प्यार,इश्क़, प्रेम का आज कल की भाषा में लगभग एक ही अर्थ होता है। जिस प्रकार बीज को उगने के लिए सही समय व पर्याप्त वातावरण चाहिए होता है ठीक वैसे ही इश्क़ को पनपने के लिए एक उम्र एक एक सख्स चाहिए होता है। किशोर अवस्था में हमउम्र के साथ ही ये पनपता है। यूं तो इस अनोखे से रस को मैंने भी चखा है ये बात अलग रही कि मेरा इश्क़ मुक़म्मल न हो सका। उन्हीं लम्हों को मैं यहां साझा करूँगा। 9th क्लास की बात थी मैं घर से बाहर पढ़ने के लिए गया एकदम अलग माहौल

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मुझे इश्क़ हुआ है

प्यार,इश्क़, प्रेम का आज कल की भाषा में लगभग एक ही अर्थ होता है। जिस प्रकार बीज को के लिए सही समय व पर्याप्त वातावरण चाहिए होता है ठीक वैसे ही इश्क़ को पनपने के लिए एक उम्र एक एक सख्स चाहिए होता है। किशोर अवस्था में हमउम्र के साथ ही ये पनपता है। यूं तो इस अनोखे से रस को मैंने भी चखा है ये बात अलग रही कि मेरा इश्क़ मुक़म्मल न हो सका। उन्हीं लम्हों को मैं यहां साझा करूँगा। 9th क्लास की बात थी मैं घर से बाहर पढ़ने के लिए गया एकदम अलग माहौल ...और पढ़े

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मुझे इश्क़ हुआ है - 2

पिछले भाग से आगे- किसी भी प्रेमी का इससे ज्यादा और कुछ नही हो सकता था, लेकिन मैं इस मामले में अपरिपक्व था। मुझे हमेशा डर रहता कि, उसके दिल में मेरे लिए वो अहसास, वो चाहत, वो प्यार नही हुआ, जो उसके लिए मेरे दिल में है। ऐसे में मैंने उससे अपने दिल की बात की, और अपनी महोब्बत का इज़हार किया तो, क्या होगा? बस यही सोचकर मेरे क़दम रुक जाते और मेरे लफ्ज़ मेरा साथ नही देते। फिर भी मेरी जिंदगी के हर लम्हें में, वो समा गई। अब ...और पढ़े

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मुझे इश्क़ हुआ है - भाग 3

ये सिलसिला यूं ही आगे बढ़ता गया। अभी कोई ज्यादा उम्र तो थी नही, प्यार महोब्बत के बारे में इतनी तो नही थी। मगर जो मेरे साथ चल रहा था वो बहुत ही हसीन चल रहा था। हम लोग 9 वीं क्लास में थे मैं अपने गांव से दूर शहर में जाकर पढ़ रहा था। तो थोड़ा इन चीजों से डरता भी, मगर जब कोई दिल में बस जाए और ख़्वावों पर कब्ज़ा कर ले तो फिर क्या कहने। ना जाने कब एक चेहरा मुझे दिखा और धीरे धीरे मैं उस चेहरे में खुद को तलाशने लगा और आंखे ...और पढ़े

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