सिंहासन बत्तीसी

(140)
  • 118.8k
  • 138
  • 58k

प्राचीन समय की बात है। उज्जैन में राजा भोज राज्य करते थे। वह बड़े दानी और धर्मात्मा थे। उनके बारे में प्रसिद्ध था कि वह ऐसा न्याय करते कि दूध और पानी अलग—अलग हो जाए। नगरी में एक किसान का एक खेत था। जिसमें उसने कई साग—सब्जी लगा रखी थी। एक बार की बात है कि खेत में बड़ी अच्छी फसल हुई। पूरी जमीन पर तो खूब तरकारियां आईं, लेकिन खेत के बीचों—बीच थोड़ी—सी जमीन खाली रह गई। हालांकि किसान ने उस जमीन पर भी बीज डाले थे। लेकिन वहां कुछ नहीं उगा। किसान ने वहां खेत की रखवाली के लिए एक मचान बना लिया। जब भी किसान मचान पर चढ़ता अपने आप चिल्लाने लगता— श्कोई है? राजा भोज को पकड़ लाओ और सजा दो। मेरा राज्य उससे ले लो। जाओ, जल्दी जाओ।' सारी नगरी में यह बात आग की तरह फैल गई और राजा भोज के कानों में पहुंची। राजा ने कहा, श्मुझे उस खेत पर ले चलो। मैं सारी बातें अपनी आंखों से देखना और कानों से सुनना चाहता हूं।'

Full Novel

1

भाग-१ - सिंहासन बत्तीसी

Part-01-Sinhasan Battisi ...और पढ़े

2

भाग - २ - सिंहासन बत्तीसी

Part - 2 - Sinhasan Battisi ...और पढ़े

3

भाग-३ - सिंहासन बत्तीसी

Part - 3 - Sinhasan Battisi ...और पढ़े

4

भाग-४ - सिंहासन बत्तीसी

Part-4 - Sinhasan Battisi ...और पढ़े

5

भाग-५ - सिंहासन बत्तीसी

Part - 5 - Sinhasan Battisi ...और पढ़े

6

भाग-६ - सिंहासन बत्तीसी

Part - 6 - Sinhasan Battisi ...और पढ़े

7

भाग-७ - सिंहासन बत्तीसी

Part-7- Sinhasan Battisi ...और पढ़े

8

भाग-८ - सिंहासन बत्तीसी

Part-8- Sinhasan Battisi ...और पढ़े

अन्य रसप्रद विकल्प