शिव बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी

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दूर, झुरमुट के बीच में जो खण्डहर दिखाई दे रहा है न, असल में वो खन्डहर नहीं है. पुरानी हवेली है. लेकिन लोग उसे खण्डहर ही कहते हैं. हवेली यानि बड़ा सा घर. बड़ा सा बंगला. बहुत पुराना बंगला. लेकिन हमें इसे हवेली ही कहना है. आज फ़्लैट्स, मल्टी स्टोरीज़, अधिक से अधिक डूप्लैक्स के ज़माने में इतने बड़े स्वतंत्र बंगले को हवेली ही कहा जाना चाहिये. और फिर कहा जाना चाहिये या नहीं इस बहस में हमें पड़ना ही नहीं है. पड़ने की ज़रूरत भी नहीं है. चूंकि इस खंडहर यानि हवेली में रहने वाले इसे हमेशा से हवेली

Full Novel

1

शिव बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी- (भाग-1)

दूर, झुरमुट के बीच में जो खण्डहर दिखाई दे रहा है न, असल में वो खन्डहर नहीं है. पुरानी है. लेकिन लोग उसे खण्डहर ही कहते हैं. हवेली यानि बड़ा सा घर. बड़ा सा बंगला. बहुत पुराना बंगला. लेकिन हमें इसे हवेली ही कहना है. आज फ़्लैट्स, मल्टी स्टोरीज़, अधिक से अधिक डूप्लैक्स के ज़माने में इतने बड़े स्वतंत्र बंगले को हवेली ही कहा जाना चाहिये. और फिर कहा जाना चाहिये या नहीं इस बहस में हमें पड़ना ही नहीं है. पड़ने की ज़रूरत भी नहीं है. चूंकि इस खंडहर यानि हवेली में रहने वाले इसे हमेशा से हवेली ...और पढ़े

2

शिव बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी (भाग-2)

“ कौन है बे? किससे बातें कर रहा लालू? ““ दो लड़के आये हैं भैया. पूछ रहे महाराज हैं कौन महाराज? जा कह दे यहां कोई महाराज नहीं रहते. ““अबे रुक लालू… क्या पूछ रहे, महाराज?”“हां भैया.”“जा कह दे, महाराज अभी ध्यान कर रहे.” साधु यानि सत्यम का दिमाग तुरन्त चलने लगा था. समझ गया कि उस दोपहर जरूर किसी ने उसे पीली धोती पहन के पानी लाते देखा है. लालू कुछ समझा, कुछ नहीं. हवेली के बचे-खुचे हिस्से की देख-रेख के लिये यहां रह रहे चौकीदार ’तिवारी’ ने गांव जाने के पहले अपने भतीजे को यहां बुलाया था ...और पढ़े

3

शिव बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी (भाग-3)

मन्दिर के चबूतरे पर मजलिस लगाने वाली महिलाओं को नयी जगह मिल गयी थी वो भी सालों से वर्जित वर्जित फल खाने का मज़ा ही कुछ और होता है. महिलाएं अब हवेली के ढहे हुए हिस्सों का निरीक्षण भी करने लगीं थीं. महाराज कभी-कभार बोल के आशीर्वाद देने लगे थे अब. कभी न बोलने वाले महाराज जब किसी को ’सौभाग्यवती भव’ कहते तो उस औरत के चारों ओर सौभाग्य नाचने लगता . दूसरी औरतें ईर्ष्या से उसे देखतीं. किसी की ओर नज़र भी न उठा के देखने वाले महाराज को पूरे मोहल्ले के लोगों ने अघोषित चरित्र प्रमाण पत्र ...और पढ़े

4

शिव बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी (भाग-4)

लग रहा था जैसे सारा पुण्य , आज उस बुज़ुर्ग महिला के खाते में जमा होने वाला है…. पाप पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाली महिलाओं का जत्था अतृप्त सा लौट रहा था.अगले दिन फिर एक प्रौढ महिला के सिर पर हाथ रखा…उसके अगले दिन फिर बुज़ुर्ग महिला के सिर पर….लेकिन पांच दिन बाद एक युवा महिला के सिर पर हाथ पड़ा. उस युवा औरत का पति भी बाहर बरामदे में बैठा है. महाराज कमरे में बन्द हो गये हैं. ललितेश्वर महिला की मदद के लिये उपस्थित हैं. महाराज के कमरे में बंद होते ही पति निश्चिन्त हुआ है. अगले ...और पढ़े

5

शिव बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी (भाग-5) - Last

बीजक यज्ञ शुरु हो गया है. गुप्त यज्ञ है. महाराज मन ही मन मंत्र बुदबुदाते हैं और स्वाहा ज़ोर बोलते हैं. पति=पत्नी आग में घी की आहुति डालते हैं हर स्वाहा पर. महाराज ने एक नारियल लाल कपड़े में लपेट के रख दिया है वेदी के सामने. यही बीज है. यज्ञ समाप्ति पर यही कविता के गर्भ में स्थापित होगा, अदृश्य रूप में. सांकेतिक बीज है ये. कविता के हाथ में पुष्प और अक्षत पकड़ा के , उसके दोनों हाथ अपनी हथेलियों में बन्द करके महाराज आंखें मूंदे बीजक मंत्र पढ़ रहे हैं. कविता के स्निग्ध हाथों का स्पर्श ...और पढ़े

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