अपने ताऊ जी जगदीश प्रसाद को गोद मे उठाकर राजेश कार की तरफ भागा और उसके पीछे पीछे मैत्री और सरोज भी कार की तरफ दौड़ पड़े, सरोज ने फटाफट घर का मेन गेट लॉक किया इसके बाद कार तक पंहुच कर मैत्री ने कार की पिछली सीट वाला गेट खोला तो राजेश ने बड़े आराम से बदहवास जगदीश प्रसाद को कार की पिछली सीट पर लेटा दिया इसके बाद हद से जादा घबराई हुयी मैत्री अपने पापा के सिर की तरफ बैठ गयी और उनका सिर अपनी गोद मे रख लिया और सरोज उनके पैरो की तरफ बैठ गयीं