अनुरोध - आप सभी को बताना चाहूँगा कि यह स्तम्भ संग्रह 12/12/2022 को प्रतिलिपि पर प्रकाशित किया था, अतः अक्षरशः आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ। कुछ भाग के पश्चात नए विचारों के साथ इस कल्पतरु की छाया मे सार्थक विषयों के साथ चौपाल सजाई जाएगी, सो आप सभी का स्नेह नितांत आवश्यक है। सुझाव, विषय, आपके विचार आप रेटिंग के साथ comment box या कहूँ समीक्षा स्थल पर प्रेषित करें, जिन्हें मैं कल्पतरु - ज्ञान की छाया स्तम्भ पर चर्चा के साथ प्रकाशित करूंगा। साथ ही वर्तमान मे Facebook पर साहित्य भूमि मंच (https://www.facebook.com/groups/1456730438337222/?ref=share&mibextid=NSMWBT) के माध्यम से आपके नाम के साथ पोस्ट प्रकाशित करूंगा। और एक निवेदन करूंगा, यदि आप भी कविता, कहानी, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विचार लिखते है तो उपरोक्त link के माध्यम से मंच से जुड़ सकते हैं।
कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 1
कल्पतरु - ज्ञान की छायास्तम्भ संग्रह परिचयआत्मकथ्यअनुरोध - आप सभी को बताना चाहूँगा कि यह स्तम्भ संग्रह 12 12 को प्रतिलिपि पर प्रकाशित किया था, अतः अक्षरशः आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ। कुछ भाग के पश्चात नए विचारों के साथ इस कल्पतरु की छाया मे सार्थक विषयों के साथ चौपाल सजाई जाएगी, सो आप सभी का स्नेह नितांत आवश्यक है। सुझाव, विषय, आपके विचार आप रेटिंग के साथ comment box या कहूँ समीक्षा स्थल पर प्रेषित करें, जिन्हें मैं कल्पतरु - ज्ञान की छाया स्तम्भ पर चर्चा के साथ प्रकाशित करूंगा।साथ ही वर्तमान मे Facebook पर साहित्य भूमि मंच (https: www.facebook.com groups 1456730438337222 ?ref share mibextid NSMWBT) ...और पढ़े
कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 2
सबसे पहले आप सभी को 75 वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।नित नए विषय के लिए प्रतिलिपि परिवार का - यदि समय मे आपको पीछे जाने का अवसर मिटे तो आप क्या बदलना चाहेंगे?मेरा जवाब होगा कुछ भी नहीं, और ना ही मैं समय मे पीछे जाना चाहता हूँ। बजाय समय में पीछे जाने के मैं वर्तमान और भावी भविष्य मे बेहतर परिणामों के लिए अथक प्रयास करूँगा और एक सफल रणनीति बनाने का प्रयास करूँगा।सभी जानते है कि यह सम्भव नहीं किंतु एक लेखक जिसे लोग कल्पनाशील और कल्पनाओं मे जीने वाला समझते है, यह मिथ्या है, कुछ ...और पढ़े
कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 3
तुमसे मिलना अच्छा लगता है(कविता)"समय पल भर को अब भी रुकता है,तुमसे मिलना अच्छा लगता है,सच है कि अब वर्षों बीते,चलते फिरते हारे जीते,दूर बहुत हो यह सच है,फिर भी मन हर पल कहता है,तुमसे मिलना अच्छा लगता है,तब ताने बाने जीवन के सपने,सब बातें सिर्फ पढ़ाई थी,आती जाती कई परीक्षा,वह भी जटिल लड़ाई थी,मान मर्यादा का पालन,लक्ष्य बना कर जीना था,चाह यही थी कुछ बन जाऊँ,कुछ बन कर ही तुमको पाना था,जब तुम मिली कई वर्षो बाद,पहले से हो मोटी और बहुत कुछ बदला हैतुम दो बच्चों की अम्मा हो ,और " ईशू " एक निकम्मा हैं ,समय ...और पढ़े