बात काफी पुरानी है, जब दुनिया इंटरनेट की स्पीड से नहीं, तार और टेलीग्राम की रफ्तार से भागती थी। अनुज की जान-पहचान उस घर में बस एक आवाज से थी। जब भी 'हुमा' नाम पुकारा जाता तो अनुज के कान खड़े हो जाते। वह दीवार से सटकर पूरी बात सुनने और समझने की कोशिश करता लेकिन कुछ एक लफ्जों के सिवा उसके पल्ले कुछ नहीं पड़ता। असल में उसे समझना भी कुछ नहीं था, उसे बस वही बारीक आवाज सुननी होती थी। जो केवल हां या ना में या बहुत हुआ तो एक दो पुछल्ले शब्द जोड़कर अपनी बात पूरी कर देती।
फरमाइश... 1
बात काफी पुरानी है, जब दुनिया इंटरनेट की स्पीड से नहीं, तार और टेलीग्राम की रफ्तार से भागती थी। की जान-पहचान उस घर में बस एक आवाज से थी। जब भी 'हुमा' नाम पुकारा जाता तो अनुज के कान खड़े हो जाते। वह दीवार से सटकर पूरी बात सुनने और समझने की कोशिश करता लेकिन कुछ एक लफ्जों के सिवा उसके पल्ले कुछ नहीं पड़ता। असल में उसे समझना भी कुछ नहीं था, उसे बस वही बारीक आवाज सुननी होती थी। जो केवल हां या ना में या बहुत हुआ तो एक दो पुछल्ले शब्द जोड़कर अपनी बात पूरी ...और पढ़े
फरमाइश... 2
अगली सुबह जब उसकी आंख खुली तो उसे शोरगुल में वही मीठी मगर दबी सी आवाज सुनाई दी। 'पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। कोई मजबूरी होगी' लेकिन जवान होती तेज गुस्सैल आवाज ने उसे बीच में काटकर कहा, 'जब उसे हमारी मजबूरी से कुछ लेना-देना नहीं तो हमें उसकी मजबूरी से क्या मतलब। दो साल से किराया तक नहीं बढ़ाया। किराया नहीं मिला तो इसका सामान सड़क पर रख देंगे।' अनुज को जगा जानकर दूसरे कमरे में चुप्पी छा गई थी। अनुज को उस चिट्टी का मतलब अब समझ आया कि क्यों उसके मददगार ने उसे ये चिट्टी भेजी ...और पढ़े