अंधेरी रात, बरसते बादल और सूनी सडक. कोने में बैठा एक फटेहाल बूढा आदमी, मैली दाढी, गंदे कपडे, हाथ में लोहे का कटोरा. राहगीर उसे नजरअंदाज करते, कुछ लोग सिक्के फेंककर आगे बढ जाते. कोई नहीं जानता था कि ये झुका हुआ बूढा असल में शहर का सबसे बडा नाम था—कबीर मल्होत्रा. वो हर रात अपने झोपडे में लौटता, और जैसे ही अंधेरा फैलता, उसकी झोपडी का फर्श खुल जाता. नीचे उतरते ही सुनहरी दीवारें, हीरे- जवाहरात, सोने के बक्से, पेंटिंग्स और दुर्लभ हथियारों से भरा तहखाना. कबीर अपने मैले कपडे उतारकर रेशमी शेरवानी पहनता, कटोरे की जगह हाथ में जाम उठाता और आईने में देखते हुए खुद से कहता, दुनिया मुझे भिखारी समझती है, और यही मेरी सबसे बडी ताकत है।

Full Novel

1

सोने का पिंजरा - 1

अंधेरी रात, बरसते बादल और सूनी सडक. कोने में बैठा एक फटेहाल बूढा आदमी, मैली दाढी, गंदे कपडे, हाथ लोहे का कटोरा. राहगीर उसे नजरअंदाज करते, कुछ लोग सिक्के फेंककर आगे बढ जाते. कोई नहीं जानता था कि ये झुका हुआ बूढा असल में शहर का सबसे बडा नाम था—कबीर मल्होत्रा. वो हर रात अपने झोपडे में लौटता, और जैसे ही अंधेरा फैलता, उसकी झोपडी का फर्श खुल जाता. नीचे उतरते ही सुनहरी दीवारें, हीरे- जवाहरात, सोने के बक्से, पेंटिंग्स और दुर्लभ हथियारों से भरा तहखाना. कबीर अपने मैले कपडे उतारकर रेशमी शेरवानी पहनता, कटोरे की जगह हाथ में ...और पढ़े

2

सोने का पिंजरा - 2

झील का पानी फिर से शांत हो चुका था, लेकिन जेरेफ और आर्यन के दिलों में तूफान उठ रहा सैरिन काँपते हुए जेरेफ का हाथ थामे खडी थी. उसकी आँखें गीली थीं, लेकिन उनमें कोई अनकहा डर भी झलक रहा था.आर्यन ने भारी साँस लेते हुए कहा,ये पिंजरा सिर्फ सोने का नहीं. ये हमारे खून का है. और जब तक इसका सच सामने नहीं आएगा, हम दोनों अधूरे रहेंगे.जेरेफ ने चुपचाप उसकी तरफ देखा. उसके भीतर सवालों का सैलाब था—क्या वाकई आर्यन उसका भाई है? क्या कबीर अब भी जिंदा है? और अगर है तो उसने यह खेल क्यों ...और पढ़े

3

सोने का पिंजरा - 3

सुनहरी रोशनी पिंजरे में हल्की- हल्की हिल रही थी. चारों खडे थे, पर हर किसी की साँसें भारी हो थीं. कबीर ने धीरे- धीरे कदम बढाए, जैसे हर कदम उनके डर और मोहब्बत के बीच की खाई को और गहरा कर रहा हो.पहला सवाल, कबीर ने कहा, उसकी आवाज में रहस्य और गंभीरता दोनों झलक रहे थे, तुम्हें अपना सबसे बडा डर चुनना होगा. और वही डर, तुम्हें अपने असली चेहरे से मिलाएगा।सैरिन की आँखों में झलकता डर और मोहब्बत का मिलाजुला भाव उसे और भी नाजुक बना रहा था. उसने जेरेफ की ओर देखा, लेकिन जेरेफ खुद अपनी ...और पढ़े

4

सोने का पिंजरा - 4

कमरे में धुंध और सुनहरी रोशनी का मिश्रण फैला हुआ था. पिंजरे की सलाखें अब हल्की- हल्की कांप रही जैसे अपने भीतर छुपे राजों को बाहर निकालने की तैयारी कर रही हों. चारों—जेरेफ, आर्यन, सैरिन और कबीर—एक- दूसरे की आँखों में डर और उलझन देख सकते थे.तभी, पिंजरे के अंदर की रहस्यमयी परछाई ने जोरदार आवाज में कहा, जो भी डरता है, वह हमेशा के लिए खो जाएगा. और जो सामना करेगा, वही आगे बढेगा।सैरिन ने झटके से जेरेफ का हाथ पकडा. हमें इसका सामना करना होगा. चाहे जो भी हो, हम साथ हैं।जेरेफ ने उसकी आँखों में देखा. ...और पढ़े

