नाम में क्या रखा है (1) “फलसफों को जरूरत नहीं किसी अफसाने की ये बात तो है बस दिल को जलाने की”.......कुछ ऐसा ही मेरा हाल है. ‘मैं कुछ नहीं से कुछ होने तक’ के सफ़र की अकेली कड़ी हूँ जो अपने अन्दर की कचोट से लडती है झगडती है लेकिन शिनाख्त करने की हिम्मत नहीं है शायद तभी तो असमंजस के जूतों में पाँव डाल डगमगाती चाल से हैरान परेशान हूँ. खुद को देखना एक प्रक्रिया भर नहीं है. ढूंढती हूँ अन्दर ठहरी बर्फ में आग के निशाँ जो पिघला सकें अपनी तपिश से बरसों से जमी बर्फ को.

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नाम में क्या रखा है - 1

नाम में क्या रखा है (1) “फलसफों को जरूरत नहीं किसी अफसाने की ये बात तो है बस दिल जलाने की”.......कुछ ऐसा ही मेरा हाल है. ‘मैं कुछ नहीं से कुछ होने तक’ के सफ़र की अकेली कड़ी हूँ जो अपने अन्दर की कचोट से लडती है झगडती है लेकिन शिनाख्त करने की हिम्मत नहीं है शायद तभी तो असमंजस के जूतों में पाँव डाल डगमगाती चाल से हैरान परेशान हूँ. खुद को देखना एक प्रक्रिया भर नहीं है. ढूंढती हूँ अन्दर ठहरी बर्फ में आग के निशाँ जो पिघला सकें अपनी तपिश से बरसों से जमी बर्फ को. ...और पढ़े

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नाम में क्या रखा है - 2

नाम में क्या रखा है (2) प्रश्न मेरे पाले में था तो जवाब तो देना ही था “ आप ध्यान नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर लगाइए. वो करने की कोशिश कीजिए जो आप करना चाहते हों और अब तक न कर पाए हों.......... ढूंढिए खुद में सोये और खोये प्रणय की उन चाहतों को जिन्हें अब तक आकार नहीं दे पाए.” “ आप तो किताबी बातें करने लगीं “. “ इसमें क्या किताबी है बताइए ? आपने पूछा, मुझे जो उचित लगा बता दिया, या आप कुछ ऐसा चाहते हैं जो कह नहीं पा रहे तो बताइए शायद कोई ...और पढ़े

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