फिर भी शेष - 16 Raj Kamal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें प्रेम कथाएँ किताबें फिर भी शेष - 16 फिर भी शेष - 16 Raj Kamal द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ (20) 3.4k 2.8k हिमानी से मिलकर लौटी काजल बहुत दिन तक मानसिक उथल—पुथल से उद्विग्न रही। द्वंद ऐसा था, जिसका समाधान नहीं सूझता था। विषय ऐसा विस्फोटक था कि दूर—दूर तक विध्वंस कर सकता था। बात ऐसी गोपनीय कि उस पर विमर्श ...और पढ़ेतो दूर, सोचते ही मस्तिष्क कुंद हो जाए और अचकचाकर अपनी ही जुबान दातों से काट ले। पति से सलाह लेना तो बिल्कुल पेट्रोल को माचिस की तीली दिखाने जैसा होगा। ऐसी खूबसूरत संभावना से भला कौन निःसंग हो सकता है। ऐसे कमनीय आमंत्रण पर तपस्वियों के जीवन भर के तप मलिन हो गए हैं। बेचारे एक आम पति की क्या बिसात? कभी अवसर पाकर, बहाने से उर्वराती मिट्टी को सींच ही आए...और पंक में आकंठ डूब कर फिर उसकी देह से आ लिपटे, यह उससे सहन नहीं होगा। काजल सोचती है, ‘संभवतः कोई भी स्त्री ऐसा नहीं चाहेगी।' कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी सुनो मोबाईल पर डाऊनलोड करें फिर भी शेष - उपन्यास Raj Kamal द्वारा हिंदी - प्रेम कथाएँ (548) 210.5k 141.1k Free Novels by Raj Kamal अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Raj Kamal फॉलो