आकाश को कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन सच तो यह था वो आज ज्यादा कुछ समझना भी नहीं चाह रहा था क्योंकि कभी-कभी ज्यादा समझदारी छोटी-छोटी खुशियों और मजे को खत्म कर देता है कर देती है | दोनों कुछ पल के लिए अपनी दुनिया में खो गए, उस दुनिया में जहां कोई उन्हे रोकने टोकने वाला नही था | कुछ देर बाद संदीप ने कंपकंपाते हुए कहा- "ईईईई.....मुझे अब बहुत सर्दी लग रही है, अब हमें चलना चाहिए, क्या यार तुम तो कह रहे थे तुम्हें बारिश पसंद नहीं है और तुम्हें कोई ठंड नहीं लग रही