दादीमा की कहानियाँ

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यहाँ हमने पहले बुज़ुर्गो के आशिष नाम से novel मतलब motivational कहानियाँ लिखी थी, अभी कहानियाँ पुरानी हैँ, अनसुनी हैँ, सीखने बहुत मिलता हैँ *!! कठिनाईयां !!* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ *एक धनी राजा ने सड़क के बीचों-बीच एक बहुत बड़ा पत्थर रखवा दिया और चुपचाप नजदीक के एक पेड़ के पीछे जाकर छुप गया।* *दरअसल वो देखना चाहता था कि कौन व्यक्ति बीच सड़क पर पड़े उस भारी-भरकम पत्थर को हटाने का प्रयास करता है।* *कुछ देर इंतजार करने के बाद वहां से राजा के दरबारी गुजरते हैं। लेकिन वो सब उस पत्थर को देखने के बावजूद नजरअंदाज कर देते हैं।*

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दादीमा की कहानियाँ

यहाँ हमने पहले बुज़ुर्गो के आशिष नाम से novel मतलब motivational कहानियाँ लिखी थी, अभी कहानियाँ पुरानी हैँ, अनसुनी सीखने बहुत मिलता हैँ !! कठिनाईयां !! एक धनी राजा ने सड़क के बीचों-बीच एक बहुत बड़ा पत्थर रखवा दिया और चुपचाप नजदीक के एक पेड़ के पीछे जाकर छुप गया। दरअसल वो देखना चाहता था कि कौन व्यक्ति बीच सड़क पर पड़े उस भारी-भरकम पत्थर को हटाने का प्रयास करता है। कुछ देर इंतजार करने के बाद वहां से राजा के दरबारी गुजरते हैं। लेकिन वो सब उस पत्थर को देखने के बावजूद नजरअंदाज कर देते हैं। इसके बाद वहां से करीब बीस ...और पढ़े

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दादीमा की कहानियाँ - 2

दादीना की कहानियाँ, पढ़ने जे बाद मुझे comments अवसता चाहिए... आशिष, concept.shah@gmail.com* प्रेरक प्रसंग ️**!! एक रुपये का सिक्का ब्राह्मण व्यक्ति सुबह उठकर मंदिर की ओर जा रहा था। वहां उसे रास्ते में ₹1 का सिक्का मिलता है। वह ब्राह्मण के मन में विचार आता है कि यह ₹1 रुपया में किसी दरिद्र को दे देता हूं।**वह पूरे नगर में ढूंढता है, उसे कोई दरिद्र और भिखारी नहीं मिलता है। हर रोज की तरह सुबह ब्राह्मण मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। वहां उसे एक राजा दिखाई देता है वह बहुत बड़ी सेना लेकर दूसरे नगर में जाता रहता ...और पढ़े

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दादीमा की कहानियाँ - 3

*!! संगत का असर !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*आइंस्टीन के ड्राइवर ने एक बार आइंस्टीन से कहा - "सर, मैंने हर बैठक में द्वारा दिए गए हर भाषण को याद किया है।"**आइंस्टीन हैरान!**उन्होंने कहा- "ठीक है, अगले आयोजक मुझे नहीं जानते। आप मेरे स्थान पर वहां बोलिए और मैं ड्राइवर बनूंगा।**ऐसा ही हुआ, बैठक में अगले दिन ड्राइवर मंच पर चढ़ गया और भाषण देने लगा...**उपस्थित विद्वानों ने जोर-शोर से तालियां बजाईं।**उस समय एक प्रोफेसर ने ड्राइवर से पूछा - "सर, क्या आप उस सापेक्षता की परिभाषा को फिर से समझा सकते हैं?"**असली आइंस्टीन ने देखा बड़ा खतरा!**इस बार वाहन चालक पकड़ा ...और पढ़े

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दादीमा की कहानियाँ - 4

*!! लालच बुरी बला है !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*एक बार एक बुढ्ढा आदमी तीन गठरी उठा कर पहाड़ की चोटी की ओर रहा था। रास्ते में उसके पास से एक हष्ट - पुष्ट नौजवान निकाला। बुढ्ढे आदमी ने उसे आवाज लगाई कि बेटा क्या तुम मेरी एक गठरी अगली पहाड़ी तक उठा सकते हो ? मैं उसके बदले इसमें रखी हुई पांच तांबे के सिक्के तुमको दूंगा। लड़का इसके लिए सहमत हो गया।**निश्चित स्थान पर पहुँचने के बाद लड़का उस बुढ्ढे आदमी का इंतज़ार करने लगा और बुढ्ढे आदमी ने उसे पांच सिक्के दे दिए। बुढ्ढे आदमी ने अब उस नौजवान को ...और पढ़े

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दादीमा की कहानियाँ - 5

*पूर्णता का अहंकार**बाप ने बेटे को भी मूर्तिकला ही सिखाई। दोनों हाट में जाते और अपनी-अपनी मूर्तियाँ बेचकर आते।**बाप मूर्ति डेढ़-दो रुपए की बिकती पर बेटे की मूर्तियों का मूल्य आठ-दस आने से अधिक न मिलता।**हाट से लौटने पर बेटे को पास बिठाकर बाप उसकी मूर्तियों में रही हुई त्रुटियों को समझाता और अगले दिन उन्हें सुधारने के लिए समझाता।**यह क्रम वर्षों चलता रहा। लड़का समझदार था, उसने पिता की बातें ध्यान से सुनीं और अपनी कला में सुधार करने का प्रयत्न करता रहा। कुछ समय बाद लड़के की मूर्तियाँ भी डेढ़ रुपए की बिकने लगीं।**बाप अब भी उसी ...और पढ़े

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दादीमा की कहानियाँ - 6

*!! दृढ़ निश्चय !!**एक बार एक संत महाराज किसी काम से एक कस्बे में पहुंचे। रात्रि में रुकने के वे कस्बे के एक मंदिर में गए। लेकिन वहां उनसे कहा गया कि वे इस कस्बे का कोई ऐसा व्यक्ति ले आएं, जो उनको जानता हो। तब उन्हें रुकने दिया जाएगा।**उस अनजान कस्बे में उन्हें कौन जानता था ? दूसरे मंदिरों और धर्मशालाओं में भी वही समस्या आयी। अब संत महाराज परेशान हो गए। रात काफी हो गयी थी और वे सड़क किनारे खड़े थे। तभी एक व्यक्ति उनके पास आया।**उसने कहा, “मैं आपकी समस्या से परिचित हूँ। लेकिन मैं ...और पढ़े

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दादीमा की कहानियाँ - 7

पसंद आती हैँ तो comments करो, यहाँ तो मैं भाव का भूखा हु... आशीर्वाद दो, मेरा मन garden garden जाता हैँ. मेरा dopamine मजबूत हो जाता हैँ...*कुदरत के दो रास्ते**एक बच्चा दोपहर में नंगे पैर फूल बेच रहा था। लोग मोलभाव कर रहे थे।**एक सज्जन ने उसके पैर देखे; बहुत दुःख हुआ।**वह भागकर गया, पास ही की एक दुकान से बूट लेकर के आया और कहा-बेटा! बूट पहन ले।* *लड़के ने फटाफट बूट पहने, बड़ा खुश हुआ और उस आदमी का हाथ पकड़ के कहने लगा-आप भगवान हो।**वह आदमी घबराकर बोला- नहीं... नहीं... बेटा! मैं भगवान नहीं।**फिर लड़का बोला-जरूर ...और पढ़े

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