कॉलेज का कैंपस सुबह-सुबह हमेशा की तरह चहल-पहल से भरा हुआ था। छात्रों का समूह लाइब्रेरी से लेकर कैफेटेरिया तक फैला हुआ था, और कुछ तो हॉस्टल में बैठकर गप्पें मार रहे थे। एक कक्षा के कोने में पाँच दोस्त बैठे थे: • विक्रम - उसके चेहरे पर हमेशा बहादुरी की चमक होती थी। उसे भूत-प्रेत और रहस्यमयी चीजों में दिलचस्पी थी, और वह ऐसी किसी भी कहानी को सुनकर खुद को रोक नहीं पाता था। वह हमेशा कुछ ऐसा करना चाहता था जिससे वह साबित कर सके कि भूत सच में होते हैं। • रोहित - अपने चश्मों के पीछे छुपे तेज़ दिमाग के साथ, वह किसी भी बात को वैज्ञानिक नजरिए से देखता था। भूतों के बारे में उसकी सोच बिल्कुल साफ थी: “ये सब मन का भ्रम है।” • अमित - उसकी चेहरे पर हमेशा चिंता की लकीरें रहती थीं। किसी भी चीज़ से डर जाना उसकी आदत थी, और भूतों का नाम सुनते ही वह घबरा जाता था। वह हमेशा विक्रम को टोकता था कि उसे ऐसी बातों से दूर रहना चाहिए।
द अल्टरनेट डाइमेंशन - 1
भाग 1: “प्रोजेक्ट”कॉलेज का कैंपस सुबह-सुबह हमेशा की तरह चहल-पहल से भरा हुआ था। छात्रों का समूह लाइब्रेरी से कैफेटेरिया तक फैला हुआ था, और कुछ तो हॉस्टल में बैठकर गप्पें मार रहे थे। एक कक्षा के कोने में पाँच दोस्त बैठे थे: • विक्रम - उसके चेहरे पर हमेशा बहादुरी की चमक होती थी। उसे भूत-प्रेत और रहस्यमयी चीजों में दिलचस्पी थी, और वह ऐसी किसी भी कहानी को सुनकर खुद को रोक नहीं पाता था। वह हमेशा कुछ ऐसा करना चाहता था जिससे वह साबित कर सके कि भूत सच में होते हैं। • रोहित - अपने ...और पढ़े