5

सोने का पिंजरा - 5

पार्टी का हॉल भव्य और जगमगाता हुआ था. क्रिस्टल की लटकनें हर कोने में चमक रही थीं, महंगे कपडे गहनों की झिलमिलाहट ने माहौल को और शानदार बना दिया. लोग अपने- अपने प्रभाव और शौहरत का प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि सबसे बडा रहस्य—कबीर मल्होत्रा—भिखारी का रूप लेकर अपनी ही पार्टी में प्रवेश करेगा.कबीर ने फटे- पुराने कपडे, गंदे जूते और हाथ में पुराना डब्बा पकडा हुआ था. उसकी झुर्रीदार पोशाक और भिखारी का रूप किसी को पहले देख कर भले ही मामूली लगे, लेकिन उसकी आँखों की चमक और हल्की मुस्कान ...और पढ़े

6

सोने का पिंजरा - 6

भीड के बीच अचानक सन्नाटा छा गया.कबीर के सामने वही लडकी फिर आ खडी हुई. इस बार उसके चेहरे गुस्सा भी था और सवाल भी.लडकी( तेज आवाज में)बस! बहुत हो गया तुम्हारा खेल. तुम आखिर हो कौन? भिखारी हो या कोई चालाक खिलाडी? नाम तो बताओ!कबीर ने हल्की मुस्कान दी और धीमे स्वर में बोला,कबीर:नाम? नाम से क्या होता है. असली मायने रखते हैं इरादे. और मेरे इरादे सबका सच सामने लाने के हैं।भीड में खुसर- फुसर होने लगी.उसी समय जारिन खान भी आगे आया. उसकी आँखों में शक और झुंझलाहट साफ थी.जारिन( तीखी आवाज में)कबीर. या जो भी ...और पढ़े

7

सोने का पिंजरा - 7

भीड अब साँस रोके खडी थी. झूमर की रोशनी कांप रही थी, मानो दीवारें भी इस टकराव की गवाह चाहती हों.जारिन ने तल्ख अंदाज में कहा,कबीर! तुम्हारे पास सूट है, शोहरत है, लेकिन ताकत. वो मेरे पास है. भूल मत जाना।कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया,ताकत. असली ताकत दिलों की होती है, जारिन. और वो दिल अब तेरे हाथ से फिसल चुके हैं।भीड में सरगोशियाँ तेज हो गईं.जियाना ने आगे बढकर धीमी आवाज में कहा,कबीर, ये सब खतरा है. अगर तुमने आज ज्यादा बोल दिया तो.कबीर ने उसकी ओर नजरें टिकाईं,जियाना, डर वहीं करता है जिसके पास ...और पढ़े

8

सोने का पिंजरा - 8

अगला हिस्सा: जारिन की पहली चाल और महफिल का तूफानहॉल की रोशनी झूमरों से टकराते हुए और चहकते जामों खनक के बीच, माहौल अब पूरी तरह महफिल और सस्पेंस में बदल चुका था. भीड बस कबीर मल्होत्रा को देख रही थी. तीन पीस काले सूट में उसका लंबा कद, चौडे कंधे, घनी मूँछों के नीचे चमकती सुनहरी आँखें और मुस्कान—सबके दिलों को थामने के लिए काफी थे.जियाना ने अपने जाम को धीरे से उठाते हुए कहा,उसके कदम. उसकी चाल. लगता है जैसे महफिल अब पूरी तरह उसके अधीन है।सैरिन ने झुकते हुए कहा,कबीर. उसकी मुस्कान, उसकी शांति. बस दिल ...और पढ़े

9

सोने का पिंजरा - 9

कबीर ने धीरे से सैरिन की आँखों में देखा और कहा,सैरिन. मैं जानता हूँ कि तुम मुझसे नाराज हो. कल रात. जो भी हुआ, वह सिर्फ एक भ्रम नहीं था. वह हमारी सच्चाई का हिस्सा था. मैं. मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।सैरिन ने सिर झुकाते हुए कहा,कबीर. तुम्हारी बातें दिल को छू जाती हैं, लेकिन मेरा डर भी वास्तविक है. मैं चाहती हूँ कि तुम जियाना के रास्ते से हट जाओ. मैं नहीं चाहती कि तुम्हारे और उसके बीच कुछ रह जाए।कबीर ने गहरी सांस लेते हुए कहा,सैरिन. मैं तुम्हें वादा करता हूँ, जो कुछ भी हुआ, वह ...और पढ़े

