कभी अलविदा न कहना - 9

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कभी अलविदा न कहना डॉ वन्दना गुप्ता 9 "मम्मी कल मैं रात को वहीं एक मैडम के घर रुक जाऊंगी, क्योंकि परसों सुबह आठ बजे कॉलेज में उपस्थिति देनी है।" मेरी बात सुनकर मम्मी थोड़ी चिंतित लगीं... "कौन सी मैडम? पापा से पूछना पड़ेगा.." "दीदी! पता है आज क्या हुआ..?" अंशु मम्मी की आँखें देखकर बोलती हुई रुक गयी। "क्या हुआ..?" मेरी उत्सुकता चरम पर थी। हम बहनों की आँखों आँखों में बात हो गयी कि अकेले में बात करेंगे। आशा के विपरीत पापाजी ने भी रात को मैडम के यहाँ रुकने की सहर्ष अनुमति दे दी। आज दिल में विचारों का