इश्क जैसा कुछ नहीं

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ये एक bl कहानी है यदि किसी को परेशानी है तो कृपया दूर रहें वैसे दूर रहने वाले तो शीर्षक देखकर ही समझ जाएंगे ....... ये कहानी काल्पनिक तो बिल्कुल नहीं है कहीं कहीं से टोपिक उठाकर लेकर आए हैं तो कृपया कहीं से कुछ देखा हुआ मिल जाए तो ज्यादा ना सोचें....... बाकी किसी और की कहानी नहीं टेपेंगे...... कोई और हमारी टेंपे या तो उन्हें मोतियाबिंद होगा या वो दिमाग से पैदल होंगे

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इश्क जैसा कुछ नहीं - 1

ये एक bl कहानी है यदि किसी को परेशानी है तो कृपया दूर रहें वैसे दूर रहने वाले तो देखकर ही समझ जाएंगे .......ये कहानी काल्पनिक तो बिल्कुल नहीं है कहीं कहीं से टोपिक उठाकर लेकर आए हैं तो कृपया कहीं से कुछ देखा हुआ मिल जाए तो ज्यादा ना सोचें.......बाकी किसी और की कहानी नहीं टेपेंगे......कोई और हमारी टेंपे या तो उन्हें मोतियाबिंद होगा या वो दिमाग से पैदल होंगेकहानी की शुरुआत होती है एक क्लब से..........एक चमचमाती हुई कार क्लब के सामने आकर रूकती है उसमें से तीन लड़के बाहर निकलते हैं तीनों ही ...और पढ़े

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इश्क जैसा कुछ नहीं - 2

हमने ये कवर पेज नहीं लगाया था... इसलिए इसे देखकर कोई भी ये ना समझे की ये स्ट्रेट कपल है... अपने आप ही ये कवर पेज लग गया और अब हम इसे चेंज नहीं कर पा रहे हैं तो कृपया इस बात के लिए हम माफी चाहते हैं....आगे :-अगली सुबहवो पेट के बल सोया हुआ था उसके चेहरे पर काफी क्यूट सी स्माइल थी शायद वो कोई सपना देख रहा था और दो निगाहें उसे देख रही थी तभी जाने एकाएक उसे क्या होता है उसके माथे में बल पड़ जाते हैं और चद्दर पर मुट्ठियां कस जाती हैं.......सामने ...और पढ़े

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इश्क जैसा कुछ नहीं - 3

विश्नव और आचमन शरार्थ को घर लेकर जाने लगते हैं तभी आबिद उन्हें ठहरने के लिए कहता हैआगे:-आचमन गुस्से - अब क्या है??? कब से तो कह रहे थे निकलो यहां से अब जा रहें हैं तो रोक रहे हो आबिद मुस्कान बरकरार रखते हुए - महाशय! अपना पर्स देने की कृपया करेंगे जरा.....आचमन बुरा सा मुंह बनाकर अपना पर्स निकाल कर दे देता है आबिद शरार्थ के सामने जाकर अपनी पॉकेट से शरार्थ का दिया हुआ कार्ड निकाल पर्स में डाल देता है और उसमें से दो हजार का नोट निकाल लेता है और शरार्थ का गाल थपथपा ...और पढ़े

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