10

सोने का पिंजरा - 10

महल के ऊपरी कमरे में जियाना अपने कुछ विश्वासपात्र साथियों के साथ बैठी थी. उसकी आँखों में गुस्सा और दोनों झलक रहे थे.मैं यह हार कभी नहीं मानूँगी, उसने फुसफुसाते हुए कहा.एक साथी ने पूछा, तो अब क्या करना चाहती हो, जियाना?जियाना ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा,सैरिन को पकडना होगा. अगर वह कबीर के पास रहेगी, तो उनका प्यार और ताकत हमारे हर खेल को नाकाम कर देगा. आज रात हम उसे महल के किसी गुप्त स्थान पर ले जाएँगे।इस बीच, कबीर मल्होत्रा अपने खूबसूरत, लक्जरी और पूरी तरह काले- सफेद रंग के कमरे में खडा था. महँगी ...और पढ़े

11

सोने का पिंजरा - 11

महल के ऊपरी कमरे में जियाना अपने कुछ विश्वासपात्र साथियों के साथ बैठी थी. उसकी आँखों में गुस्सा और दोनों झलक रहे थे.मैं यह हार कभी नहीं मानूँगी, उसने फुसफुसाते हुए कहा.एक साथी ने पूछा, तो अब क्या करना चाहती हो, जियाना?जियाना ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा,सैरिन को पकडना होगा. अगर वह कबीर के पास रहेगी, तो उनका प्यार और ताकत हमारे हर खेल को नाकाम कर देगा. आज रात हम उसे महल के किसी गुप्त स्थान पर ले जाएँगे।इस बीच, कबीर मल्होत्रा अपने खूबसूरत, लक्जरी और पूरी तरह काले- सफेद रंग के कमरे में खडा था. महँगी ...और पढ़े

12

सोने का पिंजरा - 12

गोली. किसे लगी?अरमान कमिश्नर के शब्द फैक्ट्री की दीवारों में गूंजे. हर कोई हैरान था. धुएँ और अफरा- तफरी बीच सायरन की आवाजें, चीखें और पुलिस की बूटों की धमक लगातार गूँज रही थीं.कबीर ने अपनी छाती पर हाथ रखा. उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी.लगता है मौत मुझे लेने से पहले. मुझसे डर गई।रियाज की बंदूक जमीन पर गिर चुकी थी. जारिन हक्के- बक्के खडा था. पुलिस ने दोनों को हथकडियों में जकड लिया. लेकिन रहस्य वहीं अधूरा रह गया कि गोली किसे लगी थी.अगली सुबह – कबीर का महलसूरज की सुनहरी किरणें कबीर मल्होत्रा के आलीशान बंगले ...और पढ़े

13

सोने का पिंजरा - 13

कबीर की आँखें अनायास ही छत की झूमर पर टिक गईं. चमचमाती रोशनी में भी उसे धुएँ और बारूद गंध महसूस हो रही थी. उसकी उँगलियाँ कांटे पर जमी रह गईं. नाश्ते का स्वाद गले में अटक गया.समीर ने झिझकते हुए पूछा,साहब. सब ठीक तो है? आप बहुत गहरी सोच में खोए हुए लग रहे हैं।कबीर ने धीरे से सिर घुमाया. उसकी नजरें समीर की आँखों में गडीं, मानो वह उन आँखों के पीछे छुपा कोई राज पढ लेना चाहता हो.समीर, उस रात. फैक्ट्री में गोली चली थी. लेकिन आज तक किसी ने ये नहीं बताया कि वो गोली ...और पढ़े

14

सोने का पिंजरा - 14

रात की हवा में महल की ऊँची खिडकियों से परछाइयाँ लंबी खिंची हुई थीं. कबीर ने तहखाने के पुराने कक्ष से निकलते हुए चंद सीढियाँ ऊपर चढीं — हर कदम पर उसके जूतों की आहट उसकी नसों में बिजली की तरह दौडती. नूरा, जो पीछे से आई थी, उसकी एक झलक लेकर समझ गई थी कि यह कोई साधारण Mission नहीं रहा — अब यह व्यक्तिगत बदला बन चुका था.कबीर( धीरे से, अपने मन से) जो भी सच है — उसे बाहर निकालना होगा. आज नहीं तो कभी नहीं.नूरा ने उसकी बाजू में काटते हुए कहा,नूरा: तुम्हें अपने साथियों ...और पढ़े

