मुंबई की रातें— जो कभी हज़ारों सपनों की धड़कन हुआ करती थीं, वे अब अविन अविनाशी चौहान के लिए किसी रोमांच से नहीं, बल्कि एक खामोश मजबूरी से भरी थीं। यह नवंबर की उमस भरी रात थी; मरीन ड्राइव के दूर की रोशनी, अँधेरी गलियों में बारिश के पानी से भीगी काली डामर सड़क पर फिसल रही थी। अविन की टैक्सी, उसकी पुरानी, वफ़ादार काली Padmini Premier 'Padmini', एक कोने में दबी खड़ी थी। इसका नाम 'काली' था, और यह इसकी पहचान थी— पुरानी, भरोसेमंद, पर भीतर से खोखली। अविन स्टीयरिंग पर हाथ रखे बैठा था, उसकी उंगलियां हल्के भूरे रंग के प्लास्टिक कवर पर बेतरतीब ढंग से थिरक रही थीं।

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भूत सम्राट - 1

अध्याय 1 – यात्री, अज्ञातमुंबई की रातें— जो कभी हज़ारों सपनों की धड़कन हुआ करती थीं, वे अब अविन चौहान के लिए किसी रोमांच से नहीं, बल्कि एक खामोश मजबूरी से भरी थीं। यह नवंबर की उमस भरी रात थी; मरीन ड्राइव के दूर की रोशनी, अँधेरी गलियों में बारिश के पानी से भीगी काली डामर सड़क पर फिसल रही थी।अविन की टैक्सी, उसकी पुरानी, वफ़ादार काली Padmini Premier 'Padmini', एक कोने में दबी खड़ी थी। इसका नाम 'काली' था, और यह इसकी पहचान थी— पुरानी, भरोसेमंद, पर भीतर से खोखली। अविन स्टीयरिंग पर हाथ रखे बैठा था, उसकी ...और पढ़े

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भूत सम्राट - 2

अध्याय 2 – 700 साल पुरानी हवेलीसुबह के 4:05 AM हो चुके थे।मुंबई की नमी भरी हवा में अविन पुरानी, काली Padmini Premier 'Padmini' धीरे से चॉल के बाहर खामोश हो गई। आज की रात बाकी रातों से जुदा थी। छह पैसेंजर... चार इंसान, और बाक़ी दो वो, जो अदृश्य थे— और उन अदृश्यों का एक अविश्वसनीय 'इनाम'। यह सब अब अविन के लिए 'नॉर्मल' हो चुका था, एक भयानक दिनचर्या। उसके रूममेट्स मोहन और सतीश को इसका ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि उनके दोस्त की रोज़ी-रोटी 'असामान्य' पर टिकी है।अविन ने गेट खोलकर कमरे में कदम रखा ...और पढ़े

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भूत सम्राट - 3

अध्याय 3 – भूतिया कॉइनअगले दिन दोपहर लगभग 1:00 PMस्थान: जयपुर स्टेशनमुंबई से आई ट्रेन जैसे ही सीटी मारते जयपुर स्टेशन पर रेंगकर रुकी, अविन ने अपनी प्लास्टिक की बोतल उठाई, बैग सँभाला और बाहर कदम रखा—…और अगले ही सेकंड उसे लगा कि किसी ने उसे तंदूर में धकेल दिया हो।मानो सामने खड़े किसी अदृश्य राक्षस ने कहा हो:> “स्वागत है रे बामन… आ गया तू मेरी भट्टी में!”>गर्म, शुष्क हवा का झोंका उसके चेहरे पर ऐसे पड़ा जैसे किसी ने गरम तवा लेकर थप्पड़ मारा हो।मुंबई की चिपचिपी नमी अचानक किसी पुराने एक्स की याद की तरह गायब ...और पढ़े

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भूत सम्राट - 4

अध्याय 4 – सिंहासनसमय: रात्रि 07:17 PMअविन मुख्य द्वार के सामने खड़ा था। उसके ठीक सामने, हवेली का मुख्य फैला हुआ था—गहरा, साँसें रोक देने वाला काला गड्ढा। रात अपनी पूरी शक्ति के साथ आसमान पर छा चुकी थी। अविन ने सिर ऊपर उठाकर देखा। आसमान में चाँद, जैसे किसी पुरानी कहानी का एकमात्र दर्शक, अपनी ठंडी, पीली रौशनी फेंक रहा था। उस रौशनी में हवेली और भी भयावह लग रही थी।> अविन की 'भूत की आँख' —वह अलौकिक दृष्टि जो उसे एक्सीडेंट के बाद मिली थी—रात के अँधेरे को दिन के उजाले में बदल रही थी। हर परछाई, ...और पढ़े

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भूत सम्राट - 5

अध्याय 5 – 100 भूतों का दरबारसमय: रात्रि 07:25 PMअविन के शरीर का दर्द, सिंहासन की ठंडी, धातु और की सतह को छूते ही, एक झटके में ग़ायब हो गया। यह सिर्फ़ दर्द का रुकना नहीं था; यह एक भयानक शून्य का एहसास था, मानो उसकी अपनी जैविक ऊर्जा को किसी ख़तरनाक शक्ति ने सोख लिया हो। वह जानता था कि यह राहत नहीं, बल्कि एक ज़हरीली शक्ति का ट्रांसफ़र है। डर से उसकी साँसें तेज़ हो गईं, लेकिन उसकी 'भूत की आँख' (Ghost Sight) अब भी खुली थी—वह आने वाले हर अप्रत्याशित पल को स्कैन कर रही थी।सिंहासन ...और पढ़े

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