बाबुल मोरा.... ज़किया ज़ुबैरी (1) “मां मैने कह दिया, मैं यह घर नहीं छोड़ूंगी।” “क्यों नहीं छोड़ेगी और कैसे नहीं छोड़ेगी..?” “क्योंकि यह मेरा भी घर है।” “यह किसने कह दिया तुझ से..?” “यह मेरे डैड का घर है..!”“मैं तुझे यहां नहीं रहने दूंगी क्योंकि तू फ़िल के साथ नहीं रहने को तैयार है।” “मैं क्यों रहूँ उसके साथ..? अब तो तुम्हें भी उस तीन साल जेल काटे हुए अपराधी को घर में नहीं आने देना चाहिए।” “लिसा यह मुझसे नहीं होगा।” “क्यों नहीं होगा? क्या मैं तुम्हारी बेटी नहीं हूँ..?” “तूं 18 वर्ष की हो गई है, क्यों नहीं
Full Novel
बाबुल मोरा... - 1
बाबुल मोरा.... ज़किया ज़ुबैरी (1) “मां मैने कह दिया, मैं यह घर नहीं छोड़ूंगी।” “क्यों नहीं छोड़ेगी और कैसे छोड़ेगी..?” “क्योंकि यह मेरा भी घर है।” “यह किसने कह दिया तुझ से..?” “यह मेरे डैड का घर है..!”“मैं तुझे यहां नहीं रहने दूंगी क्योंकि तू फ़िल के साथ नहीं रहने को तैयार है।” “मैं क्यों रहूँ उसके साथ..? अब तो तुम्हें भी उस तीन साल जेल काटे हुए अपराधी को घर में नहीं आने देना चाहिए।” “लिसा यह मुझसे नहीं होगा।” “क्यों नहीं होगा? क्या मैं तुम्हारी बेटी नहीं हूँ..?” “तूं 18 वर्ष की हो गई है, क्यों नहीं ...और पढ़े
बाबुल मोरा... - 2
बाबुल मोरा.... ज़किया ज़ुबैरी (2) सार्जेन्ट लिसा को हमदर्दी भरी नज़रों से पढता जा रहा था की कितनी गहरी लगी है इसछोटी सी उम्र में। क्या यह इस दुःख से कभी उबर भी पाएगी? वह चुप चाप सुनना चाहता था लिसा के दुःख। सार्जेन्ट की टीम वापस आ गई थी। लिसा को वहां बैठा देख कर सब अन्दर वाले कमरे में चले गए। “लिसा, पानी पियोगी?” “हाँ... !” लिसा ने जल्दी से कहा। उसका गला सूख़ा जा रहा था मगर समझ में नहीं आ रहा था की कहाँ रुके और पानी कब मांगे। वह तो जल्दी से जल्दी मालूम करना चाह रही थी कि सार्जेन्ट बताए कि अब आगे वह क्या कार्यवाही करेगा? उसको क्या सज़ा देगा? क्या उसके डैडी फिर से वापस आ जाएँगे? हर क़दम पर डैडी को याद कर रही थी लिसा। सार्जेन्ट ने इस बीच अपनी टीम से भी सवाल कर लिया, “क्या रेड (छापे) से कुछ नतीजा भी निकला?” “हाँ एक लड़का पकड़ा गया है और दो भाग गए।” ग्राहम पार्क का रोज़ का यही तमाशा ...और पढ़े
बाबुल मोरा... - 3 - अंतिम भाग
बाबुल मोरा.... ज़किया ज़ुबैरी (3) लिसा का ग़ुस्सा बढ़ता जा रहा था; जैसे जैसे उसे अहसास हो रहा था कुछ खो जाने का ; लुट जाने का...अपने ही घर में आंखों के सामने डाका पड़ जाने का और अपनी मजबूरी का. उसके डैडी ने उसे कुछ संस्कार दिये थे। रोमन केथॉलिक होने के संस्कार। वह अपने जीज़स की बताई बातों पर चलना चाहती थी क्योंकि उसके डैडी को वही बातें पसन्द थी। नैंसी हमेशा मज़हब के ख़िलाफ़ बात करती... मज़ाक उड़ाती मज़हब का। उसके अनुसार मज़हब के अनुसार चलने वाले दक़ियानूसी होते हैं... पिछड़े हुए लोग। शुक्र मनाती कि ...और पढ़े