पहली नज़र की खामोशी

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अहमदाबाद की चहल-पहल भरी ज़िंदगी से दूर, एक शांत कोने में बसी थी एक पुरानी, टूटी-फूटी हवेली — जिसके हर कोने में सन्नाटा बोलता था, और हर दीवार पर वक्त की धूल जमी थी। इसी हवेली को नया जीवन देने का जिम्मा लिया था आरव सिंह ने। 34 वर्षीय यह आर्किटेक्ट अपने शांत और गहरे स्वभाव के लिए जाना जाता था। तेज दिमाग, मद्धम बोलचाल, और एक अजीब सी गहराई उसकी आंखों में थी — जैसे ज़िंदगी ने बहुत कुछ दिखा दिया हो और अब वो सिर्फ सुकून ढूंढ रहा हो।

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पहली नज़र की खामोशी - 1

एपिसोड 1: पहली नज़र की खामोशीअहमदाबाद की चहल-पहल भरी ज़िंदगी से दूर, एक शांत कोने में बसी थी एक टूटी-फूटी हवेली — जिसके हर कोने में सन्नाटा बोलता था, और हर दीवार पर वक्त की धूल जमी थी। इसी हवेली को नया जीवन देने का जिम्मा लिया था आरव सिंह ने। 34 वर्षीय यह आर्किटेक्ट अपने शांत और गहरे स्वभाव के लिए जाना जाता था। तेज दिमाग, मद्धम बोलचाल, और एक अजीब सी गहराई उसकी आंखों में थी — जैसे ज़िंदगी ने बहुत कुछ दिखा दिया हो और अब वो सिर्फ सुकून ढूंढ रहा हो।शहर से दूर यह प्रोजेक्ट ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 2

एपिसोड 2 – अजनबी एहसास---1. नैना की सुबह और भीतर की बेचैनीसुबह के सात बजे थे। नैना की अलमारी दरवाज़े खुले थे।वो एक-एक साड़ी को देख रही थी, लेकिन हर रंग उसे फीका लग रहा था।लाल रंग की वही साड़ी — जो पिछली शाम उसने पहनी थी — अब भी स्टूल पर neatly तह करके रखी थी।उस साड़ी में ना जाने क्या था…या शायद उस साड़ी में जो उसने महसूस किया…वो आज भी उसकी त्वचा पर सिहरन बनकर ठहरी थी।उसने खुद से सवाल किया —"क्या वो आरव था... या सिर्फ मेरी कल्पना?""एक आर्किटेक्ट... और मैं एक लाइब्रेरियन... बस ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 3

"पहली नज़र की खामोशी – एपिसोड 3: साड़ी की सिलवटें"---1. एक कप कॉफी और पुरानी सोचेंसुबह-सुबह नैना अपनी बालकनी बैठी थी, हाथ में कॉफी का कप और मन में उलझे सवाल।बीते दो दिन, दो मुलाकातें और उस अजनबी की आँखों में अजीब सी अपनापन…उसने खुद से पूछा,“क्या वो महज़ संयोग था या कोई शुरूआत?”उसकी निगाहें उसी लाल साड़ी पर टिक गईं जो धुलकर अब छत की तार पर सूख रही थी।उस साड़ी की सिलवटों में जैसे अभी भी वो पल दबे हुए थे —कैफ़े की कॉफी, बारिश की बूँदें और आरव की जैकेट।---2. आरव का स्केच – जो ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 4

एपिसोड 4 – एक रात की खामोशी---1. सर्द हवाओं में टूटा हुआ दिनदोपहर के तीन बजे, लाइब्रेरी की खिड़कियों आती ठंडी हवा ने किताबों के पन्ने उड़ा दिए थे।नैना उन्हें समेट रही थी, लेकिन उसकी उंगलियाँ काँप रही थीं।आज वही तारीख थी…जब आठ साल पहले उसकी माँ इस दुनिया से चली गई थीं।हर साल की तरह आज भी उसने किसी से कुछ नहीं कहा था।लेकिन इस बार फर्क ये था — आरव था।कहीं दूर से सही, पर था।---2. मैसेज नहीं… पर किसी ने महसूस कियाआरव अपने स्टूडियो में था।वो एक इंटीरियर प्रोजेक्ट के स्केच में उलझा हुआ था,पर ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 5