15

सोने का पिंजरा - 15

सोने का पिंजरा – अगला अध्याय: कबीर की असली पहचानरात की नमी अभी भी शहर की सडकों पर बसी थी. बाहर लोग सोए थे, मगर तहखाने की गहराई में एक जागता हुआ सच अपनी सांसें तेज कर रहा था.कबीर ने शीशे के सामने खडे होकर अपने चेहरे से भिखारी का रूप उतारा. झुर्रियों और धूल के पीछे से निकला असली कबीर—तेज नयन- नक्श वाला, ऊँचे खानदान की शान उसके पूरे हाव- भाव में झलक रही थी. उसने गहरी सांस ली और धीमे स्वर में खुद से कहा—कबीर( मन ही मन)काफी समय हो गया इस खेल को निभाते- निभाते. अब ...और पढ़े

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सोने का पिंजरा - 16

कबीर खिडकी से झाँक रहा था, उसकी आँखों में बेचैनी और जिज्ञासा का मिश्रण था. हवेली के भीतर सब सामान्य लग रहा था, पर बाहर की दुनिया में अँधेरा और रहस्य उसके कदमों को खींच रहा था. जैसे ही उसने गेट की ओर देखा, उसकी नजर पडी गाँव की ओर बढते ताजा पैरों के निशानों पर.इसी बीच, हवेली के अंदर जरफ और जियाना का आलिशान लाउंज चमक रहा था. कांच की बडी खिडकियाँ, चमकदार क्रिस्टल लैंप और महंगी कार्पेट्स—सब कुछ उनकी अमीरी का बयान कर रहा था. जियाना महंगे क्रीम Color के लाउंज पर बैठी थी, उसके हाथ में ...और पढ़े

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सोने का पिंजरा - 17

सच्चाई का दंगल"हवेली की ऊँची छतों से झूलते झूमरों की सुनहरी रोशनी में सब कुछ शाही दिखाई दे रहा लेकिन उस चमक के पीछे छिपा अंधेरा और चालाकियाँ ज्यादा खतरनाक थीं.कबीर ने अपनी रेड वाइन का आखिरी घूँट लिया और क्रिस्टल ग्लास को धीरे से संगमरमर की मेज पर रख दिया. उसकी आँखें एक शिकारी की तरह चमक रही थीं—ठंडी, संयमित, और बेहद खतरनाक.आंटी सुनीता उसकी बगल में खडी थीं. उनकी उँगलियाँ काँप रही थीं, पर आवाज में सख्ती थी—कबीर, ये लोग आसानी से नहीं हारेंगे. यहाँ जितनी दौलत है, उतना ही जहर भी छिपा है।कबीर मुस्कुराया, आंटी, जहर ...और पढ़े

18

सोने का पिंजरा - 18

दृश्य – हवेली का तहखाना, जहाँ अभी- अभी सुनीता आंटी का वीडियो खत्म हुआ है. माहौल में अजीब सी है. दूर कहीं लोहे की चेन के खिसकने जैसी आवाज गूंजती है।वेरिका( कांपते स्वर में) ये. ये कैसे हो सकता है? सुनीता आंटी तो मर चुकी थीं. फिर ये वीडियो?अरहान( भौंहें सिकोडकर) या तो किसी ने हमें धोखा दिया है. या फिर उनकी मौत सिर्फ एक नाटक थी.कबीर( धीरे, गहरी आवाज में) नहीं. मैंने उनकी लाश देखी थी. मैं खुद वहाँ था. लेकिन अब जो सामने आया है, वो सबकुछ उलट रहा है.तभी पास खडा जेरेफ अचानक बोल उठता।जेरेफ: क्या ...और पढ़े

