"कहानी शुरू करने से पहले एक छोटी-सी गुज़ारिश — अगर ये कहानी आपको पसंद आए, तो मुझे फॉलो करना न भूलें, इसे लाइक करें, और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया ज़रूर दें। आपकी राय मेरे लिए बहुत खास है!" देवगढ़ एक छोटा-सा कस्बा था, ना ज़्यादा शहरी, ना पूरी तरह ग्रामीण। वहाँ की गलियाँ धूलभरी थीं। बच्चे नंगे पाँव दौड़ते, बूढ़े चौपाल पर बैठकर ताश खेलते और औरतें आंगन में एक-दूसरे को अपने दुःख-सुख सुनातीं। सबके पास समय था—सुनने का, मुस्कुराने का, और सबसे बढ़कर, जुड़ने का। उस दिन बारिश हो रही थी। हल्की, रुक-रुक कर गिरती बूँदें, जैसे किसी बूढ़ी दादी की उंगलियाँ सिर पर प्यार से फिर रही हों। ना ज़्यादा तेज़, ना ज़्यादा धीमी। बस इतनी कि पुराने ज़ख़्मों को बहा ले जाए, बिना शोर किए। मौसम में एक अजीब-सी उदासी थी, और उसी उदासी में था, एक मीठा-सा सुकून।
चाय के किस्से - 1
मुन्ना की चाय"कहानी शुरू करने से पहले एक छोटी-सी गुज़ारिश — अगर ये कहानी आपको पसंद आए, तो मुझे करना न भूलें, इसे लाइक करें, और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया ज़रूर दें। आपकी राय मेरे लिए बहुत खास है!"देवगढ़ एक छोटा-सा कस्बा था, ना ज़्यादा शहरी, ना पूरी तरह ग्रामीण। वहाँ की गलियाँ धूलभरी थीं। बच्चे नंगे पाँव दौड़ते, बूढ़े चौपाल पर बैठकर ताश खेलते और औरतें आंगन में एक-दूसरे को अपने दुःख-सुख सुनातीं। सबके पास समय था—सुनने का, मुस्कुराने का, और सबसे बढ़कर, जुड़ने का।उस दिन बारिश हो रही थी। हल्की, रुक-रुक कर गिरती बूँदें, जैसे किसी बूढ़ी दादी ...और पढ़े
चाय के किस्से - 2
कटिंग चाय और कटे हुए नंबरराजेंद्र नगर की एक संकरी गली में, जहाँ सुबह की पहली किरणें अभी ठीक पहुँची भी नहीं थीं, "आदित्य टी स्टॉल" सुबह 6 बजे ही अपने छोटे से चूल्हे और चाय की केतली की खनक के साथ जीवंत हो उठता था। इस छोटे से स्टॉल की महक, अदरक और इलायची के मिश्रण से बनी, पूरे गली में फैल जाती, और यह केवल एक चाय की दुकान नहीं, बल्कि कई कहानियों का संगम स्थल था। यहाँ दिन की शुरुआत होती थी, उम्मीदें परवान चढ़ती थीं, और अक्सर संघर्षों को भी ...और पढ़े