️ एपिसोड 5 – जब स्पर्श डराने लगे---1. नैना की सुबह – एक टूटी हुई साँससुबह की हल्की धूप के कमरे की खिड़की से भीतर आई,पर उस पर कोई असर नहीं पड़ा।वो बिस्तर से उठकर आईने के सामने खड़ी थी —चेहरा फीका, आँखें रात की नमी से भरी।पिछली रात आरव के कंधे पर सिर रखकर उसे जो सुकून मिला था,आज वही सुकून एक अनजानी बेचैनी में बदल चुका था।उसके ज़हन में बार-बार एक पुरानी परछाई लौट रही थी —एक ऐसा अनुभव, जिसने उसके भीतर स्पर्श के खिलाफ एक दीवार खड़ी कर दी थी।---2. फ्लैशबैक – वो रात, जब भरोसा ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 6

एपिसोड 6 – मुस्कान के पीछे की चिट्ठियाँ---1. वो अलमारी का कोना – जहाँ कुछ छुपा थानैना अपनी पुरानी साफ़ कर रही थी।वो अलमारी जिसे उसने सालों से नहीं खोला था।कपड़ों के नीचे, किताबों के पीछे —एक नीले रंग का लेदर फोल्डर रखा था।उसने फोल्डर खोला,तो उसके भीतर थीं – चिट्ठियाँ।कोई उसे लिखी गई चिट्ठियाँ नहीं थीं —बल्कि नैना ने खुद अपने अतीत को, खुद से ही लिखी थीं।---2. आरव का आना – बिना इजाज़त के, लेकिन प्यार सेआरव बिना प्लान किए नैना के घर आ गया।दरवाज़ा खुला था। नैना भीतर थी।"मैं अंदर आ जाऊँ?" – उसने पूछा।"पहले ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 7

️ एपिसोड 7 – जब मौन बोल पड़े---1. बिना शब्दों का न्योतानैना को आरव का मैसेज मिला:"आज कुछ मत बस साथ चलो।एक शाम, जहाँ शब्द चुप रहें और दिल बोले।"नैना ने कोई उत्तर नहीं दिया,लेकिन शाम होते-होते वो उसके सामने खड़ी थी —हल्के गुलाबी सूट में, आँखों में थकी हुई गहराई,और होंठों पर — एक असली, खामोश मुस्कान।---2. कदमों की बातचीतआरव और नैना बिना बोले शहर के पुराने हिस्से की तरफ चल पड़े।फुटपाथ पर बिखरी पत्तियाँ,ठंडी हवा और हल्का गुलाबी आसमान।उनके बीच कोई बातचीत नहीं हुई —फिर भी हर कदम कुछ कहता रहा।आरव ने नैना को देखा —उसके चेहरे ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 8

️ एपिसोड 8 – जब बारिश रहमत बन जाए---1. बिन बुलाए मेहमान – बारिश की रातशाम होते-होते आसमान में बेचैनी थी।नैना लाइब्रेरी से घर लौट रही थी,जब अचानक तेज़ बारिश शुरू हो गई —बिजली कड़की, बादल गरजे।बिना छाते के, भीगते हुए वो अपनी बिल्डिंग की सीढ़ियाँ चढ़ी,पर दरवाज़ा खोलते ही उसके सिर में तेज़ चक्कर आया…बुखार था — और बहुत तेज़।---2. आरव की बेचैनी – एक नशेड़ी की तरह दरवाज़े तक दौड़नाआरव को नैना की आवाज़ सुनाई नहीं दी दो दिन से।ना कोई मैसेज, ना कॉल।कुछ तो गलत था…रात के 9 बजे, भीगते हुए आरव नैना के घर पहुँच ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 9

एपिसोड 9 – जब चाय इकरार बन जाए--- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -1. एक धीमी सुबह – बुखार के बाद की राहतनैना की आँखें सुबह देर से खुलीं।आरव उसकी बगल में नहीं था,लेकिन रसोई से चाय की हल्की-सी सौंधी खुशबू आ रही थी।वो धीरे से बिस्तर से उठी,बिना ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 10

