बार्बी डॉल्स नीला प्रसाद (1) मैंने खुद को आईने के सामने खड़ी होकर देखा - फूले -फूले गालों, झरकर पतले हो गए बालों, पसरकर कमरा हो चुकी कमर, झुर्रियों की आहट समेटे चेहरे, थकी हुई आंखों और चर्बी की परतों से लदे पेट को। मैं अफसोस से भर उठी। मैंने खुद को एक बार फिर दाएं और बाएं घूमकर देखा; इधर -उधर, आगे -पीछे, हर कोण से देखा। नहीं, किसी भी कोण से छरहरेपन की कोई आशा शेष नहीं बची थी। मैं, जिसे छुटपन में दुलार से सब प्यारी गुड़िया कहा करते थे, अब किसी कोण से प्यारी या गुड़िया

Full Novel

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बार्बी डॉल्स - 1

बार्बी डॉल्स नीला प्रसाद (1) मैंने खुद को आईने के सामने खड़ी होकर देखा - फूले -फूले गालों, झरकर हो गए बालों, पसरकर कमरा हो चुकी कमर, झुर्रियों की आहट समेटे चेहरे, थकी हुई आंखों और चर्बी की परतों से लदे पेट को। मैं अफसोस से भर उठी। मैंने खुद को एक बार फिर दाएं और बाएं घूमकर देखा; इधर -उधर, आगे -पीछे, हर कोण से देखा। नहीं, किसी भी कोण से छरहरेपन की कोई आशा शेष नहीं बची थी। मैं, जिसे छुटपन में दुलार से सब प्यारी गुड़िया कहा करते थे, अब किसी कोण से प्यारी या गुड़िया ...और पढ़े

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बार्बी डॉल्स - 2

बार्बी डॉल्स नीला प्रसाद (2) कविता– जो बिहार के मधुबनी से प्रेमी के साथ भाग कर दिल्ली चली आई शादी कर ली। वह दुर्भाग्य से दिनों - दिन मोटी होती जा रही थी। उसका पति जोर डालता रहता था कि वह मोटापे के साथ यौवन और ताजगी खोते जा रहे चेहरे की उम्र किसी तरह थामे रखे, अपनी उम्र से ज्यादा तो नहीं ही दिखे। वह जिम जाती थी, तो वजन घट जाता था, पर जैसे ही जाना बंद करती, पहले से ज्यादा वजनी हो जाती। चेहरे पर चर्बी की परतें चढ़ी -सी लगतीं। समूह की महिलाएं उसे तरह ...और पढ़े

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बार्बी डॉल्स - 3 - अंतिम भाग

बार्बी डॉल्स नीला प्रसाद (3) आखिरकार मन नहीं माना तो मैंने पूछ ही लिया। ‘दीपाली नहीं आती इन दिनों? महीनों से नहीं देखा। अब तो बेटा खेलने लायक हो गया होगा सभी महिलाएं एक -दूसरे का मुंह देखने लगीं। मुझे कुछ अजीब -सा लगा। ठीक है कि मैं इस मंडली से बहुत घुली - मिली नहीं, पर किसी का हाल पूछ लिया तो क्या बुरा किया? तब नीलम धीरे से बोली - ‘आपको मालूम नहीं कि दीपाली नहीं रही?’ ‘क्या?’ मैं चौंकी। ‘क्या हुआ उसको?’ ‘उसने तो जी, सुसाइड कर लिया।’ ममता मैम बोलीं। ‘हाय राम, क्यों भला?... इतनी ...और पढ़े

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