। उस भवन की चहारदीवाली इतनी उूंची थी कि उसके बाहर से अंदर का अथवा अंदर से बाहर का कोई दृश्य दिखाई पड़ना असम्भव था। अलेक का मन इन सब सीमाओं और बंधनों से अछूता सातवें आसमान पर उड़ रहा था। वह अपनी माँ की स्लम-स्थित झोपडी़ की याद को ...और पढ़े

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ईश्वरत्व का अहंकार - 3

ईश्वरत्व का अहंकार भाग-3 क्लोसियस के लापता हो जाने से अन्यों के विपरीत अलेक के मन में आह्लाद उत्पन्न यद्यपि अलेक अन्यों से कमउम्र, कमजो़र और अंतर्मुरवी बालक के रूप में आया था परंतु शीघ्र ही वह न केवल शारीरिक रूप से बलशाली एवं आकर्षक व्यक्तित्व वाला नवयुवक लगने लगा था वरन् चालाक, हृदयहीन और अपने से आगे बढ़ने वालों से ईर्ष्या से दग्ध रहने वाला व्यक्ति भी बन गया था। क्लोसियस के सबसे अग्रणी रहने के कारण वह उससे द्वेष रखता था। उसकी प्रसन्नता का एक कारण और भी था- वह यह कि वह ग्लोरिया की ओर आकर्षित ...और पढ़े

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ईश्वरत्व का अहंकार - 4

ईश्वरत्व का अहंकार भाग-4 फिर कुछ दिनों तक हैमिल्टन को एक आरामदेह निवास में अकेले छोड़ दिया गया। एक पुनः अलेक के कमरे में विशेष स्पीकर से क्वाट्रोची का स्वर गूंजा, “अलेक! हैमिल्टन के सफल अपहरण से मैं तुम्हें बधाई देता हूं। मैं देख रहा था कि तुम इस बीच मनोविश्लेषण विषय का ध्यानपर्वूक अध्ययन करते रहे हो। दूसरे के मन की बात जानने और उसके विचारों को अपने मन के अनुसार मोड़ देने का अभ्यास तुम प्रशिक्षण के समय से ही करते रहे हो। इसलिये आज तुम्हें एक महत्वपूर्ण कार्य सौंपा जा रहा है। तुम्हे हैमिल्टन के निवास ...और पढ़े

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ईश्वरत्व का अहंकार - 5 - अंतिम भाग

ईश्वरत्व का अहंकार भाग-5 अलेक को अपने नवीन दायित्व के लिये पर्याप्त अनुभव नहीं था यद्यपि वह साम, दाम, और भेद सभी कलाओं में निपुण था। उसे किसी विश्वसनीय सहायक की आवश्यकता थी और सोफ़िया ने अपने अनुभव एवं निपुणता से इस कमी की पूर्ति कर दी। अलेक शीघ्र ही न केवल अपनी व्यापक शक्तियों एवं सीमाओं को समझने लगा वरन् उन शक्तियों का उपयोग क्वाट्रोची कम्पनी पर अपना वर्चस्व स्थापित करने हेतु करने लगा। सर्वप्रथम उसने बडी़ चतुराई से कम्पनी के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर स्थापित कर्मियों के अवगुणों के विषय में क्वाटो्रची के कान भरने शुरू किये। ...और पढ़े

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