एपिसोड 10 – जब किताबें अपना सच कहें---1. एक सामान्य सुबह – लेकिन मन बेचैननैना आज लाइब्रेरी जल्दी पहुँची में हल्की नमी थी, जैसे रात की कोई अधूरी बात अब भी तैर रही हो।आरव का मैसेज आया:“कुछ ढूँढने का मन है आज — कुछ पुराना, कुछ अधूरा।लाइब्रेरी चलूँ तुम्हारे साथ?”नैना ने जवाब नहीं दिया,लेकिन जब आरव पहुँचा, तो उसे दरवाज़े पर नैना मुस्कुराते हुए मिल गई।---2. लाइब्रेरी की खामोशी – और दो धड़कते दिललाइब्रेरी के पुराने सेक्शन में दोनों पहुँचे।दीवारों पर धूल जमी थी, किताबों के पन्ने पीले हो चुके थे,और हर किताब जैसे कोई रहस्य समेटे बैठी ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 11

️ एपिसोड 11 – जब धड़कनों ने नाम माँगा---1. एक शांत सुबह – लेकिन भीतर सवालों का शोरनैना आज के पास बैठी थी।उसकी डायरी खुली थी…लेकिन आज कोई कविता नहीं निकल रही थी।उसकी आँखें दूर आसमान में कुछ ढूँढ रही थीं।शब्द नहीं… शायद एक नाम।आरव उसके पीछे आया —चुपचाप — जैसे वो उसकी हर चुप्पी को पढ़ सकता था।“क्या लिख रही हो?” उसने पूछा।“कुछ नहीं…”नैना ने धीमे से जवाब दिया।“आज शब्द भी मुझसे सवाल पूछ रहे हैं।”---2. आरव की बाँहें – लेकिन जवाब अभी अधूरेआरव ने उसकी पीठ पर हाथ रखा।“क्या सवाल?”नैना ने कहा:“हम क्या हैं, आरव?क्या हम दो ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 12

एपिसोड 12 – जब तीसरी धड़कन बोल उठी---1. वही रात, नया अनुभवआरव और नैना एक-दूसरे के बहुत पास बैठे की हथेली अभी भी नैना के पेट पर थी।"वो..." नैना की आवाज़ काँप रही थी।"हाँ..."आरव भी काँप गया था —वो आरव था, जिसे किसी भी इमारत का नक्शा बनाने में वक्त नहीं लगता था,लेकिन आज एक अनदेखी रेखा ने उसकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया था।---2. अगली सुबह – चुप्पी में सन्नाटा नहीं, उम्मीद थीनैना जल्दी उठी।आरव उसके पास आया और धीरे से बोला:"तुम्हारी चाय तैयार है... लेकिन अब से उसमें और भी बहुत कुछ डालना होगा ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 13

एपिसोड 13 – जब सपनों ने झूला माँगा---1. नैना की डायरी – अब सिर्फ उसकी नहीं रहीआज की तारीख: अगस्तस्थान: नैना की खिड़की के पास वाली कुर्सीमूड: बेचैनी भरी उम्मीदनैना अपनी डायरी खोलती है।उसके पन्ने अब सिर्फ कविताओं से नहीं भरे होते,बल्कि हर पन्ना अब उसके आने वाले बच्चे से एक चुपचाप संवाद होता।> "आज पहली बार मैंने तुझे हल्के से महसूस किया।तुम मुझे भीतर से कुछ कह रहे थे…जैसे पूछ रहे हो – ‘माँ, क्या मैं तुम्हारे सपनों में हूँ?’और मैंने मुस्कुरा कर कहा – ‘बिलकुल। तू ही तो मेरा सबसे प्यारा सपना है।’"---2. आरव की सुबह ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 14

