ये कहानी है इसे राजकुमार की जिसने अपने जीवन में हमेशा केवल कठिनायिओका सामना करना पडा। शस्त्र, शास्त्र हर कला में वे निपुल थे।पर कहते है ना अच्छे लोगोको हमेशा बुला दिया जाता हे।वही इनके साथ हुवा जिसे कोई नही मर पाया उसे अपने के धोखे के कारण मरना पड़ा। ये कहानी ही मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति की हर बार नियति ने उनकी परीक्षा ली पर हर बार वह डटकर खड़े हुए।ये कहानी तब सुरु होती है जब मुगल साम्राज्य अपनी जड़े भारत में मजबूत बनाई थी। उनकी जुल्म और अत्याचार से लठाने के लिए सामने खड़े हुए मराठा साम्राज्य के पहले छत्रपति शिवाजी महाराज।
छावां - भाग 1
श्री गणेशाय नमः। ये कहानी है इसे राजकुमार की जिसने अपने जीवन में हमेशा केवल सामना करना पडा। शस्त्र, शास्त्र हर कला में वे निपुल थे।पर कहते है ना अच्छे लोगोको हमेशा बुला दिया जाता हे।वही इनके साथ हुवा जिसे कोई नही मर पाया उसे अपने के धोखे के कारण मरना पड़ा। ये कहानी ही मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति की हर बार नियति ने उनकी परीक्षा ली पर हर बार वह डटकर खड़े हुए।ये कहानी तब सुरु होती है जब मुगल साम्राज्य अपनी जड़े भारत में मजबूत बनाई थी। उनकी जुल्म ...और पढ़े
छावां - भाग 2
शिवराय द्वारा सन्धि का प्रस्ताव मिर्जाराज जयसिंह के पास भेजा गया। डी। 13 जून 1665 को पुरन्दर की संधि हस्ताक्षर किये गये। मुगलों को तेईस किले और चार लाख का क्षेत्र देने का निर्णय लिया गया। शिवराय को संधि की शर्तों को पूरा करने के लिए, केवल आठ वर्षीय शंभूबल को बिना किसी डर के बंधक के रूप में दिया गया था। 18 जून 1665 को मोगली ने शिविर में प्रवेश किया। इतनी कम उम्र में बंधक बनाने का दुनिया के इतिहास में कोई दूसरा उदाहरण नहीं है. इस में 23 किले और 4 लक्ष होन का ...और पढ़े