शहर से दूर, पुराने गाँव के कोने में एक हवेली थी, जिसे लोग “काली हवेली” कहते थे। वहाँ कभी किसी ज़मींदार का परिवार रहता था, लेकिन दशकों से वह वीरान थी। टूटी खिड़कियाँ, दरकती दीवारें और चारों तरफ़ फैली झाड़ियों ने उसे और भी डरावना बना दिया था। गाँव वालों का कहना था कि हर रात ठीक बारह बजे हवेली में घंटी बजती है। सबसे अजीब यह था कि हवेली में कहीं कोई मंदिर या घंटा मौजूद ही नहीं था। बच्चों को कड़े शब्दों में मना किया जाता कि वहाँ झाँकने भी न जाएँ। कई लोगों ने कोशिश की थी इस रहस्य को समझने की। पर या तो वे लौटकर आए ही नहीं, या फिर लौटे तो उनका दिमाग़ी संतुलन बिगड़ चुका था। इसलिए धीरे-धीरे गाँव वालों ने मान लिया कि वह जगह शापित है।
Full Novel
अधूरी घंटी - 1
शीर्षक : "अधूरी घंटी"Part 1 : हवेली का रहस्यशहर से दूर, पुराने गाँव के कोने में एक हवेली थी, लोग “काली हवेली” कहते थे। वहाँ कभी किसी ज़मींदार का परिवार रहता था, लेकिन दशकों से वह वीरान थी। टूटी खिड़कियाँ, दरकती दीवारें और चारों तरफ़ फैली झाड़ियों ने उसे और भी डरावना बना दिया था।गाँव वालों का कहना था कि हर रात ठीक बारह बजे हवेली में घंटी बजती है। सबसे अजीब यह था कि हवेली में कहीं कोई मंदिर या घंटा मौजूद ही नहीं था। बच्चों को कड़े शब्दों में मना किया जाता कि वहाँ झाँकने भी न ...और पढ़े
अधूरी घंटी - 2
शीर्षक : "अधूरी घंटी"Part 2 : हवेली का श्रापआरव रातभर जागा रहा। उसकी आँखों में हवेली की परछाई और डरावनी घंटी बार-बार गूंज रही थी। वह तय नहीं कर पा रहा था कि यह सब उसका भ्रम था या कोई अदृश्य ताक़त वाकई उस हवेली में बसी हुई है। लेकिन उसके रिकॉर्डर में दर्ज घंटी की आवाज़ साफ़ बता रही थी कि उसने जो देखा-सुना, वह हकीकत थी।सुबह होते ही वह गाँव के बुजुर्ग रामकिशन बाबा के पास पहुँचा। बाबा से हवेली का ज़िक्र होते ही उनके चेहरे का रंग उड़ गया। बाबा ने कहा—"बेटा, उस हवेली का नाम ...और पढ़े
अधूरी घंटी - 3
शीर्षक : "अधूरी घंटी"Part 3 : अधूरी प्रार्थनाहवेली में उस रात आरव और विवेक ने जो देखा, उसने उनकी तक हिला दी। घंटी की आवाज़ गूंज रही थी, दरवाज़ा अपने-आप बंद हो गया था और राधिका की आत्मा चीख रही थी—"अब तुम लौट नहीं पाओगे… हवेली ने तुम्हें अपना लिया है।"आरव ने टॉर्च जलाने की कोशिश की, पर बैटरी अचानक खत्म हो गई। कमरे में घुप्प अंधेरा और सिर्फ़ घंटी की गूंज—"टन…टन…टन…"विवेक डर से काँपने लगा। उसने आरव का हाथ पकड़कर कहा—"मैं यहाँ से जा रहा हूँ। यह सब पागलपन है। अगर तू रहना चाहता है तो रह, लेकिन ...और पढ़े
अधूरी घंटी - 4
शीर्षक : "अधूरी घंटी"Part 4 : मौत का सचआरव अब पहले जैसा नहीं रहा। उस रात के बाद से आँखों में हमेशा खालीपन रहता, जैसे उसकी आत्मा का कोई हिस्सा हवेली में अटक गया हो। गाँव वाले कहते—"इस पर हवेली का साया पड़ चुका है।"विवेक ने बहुत कोशिश की कि आरव को संभाले, लेकिन आरव की हालत बिगड़ती चली गई। वह बार-बार कागज़ पर वही मंत्र लिखता, बीच-बीच में एक ही शब्द दोहराता—"अधूरी… अधूरी…".आख़िर विवेक ने तय किया कि वह फिर से हवेली जाएगा और पूरा सच ढूंढेगा। उसने रामकिशन बाबा को मनाया कि वे उसके साथ चलें। पहले ...और पढ़े
अधूरी घंटी - 5
शीर्षक : "अधूरी घंटी"Part 5 : श्राप की आख़िरी रातहवेली में उस रात सब कुछ जैसे अंत की ओर रहा था। विवेक और बाबा मंत्र पढ़ने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन आरव उनके बीच आ खड़ा हुआ। उसकी आँखों से अजीब सी नीली रोशनी झलक रही थी।"मैं अब हवेली का हिस्सा हूँ… तुम चाहो तो मंत्र पूरा करो, लेकिन इसका नतीजा भुगतोगे," आरव की आवाज़ मानो किसी और की हो।बाबा ने उसे शांत करने की कोशिश की—"बेटा, तू अभी पूरी तरह आत्मा के अधीन नहीं हुआ। अपने मन को मज़बूत कर और हमारे साथ मिलकर मंत्र पढ़।"लेकिन तभी ...और पढ़े
अधूरी घंटी - 6
शीर्षक : "अधूरी घंटी"Part 6 : श्राप का वारिसहवेली के बाहर आते ही विवेक और बाबा ने चैन की ली। उन्हें लगा कि अब सब खत्म हो गया है। लेकिन आरव की आँखों में छिपी नीली चमक उन्होंने नहीं देखी।गाँव लौटने के बाद आरव पहले जैसा सामान्य दिखने लगा। वह हँसता-बोलता, लोगों से मिलता और सबको यही यक़ीन दिलाता कि हवेली का श्राप खत्म हो गया।लेकिन रात में, जब सब सो जाते, तो उसके कमरे से घंटी की धीमी आवाज़ आती—"टन… टन… टन…"--- बाबा की शंकारामकिशन बाबा को चैन नहीं मिला। एक रात वे आरव के घर पहुँचे। खिड़की ...और पढ़े