एपिसोड 14 – जब नन्हीं लातों ने दस्तक दी---1. एक दोपहर – जब सबकुछ रुका, और कुछ पहली बार की चाय अब नैना के लिए एक आदत नहीं,बल्कि एक समय बन चुकी थी —जब वो खुद से बात करती थी,अपने भीतर की दुनिया से जुड़ती थी।वो अपने पेट पर हाथ रखे बैठी थी।आराम से, चुपचाप।और तभी…एक हल्की सी कंपन,जैसे किसी ने भीतर से धीरे से कहा हो –“माँ…”---2. नैना की चीख – पर डर से नहीं, चौंक से"आरव!!"आरव जो बालकनी में पेड़ की डालियों पर कुछ स्केच कर रहा था,भागते हुए आया।"क्या हुआ?""उसने… मुझे मारा…"नैना की आँखों में ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 15

🫶 एपिसोड 15 – जब माँ की धड़कन डरी---1. हल्का दर्द, भारी मनसुबह के 11 बजे थे।नैना हमेशा की खिड़की के पास बैठी अपनी डायरी में कुछ लिख रही थी।लेकिन आज कलम कई बार रुक रही थी।उसका चेहरा थोड़ा मुरझाया हुआ था।आरव कमरे में दाखिल हुआ तो उसकी नज़र तुरंत नैना के चेहरे पर गई।"सब ठीक है?"नैना ने मुस्कराने की कोशिश की, लेकिन उसका हाथ अचानक पेट पर चला गया।एक हल्का सा दर्द… लेकिन अजनबी।---2. आरव की घबराहट – शब्दों से ज़्यादा चुप्पी कह गई"नैना… ये कब से?""सुबह से थोड़ा-थोड़ा हो रहा है, पर अब ज़्यादा महसूस हो रहा ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 16

एपिसोड 16 – जब पहला खिलौना मुस्कुराया---1. लकड़ी के टुकड़े और एक पिता की कल्पनाआरव सुबह-सुबह उठ गया था।नैना आँखें मलते हुए पूछा:"इतनी जल्दी कहाँ?""आज एक नई चीज़ बनानी है…"आरव बाहर गया —बगल वाली स्टोर में पुराने लकड़ी के टुकड़े पड़े थे,जिन्हें उसने बरसों से सहेजकर रखा था।उसे नहीं पता था कि एक दिन यही टुकड़े,उसके बाप बनने की शुरुआत का हिस्सा बनेंगे।---2. आरव की पहली रचना – लकड़ी का भालूआधी दोपहर बीत चुकी थी।कहीं खरोंच, कहीं पसीना, कहीं धूल।और बीच में बैठा आरव —अपनी जीभ दाँतों में दबाए,ध्यान में डूबा।उसने एक छोटा-सा लकड़ी का भालू तराशा था।माथे ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 17

एपिसोड 17 – जब धड़कनों ने होली खेली---1. सुबह की शुरुआत – गुलाल से नहीं, गुलाब सेमार्च की हल्की सुबह थी।बाहर गली में रंगों की होली चल रही थी,लेकिन आरव की दुनिया आज सिर्फ नैना तक सिमटी थी।वो बिस्तर पर नैना के पास आया,और एक सफेद गुलाब उसके हाथ में रखकर कहा:"ये तुम्हारी पहली होली है, हमारे साथ।और जब तक तुम खुद रंग न लगाओ…मुझे कोई हक नहीं!"---2. नैना की मुस्कराहट – और पेट पर पहली रंगी हलचलनैना ने गुलाब लिया,आरव की नाक पर हल्का सा रंग लगाया और बोली:"अब तो तुम मेरे रंग में रंग चुके हो, ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 18

एपिसोड 18 – जब चुप्पी ने सवाल पूछे---1. प्रतीक के जाने के बाद – घर में रह गई एक अब जा चुका था,लेकिन उसकी परछाई अब भी आरव के मन के कोने में थी।नैना कमरे में कपड़े समेट रही थी,और आरव बालकनी में चुपचाप बैठा झूले को देख रहा था।उसका चेहरा शांत था,लेकिन उसकी आँखें… जैसे किसी सवाल में उलझी हुई थीं।---2. आरव का मन – अनकहा डर और अहसास“क्या प्रतीक बस एक दोस्त था?या कोई ऐसा पन्ना,जिसे नैना ने बंद ज़रूर किया हो…लेकिन आज अचानक हवा से वो खुल गया?”इन सवालों ने उसे बेबस नहीं किया,पर सोच ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 19

