उजाले की ओर जयश्री रॉय (1) दोपहर का धूल भरा आकाश इस समय पीला दिख रहा है। सूरज एकदम माथे पर- एक फैलता-सिकुड़ता हुआ बड़ा-सा सफेद धब्बा! हवा अब रह-रह कर आंच देने लगी है! रूना चेहरे पर दुपट्टा खींचते हुये कार का दरवाज़ा थोड़ा और खोल देती है। सामने की झाड़ियों में

Full Novel

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उजाले की ओर - 1

उजाले की ओर जयश्री रॉय (1) दोपहर का धूल भरा आकाश इस समय पीला दिख रहा है। सूरज एकदम पर- एक फैलता-सिकुड़ता हुआ बड़ा-सा सफेद धब्बा! हवा अब रह-रह कर आंच देने लगी है! रूना चेहरे पर दुपट्टा खींचते हुये कार का दरवाज़ा थोड़ा और खोल देती है। सामने की झाड़ियों में ...और पढ़े

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उजाले की ओर - 2

उजाले की ओर जयश्री रॉय (2) सुबीर के ओहदे के हिसाब से उन्हें सी टाइप क्वार्टर मिला था। दो पहले ही टीएडी (टाउन एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेन्ट) वालों ने क्वार्टर हैंड ओवर किया था इसलिए चारों तरफ ह्वाइट वाश और ताज़ा पेंट की महक आ रही थी। दो कमरे, ड्राइंग-डाइनिंग रूम, एक छोटा-सा स्टोर, किचन, बैल्कनी और छत! सुबीर बहुत उत्साहित था- ‘रूना! हमारा घर... बहुत अच्छी तरह सजाएँगे।‘ उसने रूना से पहले घर की दहलीज़ पर पाँव रखने का आग्रह किया था। ऐसे भावुक क्षणों में वह किसी बच्चे की तरह मासूम लगता है। ढेर सारे पैकिंग बॉक्स और गठरियों ...और पढ़े

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उजाले की ओर - 3

उजाले की ओर जयश्री रॉय (3) उस दिन वह सुबीर के साथ विंध्य क्लब गई थी। उसके किसी कोलीग पाँचवीं मैरिज एनीवर्सरी थी! क्लब का माहौल बेहद सुखद था। लोग भी सहज और मिलनसार। वहीं पहली बार शुभ्रा देशपांडे मिली थीं, खूब गोरी और बिल्लौरी आँखों वाली सुंदर महिला, स्त्री रोग विशेषज्ञ। खूब स्नेह और अपनेपन से दोनों हाथ थाम कर कहा था- ‘सबसे मिला-जुला कीजिये, अच्छा लगेगा। अपने घर-परिवार से दूर परदेश में यही अपना परिवार है... पिछली जनवरी को अपने घर कोल्हापुर नहीं जा पाई तो यहीं हल्दी-कुमकुम मनाया। कालोनी की सभी विवाहित महिलाएं आयीं।‘ रूना को ...और पढ़े

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उजाले की ओर - 4 - अंतिम भाग

उजाले की ओर जयश्री रॉय (4) परियोजना के बाहर प्रौढ़ शिक्षा केंद्र, आस-पास के गाँव की महिलाओं के लिए कार्यशाला, मूक बधिर बच्चों का स्कूल, दिव्याङ्ग बच्चों के लिए साइकिल रिक्शा वितरण और भी बहुत कुछ... सुहासिनी संघ के क्रिया कलापों ने रूना को गहरे प्रभावित किया था। पहले तो उसे विश्वास ही नही हुआ कि ऐसी संभ्रांत कॉलोनी की महिलाएं ग्रासरूट पर इस तरह के सामाजिक कल्याण के कार्यों से भी जुड़ी हो सकती हैं, लेकिन यह सच था और इस सच ने रूना को गहरे प्रभावित किया था। उसने खुद ब खुद इन कामों में रुचि दिखानी ...और पढ़े

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