भक्तराज ध्रुव - भाग 6

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जैसे प्राणियों के शरीर से आरोग्य और रोग के कीटाणु निकला करते हैं और आस-पास के लोगों पर प्रभाव डालते हैं, वैसे हीसत्य, अहिंसा, प्रेम, भक्ति आदि के चिदणु भी बाहर निकला करते हैं तथा मिलने-जुलने वालों पर अपना प्रभाव डालते हैं। कोई अपने को गुप्त नहीं रख सकता, सभी के शरीरसे तन्मात्राएँनिकलती हैं और वायुमण्डल को अपने अनुकूल बनाती हैं।संतों के शरीर से भी निरन्तर सद्भावनाओं का प्रसार होता रहता है और उनके सम्पर्क में रहकर कोई असंत हो नहीं सका। एक यह भी कारण है कि लोगों ने सत्सङ्ग को इतना महत्त्व दिया है। किसी को पहचानना हो