एपिसोड 19 – जब धड़कन ने नाम माँगा---1. सुबह की पहली धड़कन – और एक विचारआरव सुबह की हल्की चाय बना रहा था।नैना खिड़की के पास बैठी, अपने पेट पर हल्के-हल्के हाथ फेर रही थी।फिर अचानक बोली:"तुमने कभी सोचा है… अगर लड़की हुई तो उसका नाम क्या रखोगे?"आरव ने कप रखते हुए कहा:"और अगर लड़का हुआ तो…?"दोनों एक-दूसरे की तरफ देखे और मुस्कराए।---2. बचपन की किताबें – और नामों की तलाशनैना अपनी पुरानी डायरी ले आई —जिसमें उसने बचपन में कभी अपनी पसंदीदा चीज़ों और नामों की लिस्ट बनाई थी।"देखो, ये लिस्ट तब की है जब मैं सातवीं ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 20

एपिसोड 20 – जब सपना चलने लगा- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -1. रात का सन्नाटा – और धीमी साँसेंवो रात किसी आम रात जैसी नहीं थी।बाहर हवाएँ हल्की-सी ठंडी थीं,चाँद बादलों में छुप-छुपकर झाँक रहा था।नैना बिस्तर पर लेटी थी।उसका हाथ अपने पेट पर रखा था।आरव उसके पास लेटा, धीरे-धीरे साँसों की लय में खोया था।लेकिन नैना की आँखें खुली थीं —जैसे कोई आने वाले कल की दस्तक सुन रही हो।---2. पहली नींद – और पहला सपनाधीरे-धीरे नैना ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 21

एपिसोड 21 – जब आसमान झुक आया- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -1. शाम की थकान – लेकिन दिल में हलचलपूरे दिन की भागदौड़ के बादआरव और नैना ने डिनर किया।हल्की-हल्की थकावट उनके चेहरे पर थी,लेकिन दिल में कुछ अनकहा, कुछ अधूरा-सा था।आरव ने नैना से कहा:"चलो, आज बालकनी में बैठते हैं।काफ़ी ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 22

एपिसोड 22 – जब साज़ ने सुर छेड़े---1. एक सुबह – और अजीब सी खिंचावनैना चाय बनाते हुए किसी गाने की धुन गुनगुना रही थी:> “तेरे बिना ज़िंदगी से कोई… शिकवा तो नहीं…”उसने खुद भी महसूस किया —उसकी आवाज़ में कुछ बदल रहा था।जैसे कोई भीतर बैठा सुर हल्के-हल्के साँस ले रहा हो।आरव ने सुनते ही रुककर कहा:"तुम्हारी आवाज़… आज बहुत अलग सी लगी।"नैना मुस्कराई:"शायद कुछ पुराने राग जाग गए हैं…"---2. पुराने बक्से – और दबी हुई डायरीदोपहर में अलमारी की सफाई करते हुएनैना को एक पुराना बक्सा मिला।उसमें उसकी कॉलेज की डायरी थी।डायरी का पहला पन्ना:> "अगर ...और पढ़े

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पहली नज़र की खामोशी - 23

एपिसोड 23 – जब धड़कनों ने चित्र बनाया(लगभग 5000 शब्द | माँ के मन की छवि, रंगों की भाषा भविष्य की झलक)---1. सुबह की ख़ामोशी में धड़कनों की आवाज़सवेरा ढल रहा था, लेकिन नैना के मन में एक हलचल सी थी।आरव के ऑफिस जाने के बाद वो कमरे में अकेली बैठी रही।खिड़की के पार हल्की धूप फर्श पर लहरों की तरह बिखरी थी।उसका हाथ अचानक अपने पेट पर चला गया —वो धीमे-धीमे मुस्कुराई।"तू आज कुछ ज्यादा ही बेचैन है…क्या कोई ख्वाब देखा था मैंने?"वो उठकर रैक में रखी डायरी लेकर बैठी और कुछ देर सोचती रही।फिर बिना कुछ ...और पढ़े

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