अपना पुरा ब्रम्हांड चक्राकार रुप में घुमता रहता है। उसकी घुमने की प्रक्रिया बहुत ही धीरे से चलती रहती है। कभी-कभी व्यक्ति जीवन के सफर में पिसते हुए ऐसे निर्णायक मोड पर आकर रुकता है की संसार में सिर्फ दुःख, कष्ट बिमारिया ही फैली हुई है। ऐसे जगत में रहना अब हमे मंजुर नही, तब व्यक्ति साधनाद्वारा इस भवसागर से मुक्त हो सकता है। फिर वह साधना किसी भी रुप में हो। जगत में साधना विधी के अनेक प्रकार मौजुद है, जैसे जिसकी इच्छा या स्वभाव के अनुसार व्यक्ति साधना विधी को अपनाता है। यहाँ झेनयोग के बारे में कुछ बताना चाहती हूँ।

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स्पंदन - 1

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स्पंदन - 2

३: अमरत्व एक गाँव में वैद्य रहा करता था। लोगों को जडी-बुटी देकर उनके रोग दूर करता इसके साथ वह दावा करता की अमरत्व की रहस्यता मुझे ज्ञात है। लोग बडे आँस लगाए उसके पास आते थे, क्युँ की कौन चाहेगा मरना? बहुत पैसा लेकर वह अमरत्व के नाम ...और पढ़े

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