रेत होते रिश्ते - भाग 8

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हम लोग गेटवे ऑफ इंडिया वापस लौटे, तब तक हल्का-हल्का अँधेरा होने लगा था। शाबान काफी थक चुका था और आरती की इच्छा भी अब घर लौटने की थी। उन्हें मालूम था कि मुझे अब आर्मी क्लब जाना है। आरती के चेहरे पर थकान के चिह्न नहीं थे किन्तु संभवत: उसे यह अहसास था कि उन लोगों के कारण मेरे किसी जरूरी काम में खलल न पड़े। इसी से उसने भी शाबान के साथ घर लौट जाने की इच्छा व्यक्त की। मैं उनसे अलग होकर टैक्सी से कोलाबा के लिए चल पड़ा। मैं जब तक वहाँ पहुँचा, राज्याध्यक्ष साहब आये