यह कहानी है एक राजकुमारी की है, जिसका नाम चंद्रनंदिनी होता है, जो कि एक बहुत ही खतरनाक और शैतानी शक्तियों वाली राजकुमारी चंद्रनिशा से अपने राज्य को आजाद कराती है, अपनी सूझ बूझ से उन अदृश्य शक्तियों से जीतकर जादुई घोड़ों और सस्त्रो को प्राप्त करके अपने भाईयों को आजाद कराती है जिनसे जीत पाना लगभग असंभव होता है, चंद्रनंदिनी की दो खासियत होती हैं 1. यदि कभी चंद्रनंदिनी की आंखों से आंसू गिरते तो वे मोती बन जाते। 2. चंद्रनंदिनी पंछियों से बात कर सकती थी। खासियतें तो और भी बहुत सी है, जो आपको आगे देखने मिलेंगी..............
चंद्रनंदिनी - भाग 1
प्रतापगढ़ एक प्रगतिशील राज्य था| यहां के राजा महाराजा रूद्र प्रताप सिंह बड़े ही न्यायप्रिय राजा थे| प्रतापगढ़ में भी किसी के साथ अन्याय नहीं हुआ, सभी को न्याय मिला, कभी भी किसी को किसी भी वस्तु की जरूरत होती तो उसे जल्दी ही वह वस्तु उपलब्ध करा दी जाती या राजदरवार से उपलब्ध करा दी जाती| ताकि किसी को किसी भी तरह की कोई तकलीफ न हो| सभी लोगों को अपनी बात कहने का हक प्राप्त था, राजदरबार मे सभी लोगों को अपनी बात रखने का हक था, अगर कभी कोई नियम या कानून बनाई जाती, तो सभी ...और पढ़े
चंद्रनंदिनी - भाग 2
प्रतापगढ़ राज्य में एक छोटा सा गांव होता है, चंदनपुर नाम का एक गांव होता है, उस गांव में बहने रहती हैं, उनके मां-बाप नहीं होते हैं, तीनों ही बहुत गरीब होती है, तीनों बहनें एक से बढ़कर एक खूबसूरत होती है, तीनों बहनें जंगल से लकड़ियां काट कर लाती हैं और उन्हें बेचकर खाने-पीने का इंतजाम करती हैं|एक दिन तीनो बहने सुबह सुबह जल्दी ही लकड़ियां काटने के लिए चली जाती है, ताकि आते हुए ज्यादा गर्मी ना हो, उस दिन और दिनों के मुकाबले बहुत ज्यादा ही गर्मी होती है, तीनो बहने जल्दी ही लकड़ियां काट कर ...और पढ़े
चंद्रनंदिनी - भाग 3
महाराज रुद्र प्रताप सिंह अपने भाई वीर प्रताप सिंह के साथ घर के सामने पहुंचते हैं, तो अंदर से के बातें करने की आवाज आती हैं, तो रूद्र प्रताप सिंह उन लोगों की बातें सुनने लगते हैं, और काफी देर तक सुनते हैं, अंदर से तीन लड़कीयों की आवाज आती हैं, शायद तीनो बहने होती हैं, बातें करके दो लड़कियां हंसने लगती हैं|और इधर वीर प्रताप प्यास के मारे तिलमिला उठते हैं|वीर प्रताप सिंह:- भाई साह जान निकल रही है प्यास के मारे, कुछ कीजिए|रुद्र प्रताप सिंह आवाज देते हैं:-रुद्र प्रताप सिंह:- अरे क्या अंदर कोई है?अंदर से आने ...और पढ़े
चंद्रनंदिनी - भाग 4
इधर महाराज रूद्र प्रताप सिंह अपने राजकाज में व्यस्त हो जाते हैं, अब उनका नगर में, और राज्य का पर आना जाना भी कम हो जाता है|1 दिन वीर प्रताप सिंह महाराज रुद्र प्रताप सिंह से आज्ञा लेकर राज्य भ्रमण पर निकलते हैं, और अपने पूरे राज्य का भ्रमण करते हुए लगभग 2 महीने के उपरांत अपने नगर प्रतापगढ़ की ओर वापस लौटते हैं, उनके साथ में उनका प्यार बाज भी होता है, जिसका नाम पवन होता है|लौटते समय उन्हें अंधेरा होने लगता है, वीर प्रताप सिंह अपना घोड़ा तेजी से दौडाते हुए चले जा रहे हैं, वे जल्द ...और पढ़े
चंद्रनंदिनी - भाग 5
वीर प्रताप सिंह थे तो आजाद, लेकिन फिर भी बंदी, या कहो कैदी, माया नगरी से निकलने की उनकी कोशिशें नाकाम रही, वीर प्रताप सिंह काफी ज्यादा परेशान रहने लगे|एक दिन नींद में वीर प्रताप सिंह ने देखा, कि चंद्र निशा की सेना ने प्रतापगढ़ पर हमला कर दिया है, वीर प्रताप सिंह को बंदी बनाकर जेल खाने में डाल दिया है, और रानी को भी भयानक यातनाएं दी जा रही है, और रुद्र प्रताप सिंह को एक तेजाब से भरे कुंड में एक छोटे से पत्थर पर बांध कर खड़ा कर दिया गया है, प्रतापगढ़ हर तरफ से ...और पढ़े
चंद्रनंदिनी - भाग 6
बाज पूरी माया नगरी में उड़ता है, लेकिन उसे कहीं भी बाहर निकलने की जगह नहीं मिलती है, आखिर हार कर बैठ जाता है एक इमारत के ऊपर, और चारों तरफ बड़ी पैनी नजर से देखता है, तो कुछ दूरी पर एक जगह पर दीवार में लोगों को घुसते और बाहर निकलते हुए देखता है, वाज दीवार की तरफ उड़ान भरता है, लेकिन दीवार के पास जाते ही ठिठक जाता है|उस गेट पर दो मोटे मोटे काले शैतान खड़े होते हैं, जो जाने वालों के सिर पर तलवार से वार करते हैं, अगर तलवार से सिर कटा, तो उसे ...और पढ़े
चंद्रनंदिनी - भाग 7
सुबह का समय है, मौसम सुहावना है, चिड़ियां चहचहा रही है, महाराज रूद्र प्रताप सिंह के माथे पर चिंता लकीरें साफ साफ दिखाई दे रही है, देखने पर लगता है, कि रात भर सोए नहीं हैं....तभी राजगुरु का आगमन होता है...रुद्र प्रताप सिंह :- प्रणाम गुरु जी।राज गुरु :- क्या बात है महाराज? आप बड़े चिंतित नजर आ रहे हैं....रुद्र प्रताप सिंह :- आप तो जानते हैं गुरुदेव, वीर प्रताप सिंह का अभी तक कोई पता नहीं चला है, हमारे सारे गुप्तचर लौट कर वापस आ गए।राज गुरु :- महाराज, जहां तक हम कर सकते हैं, हमने कोई कसर ...और पढ़े