ये कहानी है बस दो जोड़ी जूतों जैसी जिसमे सिर्फ प्यार भी मिलता ही हैं और जब खत्म भी होता है तो सिर्फ घिस घिस के , ये वो जूते है जो साथ में एक रिश्ते की नीव रखते है , जो कदम ताल को बैठा गए तो एक नई राह चुनते है बस इसे पहली मुलाकात से लेके अंतिम ताल की कहानी बस वही सूखे पत्ते बस वही सूखे पत्तों की हरियाली से मुरझा जाने तक का सफर ही तो है ये जवानी सी एक अनोखी कहानी कितना सुहाना होता है न जब दो प्रेमी एक दूसरे को बस चुप चुप के देखते है ..... कैसे की एक दुसरे की नजर को बिना पता लगे कुछ नजरो से कह भी जाते ही जाते है ।

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सुखा पत्ता️ - भाग 1

ये कहानी है बस दो जोड़ी जूतों जैसी जिसमे सिर्फ प्यार भी मिलता ही हैं और जब खत्म भी है तो सिर्फ घिस घिस के , ये वो जूते है जो साथ में एक रिश्ते की नीव रखते है , जो कदम ताल को बैठा गए तो एक नई राह चुनते है बस इसे पहली मुलाकात से लेके अंतिम ताल की कहानी बस वही सूखे पत्ते बस वही सूखे पत्तों की हरियाली से मुरझा जाने तक का सफर ही तो हैये जवानी सी एक अनोखी कहानीकितना सुहाना होता है न जब दो प्रेमी एक दूसरे को बस चुप चुप ...और पढ़े

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सुखा पत्ता️ - भाग 2

दरवाजा खोलो ........दरवाजा खोलो ......दरवाजा खोलो........अन्वी .....अन्वी ......अन्वी.....(मैडम मैडम ........मैडम .....)कोई दरवाजा खट खटा रहा है बहुत तेज से उठिए उठिए मैडमअन्वी – क्या है दीदी आप सोई नहीं अभी 2:29 हो रहे हैं रात के ?मैडम कोई गेट पे है आपका नाम लेके चिला रहा है( अचानक अन्वी के कानों में वो आवाज पड़ती है और वो कांप जाती है , जैसे उसको किसी ने बड़ी जोर से खंजर घुसा दिया हो , जैसे उसका जीवन बस खत्म सा होने लगा हो वो आवाज जिसे वो भूलने के लिए अपने जीवन की हर रुख को बदल दिया हो ...और पढ़े

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