वो कौन थी-19

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सूरज ढल चुका था, फिर भी क्षितिज गुलाबी चुनरी ओढ़ कर और भी लुभावनी लग रही थी...! आबू का खूबसूरत प्राकृतिक नजारा कैमरे में कैद कर लेने को किसी का भी मन उतावला हो उठे एेसा था! मन को प्रसन्नता से भर देने वाले अनुपम करिश्माई मंजर आंखों की ठंडक बने हुए थे!धीमे-धीमे पश्चिम की ओर क्षितिज पर मंडराने वाली सिंदूरी रोशनी अपनी रोनक समेटते हुए अंधेरे के आगोश में ढलने लगी !घाढ अंधेरा हो जाए उससे पहले तावड़े को फर्नांडिज का पर्स हासिल करने की तलब लगी थी! वारिसखान की आत्मा का अचानक प्रकट होना और फिर गायब हो जाना बात कुछ हजम