रात के लगभग आठ बज रहे थे। रुपाली चुपचाप से घर से निकल गई। जल्दी से उसने रिक्शा पकड़ा और प्रियांशु को फ़ोन किया और कहा, "प्रियांशु मैं आ रही हूँ।" "अरे-अरे रुपाली वहाँ उस पार्टी प्लॉट में तो बहुत से मेहमान हैं। कोई तुम्हें देख ना ले। बाजू में ही विवेक का घर है ना, मैं वहीं पर हूँ। बुखार का माँ को पता ना चले इसलिए। " "अरे तो वहाँ विवेक के पापा मम्मी होंगे ना, प्रियांशु?" "वह सब तो मेरी फैमिली के साथ हैं।" "प्रियांशु मेरे पास ज्यादा समय नहीं है। मैं सिर्फ़