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सोने का पिंजरा - 19

नोटबुक के पन्नों में कई कच्चे नक्शे बने हुए थे—किसी पुराने शाही योजनाकार ने जैसे हवेली के अंदर की छुपा कर रख दी हों. उन नक्शों में एक खास कमरा बार- बार उभर कर आता—एक छोटा कमरा, जहाँ पर कुछ उपकरण और एक पुराना बक्सा दिखता था. पन्ने के किनारे पर किसी ने छोटे अक्षर में लिखा था—“ वहाँ देखो—सच की परछाईं। अरहान ने कहा—“ अगर हम वहाँ पहुँचते हैं, तो हमें पता चल सकता है कि सुनीता आंटी की मौत क्यों हुई। वेरिका ने कोशिश की कि भरोसा बनाये रखे—पर उसके शब्दों में कांप थी. अगर वहाँ कुछ ...और पढ़े

20

सोने का पिंजरा - 20

हवेली की रात जैसे किसी अनजाने उत्सव से निकलकर गहरी खामोशी में बदल चुकी थी. सितारे आसमान पर टिमटिमा थे, लेकिन हवेली की ऊँची छतों के साए में हर चमक बुझी हुई लग रही थी. सभी मेहमान जा चुके थे, मगर हवेली का वैभव अब भी वहाँ खडा था—दीवारों पर लगी सुनहरी झूमरों की परछाईं, फर्श पर बिछे रेशमी कालीनों की नरमी, और हवा में मिली इत्र की हल्की खुशबू.कबीर अकेला अपने महलनुमा कमरे में खडा था. उसके चारों ओर वही दौलत थी जिसके चर्चे पूरे शहर में थे. एक तरफ स्वर्ण जडित अलमारियाँ, जिनमें दुर्लभ शराबों की बोतलें ...और पढ़े

21

सोने का पिंजरा - 21

एक. गरीबी का अंधेराकबीर का बचपन शहर की सबसे तंग गलियों में बीता. उसकी माँ बीमार थीं और पिता रोटी की तलाश में गाँव से शहर आए थे, मगर मेहनत के बावजूद गरीबी ने उनका पीछा नहीं छोडा. घर मिट्टी की दीवारों वाला था, छत टपकती थी और बरसात के मौसम में पानी कमरे के भीतर भर जाता.कबीर को याद है — सर्दियों की वो रात जब उसके पास पहनने को केवल एक फटी हुई चादर थी. ठंड से काँपते हुए उसने अपनी छोटी बहन को अपनी बाँहों में समेटा था ताकि उसे ठंड न लगे. उसके पेट में ...और पढ़े

22

सोने का पिंजरा - 22

सीन एक: हवेली का तहखानाकाली अंधेरी सुरंग में कबीर अकेला खडा था. हाथ में टॉर्च और दस्तावेज. टॉर्च की बार- बार झपक रही थी जैसे कोई ताकत उसे बुझाने की कोशिश कर रही हो.दीवारों पर पुराने चित्र बने थे, जिन पर लाल रंग से सिर्फ एक अक्षर लिखा था—“ R”कबीर( धीमे स्वर में)ये अक्षर हर जगह क्यों है? आखिर R कौन है.जैसे ही उसने दस्तावेज पलटा, अचानक पीछे से कदमों की आहट आई.वो मुडा, मगर वहाँ कोई नहीं था.सीन दो: वेरिका और आरवऊपर हवेली के ड्रॉइंग Room में वेरिका बेचैनी से आरव का इंतजार कर रही थी.आरव अंदर आया, ...और पढ़े

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सोने का पिंजरा - 23

पच्चीस साल बाद जब कबीर अपने राजसी महल से निकलकर अपने गाँव लौटा, तो हवाओं में एक अलग ही थी. गाँव की पगडंडी पर उसकी गाडी धीरे- धीरे सरक रही थी. बाहर के शीशे से झाँकते ही उसे वही खेत, वही पेड और वही कच्चे घर दिखाई दिए, जिनसे उसका बचपन जुडा था.गाडी रुकी तो कबीर ने पहली बार अपने पैरों तले गाँव की मिट्टी को महसूस किया. उसने झुककर मुट्ठी भर मिट्टी उठाई, और होंठों से हल्की मुस्कान निकली—यही तो है असली दौलत. जिसकी खुशबू यूरोप या दुबई की हवाओं में कहाँ मिलती है।गाँव के बीचों- बीच उसके ...और पढ़े

