मम्मी पढ़ रही हैं

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कैसी हो हिमानी, क्या कर रही हो? - ठीक हूं शिवा, दिव्यांश का होमवर्क पूरा करा रही हूं, तुम बताओ तुम क्या कर रही हो? - मैं बहुत टेंशन में हूं यार। आज सुबह ही तुम्हें फ़ोन करने वाली थी लेकिन काम इतने थे कि कर ही नहीं पाई। - अच्छा, लेकिन तुम्हें किस बात की टेंशन हो गई? - क्या यार तुम तो ऐसे बोल रही हो कि जैसे मैं इंसान ही नहीं हूं और जब मैं इंसान नहीं हूं तो मुझे टेंशन नहीं, क्यों ऐसा ही है। है न।

Full Novel

1

मम्मी पढ़ रही हैं - 1

कैसी हो हिमानी, क्या कर रही हो? - ठीक हूं शिवा, दिव्यांश का होमवर्क पूरा करा रही हूं, तुम बताओ तुम कर रही हो? - मैं बहुत टेंशन में हूं यार। आज सुबह ही तुम्हें फ़ोन करने वाली थी लेकिन काम इतने थे कि कर ही नहीं पाई। - अच्छा, लेकिन तुम्हें किस बात की टेंशन हो गई? - क्या यार तुम तो ऐसे बोल रही हो कि जैसे मैं इंसान ही नहीं हूं और जब मैं इंसान नहीं हूं तो मुझे टेंशन नहीं, क्यों ऐसा ही है। है न। ...और पढ़े

2

मम्मी पढ़ रही हैं - 2

ड्रॉइंगरूम में उसे उम्मीदों के अनुरूप नमन पढ़ता मिला। पूछने पर उसने फिर कहा ‘मम्मी ऊपर टीचर जी से रही हैं।’ यह सुनकर हिमानी ने मन ही मन कहा आज देखती हूं तेरी मम्मी कौन सी पढ़ाई कर रही हैं। उसने प्यार से नमन के गाल को छूते हुए कहा ‘ठीक है बेटा मैं उनसे ऊपर ही जाकर बात कर लूँगी। तुम अपनी पढ़ाई करो।’ हिमानी इतनी उतावली थी शिवा की पढ़ाई देखने को कि नमन कुछ बोले उसके पहले ही दबे पांव तेजी से चल दी ऊपर। ...और पढ़े

3

मम्मी पढ़ रही हैं - 3

रिसीव करूं न करूं यही सोचते-सोचते रिंग खत्म हो गई। इसके बाद ऐसा तीन बार हुआ।कॉल रिसीव न करने उसने एस.एम.एस. किया कि फ़ोन नहीं उठाएंगी तो मैं अभी घर आ जाऊंगा। मैं जानता हूं कि आप जाग रही हैं और यह भी जानता हूं कि आप मुझे रोक भी नहीं पाएंगी। यह पढ़कर मैं बेहद पशोपेश में पड़ गई। उसकी यह बात सच थी कि मैं उसी के कारण सो नहीं पा रही थी। यह उधेड़बुन और बढ़ती कि इसी बीच फिर उसकी कॉल आ गई। रिंग सुनते ही मुझे न जाने क्या हो गया कि मैंने एक झटके में कॉल रिसीव कर बोल दिया हैलो तो उसने तुरंत ही करीब करीब हंसते हुए कहा। ...और पढ़े

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मम्मी पढ़ रही हैं - 4 - अंतिम भाग

उसकी इस बात से मैं एकदम से हार गई खुद से। और नमन पर एक नज़र डाल कर कहा मन लगाकर पढ़ना नहीं टीचर जी डांटेंगे। मैं ऊपर हूं। अब तक मेरी साँसें धौंकनी सी चलने लगी थीं। गहरी साँसे, और शरीर में जगह-जगह बढ़ते जा रहे तनाव को लिए मैं ऊपर कमरे के दरवाजे के बीच पहुंची ही थी कि उसने बेहिचक मेरा हाथ पकड़ कर अंदर खींच लिया। मैं कुछ समझती कि इसके पहले ही उसने झुक कर मुझे काफी नीचे से पकड़ कर ऊपर उठा लिया। मेरा चेहरा एकदम उसके चेहरे के सामने था। ...और पढ़े

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