सिर्फ तुम... यकीन नहीं होता कभी हम मिले थे कुछ तुम दर्द में थे, कुछ हमें भी गिले थे.. ये अधूरा इश्क़ कब पूरा सा हुआ, कब अधूरी सी ज़िन्दगी पूरी सी हुई.. ये बेदर्द सी खुशियां, इतनी हसीन क्यूं लग रही थी.. मोहब्बत तो दर्द से थी, तुमसे क्यूं हो रही थी.. कब तुम्हारी हंसी मेरी ज़िंदगी बन गयी, भटकी सी ज़िन्दगी को एक बन्दगी मिल गयी.. मेरी हर सांस में घुलता तेरा इश्क़, जैसे जन्मोजनम का साथी था.. मेरा मुझमें कुछ भी ना रहा.. बस तू ही तू मुझमें बाक़ी था... इतनी नज़दीकियां तो बढ़ा ली थी दिल

1

सिर्फ तुम..

सिर्फ तुम... यकीन नहीं होता कभी हम मिले थे कुछ तुम दर्द में थे, कुछ हमें भी गिले थे.. अधूरा इश्क़ कब पूरा सा हुआ, कब अधूरी सी ज़िन्दगी पूरी सी हुई.. ये बेदर्द सी खुशियां, इतनी हसीन क्यूं लग रही थी.. मोहब्बत तो दर्द से थी, तुमसे क्यूं हो रही थी.. कब तुम्हारी हंसी मेरी ज़िंदगी बन गयी, भटकी सी ज़िन्दगी को एक बन्दगी मिल गयी.. मेरी हर सांस में घुलता तेरा इश्क़, जैसे जन्मोजनम का साथी था.. मेरा मुझमें कुछ भी ना रहा.. बस तू ही तू मुझमें बाक़ी था... इतनी नज़दीकियां तो बढ़ा ली थी दिल ...और पढ़े

2

सिर्फ तुम.. - 2

दिन बीत रहे हैं बोझिल से,मेरे हर दिन के,हर हिस्सों मे तुम सुर्ख़ियों में हो,मैं गुमनाम कहीं खोयी हूं,गुमनामी अंधेरों में..तुम मशहूर हो रहे हो,मेरी दुनिया के बाज़ारो में..मैं हर दिन मिट रही हूँ,जैसे हर रोज़ सूरज अस्त होता है...दूर किसी छोर से,आहिस्ता आहिस्ता..किसी नीर की शीतलता उसे झुलसा रही हो..ख़ुद में मिटा रह हो, उसके वजूद को..और धीरे धीरे पिघल रहा हो किसी सागर में..था भी क्या पास,जिसका डर हो खोने का..फिर क्यों लग रहा है, जैसे खो दिया है, एक हिस्सा खुद का..अब बैचैन करने लगा है ये तन्हाई का शोर...दर-बदर क्या ख़ोज रहा है मन जाने किस ...और पढ़े

3

सिर्फ तुम.. - 3

सिर्फ तुम-3दर्द जब हद से बढ़ जाता है,चीखना चाहते है..चिल्लाना चाहते है. मन में जमी धूल एक पल निकालना चाहते है...चाहते हैं कह दें सब हाल-ए-दिल,पर कुछ कह नहीं पाते..होंठ काँप उठते हैं कुछ कहने से पहले..आंखे छलछला जाती हैं कुछ कहने से पहले..और बहा देती हैं आसुंओ में सब,वो दर्द जो दिल सह नहीं पता..जो जुबां कभी कह नहीं पाती..पर बात तो ये भी है कीइन आसुंओ की कीमत कहां जानते हैंदर्द देने वाले..जुबां के फ़रेब सुनने का शौक रखते है सब..यहां कौन निग़ाहों की ख़ामोशी जानना चाहता है..हाथ में मरहम लेकर फ़िरते तो है यहां सब,यहां कौन दिलों ...और पढ़े

4

सिर्फ तुम.. - 4

सिर्फ तुम-4खत्म हो जाते हैं कुछ रिस्ते यूँही,बेइंतहा मोहब्बत के बाद भी,और साथ में खत्म हो जाती है ज़िन्दगी,जो रही होती है हममें..और रह जाती है, एक उदासी हमेशा के लिए ज़हन में..हर वक्त मेरी खुशी का पूछने वाले,तुम कभी समझ ही नही पाए..मेरी खुशी भी तुमसे ही थी..परेशान मत रहा करो कहने वाले,मेरा सुकून भी तुम ही थे..पर जब तुम्हारे साथ होना खुशी हो सकता है..तो तुमसे दूर रहकर दुखी होना भी ज़ायज़ है..पर अब कहना है तुमसे,की जो ज़िन्दगी मर चुकी है मुझमें..अब उसका जीना मुश्किल है..एक तुझको जो खो चुकी हूं,अब खुद का मिलना मुश्किल है..यूँ ...और पढ़े

5

सिर्फ तुम.. - 5

सिर्फ तुम-5 चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ, फिर से किसी मोड़ पर मिलें, और फिर से हार जाएं... पर इसबार जो मिलेंगे तो इतना समझा देना, मैं नहीं हूं तुम्हारे जैसी बस इतना समझ जाना.. फर्क पड़ता है बहुत मुझे तुम्हारी बेरुख़ी से, बेफ़िक्र से रह लेते हो तुम कैसे. बस इतना सीखा देना.. यूँ बीच सफ़र में तुम मेरा हाथ छुड़ा ना सको, ताकी इस बार जो बिछड़ें हम, तो तुम मुझे फ़िर रुला ना सको.. इस बार जो मिलेंगे , तो अपने जैसा बना देना.. क्यों इतनी फिक्र होती है तुम्हारी, बस थोड़ा सा ...और पढ़े

अन्य रसप्रद विकल्प