24

सोने का पिंजरा - 24

गाँव की रात.आसमान में चाँद की हल्की रोशनी और हवाओं में ठंडक. तालाब के किनारे से लेकर पहाडी तक खामोशी में सिर्फ दिलों की धडकन सुनाई दे रही थी.शहवार ने कबीर को बुलाया था. वह सफेद दुपट्टे में, आँखों में सवाल लिए उसके सामने खडी थी.शहवार( धीमे स्वर में)कबीर. तुम जानते हो ना, हमारी मोहब्बत आसान नहीं है. मेरे घर वाले तुम्हारा नाम सुनते ही खून की कसम खा लेते हैं. हमारे खानदान की पुरानी दुश्मनी आज भी जिंदा है।कबीर की आँखों में आंधी थी. वह नजरे झुकाकर नहीं, बल्कि सीधे शहवार की आँखों में देखते हुए बोला—कबीर:मुझे उनकी ...और पढ़े

25

सोने का पिंजरा - 25

गाँव में हर तरफ जश्न का माहौल था.लोग ढोल- नगाडे बजा रहे थे, और औरतें रंग- बिरंगे कपडों में रही थीं.कबीर और शहवार की जोडी अब सिर्फ मोहब्बत की मिसाल नहीं रही, बल्कि गाँव की ताकत भी बन चुकी थी.पंडित जी ऊँचे स्वर में बोले —आज से यह खजाना गाँव का होगा, और इसका इस्तेमाल सबकी भलाई के लिए किया जाएगा।भीड ने तालियाँ बजाईं, लेकिन शहवार के चेहरे पर हल्की- सी चिंता की लकीर थी.उसने धीरे से कबीर से कहा—मुझे लगता है ये खजाना सिर्फ दौलत नहीं है. इसके साथ कुछ और भी जुडा हुआ है।कबीर ने उसका हाथ ...और पढ़े

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सोने का पिंजरा - 26

अंधेरे की चुनौतीआसमान में गरजती बिजली और धरती का काँपना, दोनों मिलकर जैसे पूरे गाँव को दहला रहे थे.कबीर शहवार आमने- सामने खडे थे उस“ असली अंधेरे” के, जिसकी परछाई अब हर कोने को निगल रही थी.अंधेरा गूंजती आवाज में बोला—कबीर, तू बहादुर है. तेरे पास तलवार है, तेरे पास हिम्मत है. लेकिन तेरे पास दिल भी है. और दिल. सबसे बडी कमजोरी है।कबीर ने तलवार कसकर पकडी और गरजा—कमजोरी नहीं. यही दिल मेरी ताकत है. मोहब्बत मेरी ढाल है, और इसी मोहब्बत से मैं तुझे हराऊँगा।शहवार की आँखों से आँसू बह निकले.कबीर. ये इम्तिहान आसान नहीं होगा. किताब ...और पढ़े

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सोने का पिंजरा - 27

रात गहरी हो चुकी थी. बंगले के तहखाने में जल रही मद्धम पीली रोशनी रहस्यमयी माहौल बना रही थी. के हाथ में वह दस्तावेज था, जिस पर सुनहरे अक्षरों से लिखा था—सोने का पिंजरा — दौलत से भी गहरी कैद, मोहब्बत से भी कठिन परीक्षा।कबीर ने गहरी साँस ली, शहवार की ओर देखा.कबीर( तेज आवाज में)ये सब दौलत. ये सब शोहरत. ये तो बस परछाईं है, शहवार. असली खेल तो किसी और का लिखा हुआ है।शहवार( चौंकते हुए)कबीर, क्या मतलब? कौन- सा खेल?कबीर( आँखें गडाकर)इस तहखाने की दीवारें. ये दस्तावेज. सब बताता है कि ‘सोने का पिंजरा’ कोई दौलत ...और पढ़े

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सोने का पिंजरा - 28

कमरे में सन्नाटा था. नकाबपोश का चेहरा अंधेरे में छिपा हुआ था, लेकिन उसकी मौजूदगी हवा में एक अजीब- खामोशी छोड रही थी. मोमबत्तियों की हल्की लौ उसके कदमों के साथ कांप रही थी.कबीर, वेरिका और आरव—तीनों की निगाहें उसी पर टिकी थीं. सबके दिल धडक रहे थे, लेकिन हर किसी के चेहरे पर अलग भाव थे—कबीर में गुस्सा, वेरिका में सवाल और आरव में नफरत का मिश्रण.नकाबपोश ने एक धीमी और गूंजती आवाज में कहा—तुम समझते हो कि यह जंग दौलत और ताकत की है? नहीं. यह खेल विश्वास, मोहब्बत और सबसे बडे रहस्य का है।कबीर ने तलवार ...और पढ़े

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