हीर... - 25

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बचपन की मासूमियत और उस मासूमियत में करी गयी निश्छल सी बातें कानों में जाकर एक अलग ही तरह का रस घोल देती हैं जिसके एहसास से मन एकदम से प्रफुल्लित हो उठता है वैसा ही कुछ हुआ मधु के साथ जब उन्होंने नन्हीं सी ज्योति को ये कहते सुना कि "मुझे लाजीव से छादी कलनी है!!" रोते रोते अचानक से कही गयी ज्योति की ये मासूम सी बात सुनकर मधु ताली बजाकर जोर से हंसी और "अरे... हाहाहा!!" कहते हुये उन्होंने ज्योति को अपने गले से लगा लिया... मधु और ममता तो ज्योति की इस बात पर हंस ही रही थीं..